सार

हाल में अपने सनसनीखेज बयानों के चलते मीडिया की सुर्खियों में आए मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक(Satya Pal Malik) को अब रिश्वत मामले में RSS का नाम लेने पर खेद है।
 

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, गोवा-हरियाणा की राजनीति, किसान आंदोलन और फिर 300 करोड़ की रिश्वत के प्रस्ताव मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) का नाम उछालने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक(Satya Pal Malik) अब अफसोस जता रहे हैं। वे मान रहे हैं कि उन्हें RSS का नाम नहीं लेना चाहिए था। मलिक का कहना है कि उस दिन(बयानवाले दिन) उनसे गलती हुई थी। उन्होंने किसी व्यक्ति के संबंध में RSS का नाम लिया था। इससे RSS कहीं नहीं आती। इसके लिए वे माफी मांगते हैं। दैनिकभास्कर की न्यूज वेबसाइट ने मलिक का एक इंटरव्यू पब्लिश किया है। इसमें उन्होंने ये बात कही।

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RSS का इससे कोई मतलब नहीं
सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं संघ (RSS) से माफी मांग ली है। बता दें कि पिछले दिनों मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था-कश्मीर में मेरे सामने दो फाइलें मंजूरी के लिए लाई गईं। एक अंबानी और दूसरी RSS पदाधिकारी की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली (पीडीपी-भाजपा) सरकार में मंत्री थे। इसके लिए 150-150 करोड़ की घूस का ऑफर मिला। यह मामला तब का है, जब मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। अब मलिक का कहना है कि RSS से कोई मतलब नहीं। उनसे गलती हो गई और वे माफी चाहते हैं। क्योंकि अगर वो आदमी RSS से जुड़ा है, तो इसमें RSS की कोई गलती नहीं है। मलिक ने यह भी जोड़ा कि इसी मामले में अंबानी ने खुद प्रस्ताव नहीं दिया था, उनकी तरफ से काम करने वाली एक कंपनी थी। क्लिक करके पढ़िए पूरा मामला

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किसान आंदोलन को दिए बयान पर कहा
मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर मामूली असर पड़ेगा। हालांकि वे मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में इसका बहुत गहरा असर होगा। मलिक ने झुंझनू के कार्यक्रम में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन को लेकर कहा था कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा, तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं। हालांकि अब मलिक ने कहा कि किसान अब थक चुके हैं और सरकार का नुकसान हो रहा है। इसलिए मामला सुलझा लेना चाहिए। मलिक ने पिछली सरकारों को इसके लिए दोषी माना। मलिक ने कहा कि पिछले 70 सालों से किसानों के साथ अन्याय ही हो रहा है। उन्हें आज तक फसलों का सही दाम नहीं मिला है। मलिक ने कहा कि वे रिटायरमेंट के बाद राजनीति में बिलकुल नहीं जाएंगे। वे एक या दो किताब लिखेंगे।

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