सार

किसान MSP (Minimum Support Price) की गारंटी को लेकर कानून बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी फसलों पर MSP देने के लिए सरकार को हर साल करीब 10 लाख करोड़ रुपए खर्च करने की जरूरत होगी।

 

नई दिल्ली। किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। MSP (Minimum Support Price) की गारंटी को लेकर कानून समेत कई मांगों को लेकर किसान दिल्ली मार्च के लिए निकले हैं। MSP की गारंटी को लेकर कानून, किसानों की मुख्य मांग है।

सरकार वर्तमान में 24 फसलों पर MSP देती है। MSP किसी भी फसल की वह न्यूनतम कीमत है, जिससे कम पर किसानों को अपनी फसल नहीं बेचनी पड़ती। बाजार में उससे कम कीमत मिलने पर किसान सीधे सरकार को MSP पर अपनी फसल बेच सकते हैं। इससे किसानों को यह लाभ होता है कि उन्हें औने-पौने कीमत पर अपनी फसल नहीं बेचनी पड़ती। MSP पर फसल खरीदने के लिए सरकार को पैसे खर्च करने होते हैं। यही वजह है कि सभी फसलों के लिए सरकार के लिए MSP की गारंटी देना मुश्किल है। इसके लिए बहुत अधिक पैसे की जरूरत होगी। इसके चलते सरकार के लिए MSP की गारंटी वाला कानून बनाना मुश्किल है। आइए जानते हैं कि सरकार अगर किसानों के सभी फसलों को MSP पर खरीदने की गारंटी देती है तो उसपर कितना बड़ा वित्तीय बोझ पड़ेगा।

एक साल में 40 लाख करोड़ रुपए का कृषि उपज पैदा करते हैं किसान

वित्त वर्ष 2020 में देश के किसानों ने 40 लाख करोड़ रुपए का कृषि उपज पैदा किया। इसमें डेयरी, खेती, बागवानी, पशुधन और MSP वाले फसल शामिल हैं। 2020 में सिर्फ खेत से पैदा होने वाले उपज की बाजार कीमत 10 लाख करोड़ रुपए थी। इसमें वे 24 फसल शामिल हैं, जिनपर MSP मिलती है।

पिछले 2-3 साल में लोगों को विश्वास दिलाया गया है कि MSP भारत के कृषि कार्यों का अभिन्न अंग है। हालांकि सच्चाई कुछ और है। वित्त वर्ष 2020 में कुल MSP प्रोडक्ट 2.5 लाख करोड़ रुपए का था। यह कुल कृषि उपज का सिर्फ 6.5 फीसदी हिस्सा था। यह एमएसपी के तहत उपज का लगभग 25 प्रतिशत था।

MSP गारंटी कानून बना तो हर साल होगी 10 लाख करोड़ रुपए की जरूरत

अब अगर MSP गारंटी कानून बना दिया जाता है तो सरकार को हर साल करीब 10 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करना होगा। यह खर्च उस खर्च (11.11 लाख करोड़ रुपए) के आसपास है जो इस सरकार ने हाल के अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे के लिए करना तय किया है।

2016 से 2023 तक सात साल में भारत सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास पर हर साल औसतन जितना खर्च किया है 10 लाख करोड़ रुपए उससे भी अधिक है। अगर चर्चा के लिए मान भी लें कि सरकार सभी फसलों पर MSP दे और इसका खर्च उठाए तो 10 लाख करोड़ रुपए कहां से आएंगे? सवाल है कि क्या इन्फ्रास्ट्रक्चर और रक्षा पर होने वाले खर्च को कम कर MSP के लिए पैसे का इंतजाम किया जाना चाहिए? यह बड़ा सवाल है। पैसे जुटाने के लिए सरकार अधिक डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स लगाएगी, जिससे पैसा आखिरकार आम आदमी की जेब से ही जाएगा।

दरअसल, समस्या कृषि या इकोनॉमी की नहीं है। यह पूरी तरह से राजनीतिक मामला है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले किसानों को सड़कों पर लाया गया है। इन्हें ऐसी राजनीतिक पार्टियों से समर्थन मिल रहा है जो खुद ही व्यापक भ्रष्टाचार के चलते जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।