सार
सरकार ने सोमवार को लोकसभा में रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 रूपए क्वींटल बढ़ाकर 1975 रूपये क्वींटल कर दिया है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह फैसला किया गया है।
नई दिल्ली. सरकार ने सोमवार को लोकसभा में रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 रुपए क्वींटल बढ़ाकर 1975 रुपए क्वींटल कर दिया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी लोकसभा में दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह फैसला किया गया है। यह जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि देश के किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था बनी रहेगी।
6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया
संसद में किसान बिलों पर विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने सोमवार को रबी की 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया। गेहूं के समर्थन मूल्य में 50 रुपए /प्रति क्विंटल का इजाफा किया है।
कृषि मंत्री तोमर की यह घोषणा ऐसे समय आई है जब रविवार को कृषि से जुड़े दो बिलों को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में ध्वनिमत से पास करा दिया था। विपक्षी दलों के साथ पंजाब, हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों में इन विधेयकों के पास होने पर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि सीसीईए की बैठक में छह रबी की फसलों के एमएसपी में वृद्धि करने को मंजूरी प्रदान की गई थी। इसपर भी कांग्रेस के कुछ सांसद कृषि मंत्री से स्पष्टिकरण चाहते थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी अनुमति नहीं दी।
MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है?
किसानों को उसकी फसल का लागत से ज्यादा मूल्य मिले, इसके लिए भारत सरकार देशभर में एक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है। खरीददार नहीं मिलने पर सरकार MSP पर किसान से फसल खरीद लेती है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हों। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
रबी की फसल क्या होती है?
रबी की फसल उत्तर भारत में अक्टूबर और नवंबर महीने के दौरान बोई जाती है, जो कम तापमान में बोई जाती है। फसल की कटाई फरवरी और मार्च महीने में की जाती है। उदाहरण के तौर पर गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों आदि की फसलें रबी की फसल मानी जाती हैं।