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10 बड़े तंज : मोदी ने सवा घंटे के भाषण में उधेड़ी कांग्रेस की बखिया, बोले- देश इन्हें हर बार नकार रहा, पर साजिशों से बाज नहीं आ रहे
पीएम मोदी ने गुरुवार को विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। अपने सवा घंटे के भाषण में मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा- एक वक्त था जब पंचायत से पार्लियामेंट तक इन्हीं की चलती थी, लेकिन इन्होंने चुनौतियों का परमानेंट सॉल्यूशन नहीं निकाला।
| Published : Feb 09 2023, 06:44 PM IST
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1- नींव हमने खड़ी की, क्रेडिट मोदी ले रहा
मोदी ने कहा- कल विपक्ष के आदरणीय खड़गे जी ने कहा कि हमने 60 साल में मजबूत बुनियाद बनाई। और उनकी शिकायत थी कि बुनियाद हमने बनाई और क्रेडिट मोदी ले रहा है। लेकिन 2014 में मैंने चीजों को बड़ी गहराई और बारीकी से देखने का प्रयास किया, तो मुझे नजर आया कि 60 साल में कांग्रेस के परिवार ने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए। हो सकता है कि उनका इरादा मजबूत नींव बनाने का हो, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जब वो गड्ढे खोद रहे थे तो उसमें 6 दशक बर्बाद कर दिए। उस वक्त दुनिया के छोटे-छोटे देश भी सफलता के शिखरों को छू रहे थे, आगे बढ़ रहे थे।
2- हमारी पहचान पुरुषार्थ से, उन्होंने चुनौतियों का परमानेंट साल्यूशन नहीं खोजा
मोदी ने आगे कहा- एक समय पर पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक इन्हीं की दुनिया चलती थी। देश भी आंख बंद करके उनका समर्थन करता था, लेकिन उन्होंने इस तरह की कार्यशैली और कल्चर विकसित किया, जिसके चलते एक भी चुनौती का परमानेंट सॉल्यूशन निकालने का न उन्होंने सोचा, न सूझा और न ही प्रयास किया। बहुत हो हल्ला होता था तो चीजें को छू लेते थे, टोकनिज्म कर लेते थे और आगे निकल जाते थे। समस्याओं का हल निकालना उनकी जिम्मेदारी थी। लेकिन उनकी प्राथमिकताएं और इरादे अलग थे। यही वजह है कि किसी भी चीज का परमानेंट सॉल्यूशन नहीं निकला। हमारी सरकार की पहचान हमारे पुरुषार्थ के कारण बनी है। एक के बाद एक उठाए गए कदमों के से बनी है। आज हम परमानेंट सॉल्यूशन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम एक-एक विषय को छूकर भागने वाले लोग नहीं, लेकिन देश की मूलभूत जरूरतों का परमानेंट सॉल्यूशन देते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
3- पहले परियोजनाएं लटकाना, भटकाना कल्चर था
पीएम मोदी ने आगे कहा- बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ, लेकिन आधे से ज्यादा लोग बैंकों के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाए। हमने परमानेंट सॉल्यूशन निकाला और जनधन अकाउंट खुलावाए। पिछले 9 साल में 48 करोड़ जनधन खाते खोले गए। इसमें 32 करोड़ ग्रामीण और कस्बों में हुए हैं। यानी देश के गांव-गांव तक प्रगति की मशाल ले जाने का प्रयास हुआ है। हम नया इको सिस्टम लाए। जिन लोगों को पुराने इको सिस्टम के फायदे मिलते थे, उनका चिल्लाना स्वाभाविक है। पहले परियोजनाएं लटकाना, भटकाना कल्चर था। हमने टेक्नोलॉजी का प्लेटफॉर्म तैयार किया और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को गति दे रहे हैं। पहले योजनाएं बनाने में महीनों लगते थे, अब हफ्तेभर में योजनाएं आगे बढ़ा दी जाती हैं।
4- वो कहते हैं- गरीबी हटाओ, लेकिन 4 दशक में कुछ नहीं हुआ
मोदी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा- जब भी कोई सरकार में आता है तो देश के लिए कुछ करने के वादे के साथ आता है। जनता का भला करने के वादे करके आता है। सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से काम नहीं चलता है। कभी कहा जाता था गरीबी हटाओ, लेकिन 4 दशक में कुछ नहीं हुआ। विकास की गति क्या है, विकास की नीयत, उसकी दिशा, प्रयास, परिणाम क्या है ये सब चीजें बहुत मायने रखती हैं।
5- जहां वोट बैंक नहीं था, वहां की अनदेखी
पीएम ने आगे कहा- दूरदराज के गांव में बिजली नहीं थी। नॉर्थ ईस्ट के पहाड़ी गांव थे। इनके वोट बैंक नहीं थे तो इन्होंने बिजली पहुंचाने पर उधर ध्यान ही नहीं दिया। हमने कहा- हम मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर खींचेंगे। हमने 18 हजार से ज्यादा गांवों में बिजली पहुंचाई। खुशी है कि आजादी के इतने सालों बाद दूरदराज के गांवों में आशा की किरण दिखाई दी।
6- देश बार-बार नकार रहा, लेकिन साजिशों से बाज नहीं आ रहे
PM ने आगे कहा- देश बार-बार कांग्रेस को नकार रहा है, लेकिन वो हैं कि साजिश रचने से बाज नहीं आ रहे हैं। जनता सबकुछ देख रही है और समय आने पर उन्हें इसकी सजा भी देती जा रही है। 1857 से लेकर 2014 तक भारत का कोई हिस्सा देख लीजिए। आजादी की लड़ाई में आदिवासियों का बड़ा योगदान रहा है। लेकिन कई दशकों तक आदिवासी भाई विकास से वंचित रहे। अगर इन्होंने अच्छी नीयत से आदिवासियों के कल्याण के लिए काम किया होता तो 21वीं सदी के तीसरे दशक में मुझे इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती।
7- कांग्रेस के राज में छोटे किसानों की आवाज सुनने वाला कोई न था
PM ने आगे कहा- कांग्रेस के राज में छोटे किसान हमेशा ही उपेक्षित रहे, उनकी आवाज सुनने वाला कोई न था। लेकिन हमारी सरकार ने छोटे किसानों पर फोकस किया। उन्हें बैंकिंग से जोड़ा और आज साल में 3 बार किसान सम्मान निधि उनके खातों में डायरेक्ट जमा होती है। हमने मिलेट ईयर के लिए UN को चिट्टी लिखी। ये छोटे किसान उगाते हैं। जैसे श्रीफल का महत्व होता है, वैसे ही मिलेट को भी श्री अन्न का दर्जा मिले। इससे छोटे किसान मजबूत होंगे।
8- वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों पर सवाल खड़े किए
पीएम मोदी ने आगे कहा- कोरोना के समय हमारे वैज्ञानिकों ने वैक्सीन बनाई, लेकिन उनकी उपलब्धि को सराहने के बजाय उन्हें नीचा दिखाने के प्रयास किए गए। कई आर्टिकल लिखे गए, टीवी पर बोला गया। ये विज्ञान के विरोधी लोग, ये टेक्नोलॉजी के विरोधी लोग हैं। हमारे वैज्ञानिकों को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। हमारे नौजवान नई-नई रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन ये उन्हें बदनाम कर रहे हैं। इन्हें देश से नहीं, सिर्फ अपनी राजनीति से मतलब है।
9- इंदिरा गांधी ने 50 बार चुनी हुई सरकारों को गिराया :
आज जो विपक्ष में बैठे हैं, उन्होंने राज्यों के अधिकारों की धज्जियां उड़ा दीं। कौन सत्ता में थे, कौन सी पार्टी थी, जिन्होंने आर्टिकल 357 का इस्तेमाल किया। एक प्रधानमंत्री ने तो आर्टिकल 356 का 50 बार इस्तेमाल किया वो कोई और नहीं इंदिरा गांधी हैं। उन्होंने 50 बार चुनी हुई सरकारों को गिराया। आज के दौर में केरल में जो इनके साथ खड़े हैं। वामपंथी सरकार थी, जिसे नेहरू जी पसंद नहीं करते थे और उसे गिरा दिया था। तमिलनाडु में MGR और करुणानिधि की सरकारें भी इन्हीं कांग्रेस वालों ने गिराई थी।
10- जिन्हें आर्थिक नीतियों की समझ नहीं, वो सत्ता के खेल खेलना ही जानते हैं
मोदी ने आगे कहा- जिन्हें आर्थिक नीतियों की समझ नहीं, वे सत्ता के खेल खेलना ही जानते हैं। उन्होंने अर्थनीति को अनर्थ नीति में बदल दिया है। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि अपने राज्य को जाकर समझाएं कि वे गलत रास्ते पर न चले जाएं। पड़ोसी देशों का हाल देख लो क्या हुआ है। फौरी तौर पर फायदे के लिए कर्ज लेने की नीति राज्य को तो बर्बाद करेगी ही, देश भी बर्बाद हो जाएगा। हमारे बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कम से कम आर्थिक सेहत के साथ खिलवाड़ तो मत कीजिए।
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