सार
प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को दिल्ली की विशेष अदालत में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की जमानत याचिका का विरोध किया है। ईडी ने कोर्ट में कहा है कि अगर शिवकुमार को जमानत मिल जाती है तो वे गंवाहों को प्रभावित करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को दिल्ली की विशेष अदालत में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की जमानत याचिका का विरोध किया है। ईडी ने कोर्ट में कहा है कि अगर शिवकुमार को जमानत मिल जाती है तो वे गंवाहों को प्रभावित करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
ईडी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जांच के दौरान कई ऐसे लोगों के नाम का खुलासा हुआ है, जिनसे केस के नतीजे के लिए पूछताछ बेहद जरूरी है। अगर डीके शिवकुमार को बेल दी जाती है तो वे सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे और जांच को प्रभावित करेंगे।
डीके शिवकुमार को 3 सितंबर को ईडी ने हिरासत में लिया था। उन्होंने 4 सितंबर को दिल्ली की विशेष अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। 13 सितंबर को कोर्ट ने मंगलवार तक शिवकुमार की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी थी।
शिवकुमार और उनके करीबियों के 317 बैंक खाते, 800 करोड़ की बेनामी संपत्तियां
ईडी ने शुक्रवार को बताया था कि अब तक हुई जांच में खुलासा हुआ है कि डीके, उनके परिवार और करीबियों के नाम पर 317 बैंक खाते हैं। करीब 800 करोड़ की बेनामी संपत्तियां हैं। ईडी ने बताया था कि कांग्रेसी विधायक ने करीब 200 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की है।
जांच में ये भी हुए खुलासे
- शिवकुमार के ठिकानों पर 2 जुलाई 2017 को छापेमार कार्रवाई हुई थी। इस दौरान 374 करोड़ की बेनामी संपत्ति का पता चला था। इसमें उनकी पत्नी ऊषा और साले की 110.46 करोड़ की बेनामी संपत्ति भी शामिल है।
- छापेमारी के दौरान 11.28 करोड़ नकद और 4.4 करोड़ रुपए की ज्वेलरी भी जब्त की गई थी।
- इस दौरान जांच एजेंसी को कुछ अन्य दस्तावेज मिले थे, जिनमें शिवकुमार द्वारा विभिन्न लोगों को 24.58 करोड़ रुपए दिए गए थे।
- इसके अलावा 23 मई 2017 को शिवकुमार के पांच ठिकानों से 43.18 करोड़ रुपए बरामद हुए थे।
-जांच के दौरान एजेंसी को पता चला था कि शिवकुमार द्वारा चलाए जा रहे ट्रस्ट में 49 करोड़ रुपए भी ट्रांसफर किए गए थे।
- शिवकुमार की पत्नी द्वारा 13 करोड़ रुपए का बेनामी सोना भी खरीदने की जानकारी मिली थी।
- इसके अलावा मैसूर की रानी की बहन विशाखा देवी को अपने भाई शशि कुमार के नाम पर जमीन खरीदने के लिए 4 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था।