महामारी में धार्मिक कटुता और द्वेष के इतर सांप्रदायिक सौहार्द की कहानी भी लिखी जा रही है। जहां कोविड के खौफ से लोग अपनों को मरने को छोड़ दे रहे वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो जाति-धर्म और महामारी के खौफ से परे मदद के लिए आगे आ रहे। जम्मू-कश्मीर में एक हिंदू महिला का अंतिम संस्कार करने कोई आगे नहीं आया तो एक मुस्लिम ड्राइवर मीर अहमद ने हिंदू रीति-रीवाज से महिला को अंतिम विदाई दी।
मेंधार। महामारी में धार्मिक कटुता और द्वेष के इतर सांप्रदायिक सौहार्द की कहानी भी लिखी जा रही है। जहां कोविड के खौफ से लोग अपनों को मरने को छोड़ दे रहे वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो जाति-धर्म और महामारी के खौफ से परे मदद के लिए आगे आ रहे। जम्मू-कश्मीर में एक हिंदू महिला का अंतिम संस्कार करने कोई आगे नहीं आया तो एक मुस्लिम ड्राइवर मीर अहमद ने हिंदू रीति-रीवाज से महिला को अंतिम विदाई दी।
दो दिन पहले लावारिस हाल में मिली थी महिला
दो दिन पहले जम्मू-कश्मीर के मेंधार में सड़क के किनारे एक महिला पड़ी हुई थी। सड़क के किनारे पड़ी महिला को सांस के लिए संघर्ष कर रही थी। महिला की हालत को देखकर पुलिस और सिविल सोसाइटी की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। महिला का इलाज शुरू हुआ। डाॅक्टर्स ने बहुत कोशिश की लेकिन महिला को बचाया नहीं जा सका।
अंतिम संस्कार करने कोई नहीं आया
बुधवार को महिला ने दम तोड़ दिया। महिला की मौत के बाद उसकी डेड बाॅडी कोई लेने नहीं पहुंचा। महिला के अंतिम संस्कार के लिए मुश्किल खड़ी होने लगी। इसी बीच मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखने वाला एंबुलेंस ड्राइवर मीर अहमद आगे आया। उसने अंतिम संस्कार महिला के हिंदू धर्म के अनुसार ही करने की जिम्मेदारी ली। मीर अहमद ने खुद पीपीई किट पहनकर महिला का हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया।
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