सार

निर्भया के चारों दोषियों विनय, मुकेश, पवन और अक्षय को शुक्रवार सुबह 5.30 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। 7 साल के बाद आखिरकार न्याय की जीत हुई। गुरुवार सुबह से फांसी के 2 घंटे पहले तक याचिकाएं निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक दौड़ती रहीं।

नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषियों विनय, मुकेश, पवन और अक्षय को शुक्रवार सुबह 5.30 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। 7 साल के बाद आखिरकार न्याय की जीत हुई। गुरुवार सुबह से फांसी के 2 घंटे पहले तक याचिकाएं निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक दौड़ती रहीं। रात 3.30 बजे तक फांसी पर सस्पेंस बना रहा। लेकिन हाईकोर्ट के बाद आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया के दोषियों के वकील बौखलाए नजर आए और उन्होंने एक बार फिर विवादित बयान दे डाला।

एपी सिंह ने पूछा, अक्षय का 8 साल का बेटा है, उसे मिलवाने की अनुमति नहीं दी गई। उस बच्चे की क्या गलती है? वह बड़ा होकर कहेगा कि मुझे संविधान और सिस्टम ने पिता से नहीं मिलने दिया। एक बच्चे को आज न्याय नहीं मिला। उस मां का क्या कसूर, जिसने 9 महीनों तक इन दोषियों को पेट में रखा। उस मां को बेटे से नहीं मिलने दिया। एक मां के लिए घूम रहे हो। इस दौरान जब उनसे निर्भया की मां के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, उस कारण पर जाओ, उस मां पर जाओ। उस मां को तो ये भी नहीं पता था कि रात 12 बजे तक उनकी बेटी कहां थी। बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी। इनको यहीं छोड़ दीजिए।

महिला एक्टिविस्ट ने जताया विरोध
एपी सिंह के इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट के बाहर खड़ी महिला एक्टिविस्ट ने विरोध जताया। हालांकि, बाद में पुलिस ने वहां दोनों को अलग कर दिया गया। 

दिन भर चला कानूनी दांव पेच का खेल
- सबसे पहले दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका दायर की, इसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी। पवन ने दावा किया था कि वह जुर्म के वक्त नाबालिग था।
- इसके बाद पवन और अक्षय ने राष्ट्रपति के पास दूसरी दया याचिका दायर की। इसपर विचार करने से राष्ट्रपति ने मना कर दिया। 
- सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य दोषी मुकेश पहुंचा। मुकेश ने अपराध में खुद की भूमिका नहीं बताते हुए रिकॉर्ड की दोबारा जांच की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
- अक्षय ने भी याचिका दाखिल की। राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका ठुकराए जाने को चुनौती दी। कहा- प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। इसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। 
- दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया।
- पटियाला कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ रात 10 बजे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दो घंटे की दलीलों के बाद हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
- इसके बाद दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। यहां दोषी पवन की ओर से याचिका लगाई गई, इसमें दावा किया गया कि घटना के वक्त वह नाबालिग था। हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया।