सार

निर्भया के दोषियों को शुक्रवार सुबह 5.30 पर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। इससे पहले दोषियों ने गुरुवार देर रात तक बचने की हर कोशिश करते रहे लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इनकी सभी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। आखिरकार 7 साल बाद निर्भया को न्याय मिल गया।

नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को शुक्रवार सुबह 5.30 पर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। इससे पहले दोषियों ने गुरुवार देर रात तक बचने की हर कोशिश करते रहे लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इनकी सभी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। आखिरकार 7 साल बाद निर्भया को न्याय मिल गया। डेथ वारंट पर रोक लगाने के लिए दोषियों के वकील एपी सिंह गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे थे लेकिन इनकी तमाम दलीलें को खारिज करते हुए कोर्ट ने साफ कर दिया कि मुवक्किलों का ऊपर वाले से मिलने का वक्त आ गया है। दोषियों की आखिरी सुनवाई में वकील ने इस प्रकार की दलीलें दीं...

दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा,  इस मामले में डेथ वारंट जारी किया गया है। अनुच्छेद 32 के तहत याचिका आज के लिए तय की गई थी, सुनवाई के समय मैंने ट्रायल कोर्ट के समक्ष सब तथ्य रखे जो सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही निचली अदालत ने फांसी पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी। 

हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनमोहन ने कहा, इस मामले में कुछ भी नहीं है, कोई हलफनामा नहीं है, कुछ भी नहीं है। क्या आपके पास याचिका दायर करने की अनुमति है। 

वकील- कोरोना वायरस के चलते कोई भी फोटोकॉपी नहीं करा पाया।  

जस्टिस मनमोहन- कोर्ट कैसे काम कर रही हैं। आज आपने तीन कोर्ट में दरवाजा खटखटाया। आप ये बहाना नहीं बना सकते कि सब कुछ बंद है। हम रात 10 बजे आपकी सुनवाई कर रहे हैं। 

वकील- एपी सिंह ने कहा, इस मामले से संबंधित तमाम मामले कई अदालतों में चल रहे हैं। जैसे अक्षय की तलाक याचिका, अंतरराष्ट्रीय अदालत में याचिका, लूट के मामले में हाईकोर्ट में मामला, चुनाव आयोग में भी एक याचिका दायर की है। 

जस्टिस मनमोहन- इन सभी तर्कों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इन सबका कोई मतलब नहीं है। चुनाव आयोग का भी यहां कुछ लेना देना नहीं है। आपका फैसला हो चुका है। आप यहां बैठकर जजमेंट पर सवाल नहीं उठा सकते। हम यह नहीं कह सकते कि डेथ वारंट रद्द होगा। 
  
वकील ने कहा, इस मामले में सिर्फ एक ही गवाह था, जो निर्भया के साथ था और उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। उसने इंटरव्यू के लिए पैसे लिए। मीडिया ने इसका इस्तेमाल किया है। 

जस्टिस मनमोहन ने कहा, तलाक की अर्जी का इससे कोई लेना देना नहीं है। इस तरह के तर्क रात 11 बजे आपकी मदद नहीं करेंगे। 

जस्टिस ने कहा, अगर आप इस तरह के तर्क रखेंगे तो हम आपकी मदद नहीं कर सकते। आपके पास सिर्फ 4-5 घंटे हैं, अगर आप इनका इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो तर्क संगत तथ्य रखें। इसके साथ ही जस्टिस ने समय बर्बाद करने के लिए वकील की फटकार लगाई। 

जस्टिस मनमोहन ने कहा, ये क्या हो रहा है? हमें नहीं पता क्या किृ किसी की हत्या हुई थी। कोई सिस्टम खेल रहा है ... दया याचिकाएं लगाई जा रही हैं। अभी भी फांसी रोकने के लिए साजिश की जा रही हैं ... आपको अपने मुवक्किल और मुवक्किल को हमारे प्रति निष्पक्ष होना होगा। आपको 11बजे कुछ तथ्यों के साथ आना चाहिए। आपकी याचिका में कोई आधार नहीं है।
 
वकील ने कहा, मैं कोरोना वायरस के चलते निराशजनक है। हम दस्तावेजों की फोटोकॉपी नहीं करा पाए। मेरे पास सब कुछ है लेकिन कॉपी नहीं दे पाया, क्योंकि मैं नहीं करवा पाया। 

- जज ने कहा, हम उनकी मदद करते हैं, जो समय से आते हैं। 4 मार्च, 2020 तक ढाई साल तक आप क्या कर रहे हैं? आप हम पर आरोप लगा रहे हैं? 
 
वकील ने कहा, हमें 2-3 दिन का वक्त दें, हम सभी दस्तावेज जमा कर देंगे। 

 - एपी सिंह ने कहा, देरी जानबूझकर नहीं की गई है। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पर ध्यान देने की जरूरत है। मैंने निचली अदालत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में यह सब रखा है। 

हाईकोर्ट- यह चौथा डेथ वारंट हैं। इन्हें कुछ सम्मान देना चाहिए। हम उन मामलों को नहीं सुनेंगे जो पहले ही सुप्रीम कोर्ट में सुने जा चुके हैं। एक बार जब आपने याचिका को दायर करने का फैसला किया, तो आपके पास याचिका में आपके पर्याप्त तथ्य होने चाहिए।

एपी सिंह- अगर आप वक्त देंगे तो हम तथ्य रखेंगे। 

हाईकोर्ट- हम आपको एक नई तारीख देंगे लेकिन यह उस वक्त भी बेकार साबित होगा। आप अपनी याचिका में तथ्यों को बिना रखे, रोक नहीं लगवा सकते। आपको अच्छे तथ्य लाने चाहिए। हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। लेकिन दोषियों के दूसरे वकील शेम्स ख्वाजा ने अपनी दलीलें रखीं।

वकील ने कहा, राष्ट्रपति ने दया याचिका को खारिज करते हुए सभी तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया।

जज ने टोकते हुए कहा, यह समय इन सब बातों का नहीं है। 

वकील ने कहा, यह मामला पहले नहीं उठाया गया। 

जज ने कहा, यह आपको अपने आप से पूछना चाहिए कि यह बात पहले क्यों नहीं उठाई।  

वकील- यह न्याय की हत्या है। 

जज- एक बार जज, जिस फैसले पर हस्ताक्षर कर दें तो उसे वह दोबारा नहीं सुन सकता। आप इसे ऊपर ले जाना चाहते हैं तो चाहिए। हम यहां 5.30 बजे तक फैसला करने के लिए बैठे हैं। 

हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। 

चौथा डेथ वारंट जारी किया
पटियाला कोर्ट ने 5 मार्च को चौथा डेथ वारंट जारी किया। इसके मुताबिक, 20 मार्च को चारों दोषियों को फांसी दी जानी है। हालांकि, इससे पहले तीन बार डेथ वारंट जारी किया जा चुका है, लेकिन कानूनी दांवपेंच के चलते इसे टाल दिया गया।

2012 में निर्भया के साथ हुई थी दरिंदगी
16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी। साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी। दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे।

इसके बाद निर्भया का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चला था। जहां से उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।

कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी ठहराया था। एक नाबालिग था, जिसे 3 साल सुधारगृह में रहने के बाद छोड़ दिया गया। वहीं, एक अन्य दोषी राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगा ली। अब चार दोषियों को फांसी दी जानी है।