सार
16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया से चलती बस में दरिंदगी करने वाले दोषी एक बार फिर मौत से बच गए। 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी होनी थी, लेकिन 2 मार्च की शाम को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट रद्द कर दिया।
नई दिल्ली. 16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया से चलती बस में दरिंदगी करने वाले दोषी एक बार फिर मौत से बच गए। 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी होनी थी, लेकिन 2 मार्च की शाम को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट रद्द कर दिया। डेथ वॉरंट रद्द होने से पहले तक यही लग रहा था कि अबकी बार 3 मार्च को चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी। मौत के डर से दोषियों ने जेल के अंदर खाना-पीना भी छोड़ दिया था। बताते हैं कि तिहाड़ जेल के अंदर दोषियों की मौत के पहले के 24 घंटे पहले कैसे गुजरे।
दोषियों के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी मौत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोषियों के चेहरे पर मौत का खौफ साफ-साफ नजर आ रहा था। पूरे दिन वह जेल में तैनात कर्मचारियों से पूछ रहे थे कि कोर्ट में क्या हुआ? उनकी याचिका पर जज ने क्या कहा? क्या उन्हें कल फांसी होगी?
दोषियों की घबराहट बढ़ती जा रही थी
फांसी का खौफ इस कदर था कि जैसे-जैसे दिन खत्म हो रहा था, दोषियों की घबराहट भी बढ़ रही थी। इस दौरान दोषियों की जेल संख्या तीन के पास डॉक्टर्स और काउंसलर्स की पूरी टीम मौजूद थी। तिहाड़ जेल प्रशासन को डर था कि कहीं फांसी के डर से दोषियों की तबीयत खराब न हो जाए।
पूरे दिन दोषियों को चेकअप होता रहा
डॉक्टर पूरे दिन चारों दोषियों का मेडिकल चेकअप करते रहे। हालांकि किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। हां, दोषियों में घबराहट जरूर थी। एक दोषी पवन तो कुछ देर के लिए रोने लगा। वह बार-बार यही पूछ रहा था कि कोर्ट में क्या हुआ?
मुकेश और विनय ने नाश्ता करने से मना कर दिया
सोमवार को मुकेश और विनय इतने ज्यादा घबराए थे कि उन्होंने खाना खाने से मना कर दिया। सुबह के वक्त जेल कर्मचारियों ने नाश्ता दिया तो उन्होंने खाने से मना कर दिया। दोषियों ने बहाना बनाया कि उनकी तबीयत खराब है। जब डॉक्टर्स ने चेक किया तो तबीयत ठीक थी। इसके बाद जेल कर्मचारियों ने उन्हें बहुत समझाया, तब कहीं जाकर वह नाश्ते के लिए राजी हुए।
फांसी की तारीख टलने पर शांत हुए दोषी
सोमवार की शाम तक तो दोषियों की हालत बहुत खराब थी। वह जेल में इधर-उधर घूम रहे थे। घबराए हुए थे। जब उन्हें पता चला कि फांसी की तारीख टल गई है, तब चारों दोषी थोड़ा शांत हुए। बता दें कि निर्भया केस में दोषियों के लिए 3 बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। पहला डेथ वॉरंट 7 जनवरी को जारी हुआ, जिसके मुताबिक 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जानी ती। दूसरा डेथ वॉरंट 17 जनवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक, 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश था। 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी। तीसरा डेथ वॉरंट 17 फरवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया गया था।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। चलती बस में रेप के बाद बलात्कारियों ने दोनों को (निर्भया और उसका दोस्त) महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।