सार

पहले माना जा रहा था कि निर्भया केस में चारों दोषियों को 16 दिसंबर तक फांसी दी जा सकती है। लेकिन अब इसमें पेंच फंसता नजर आ रहा है। दरअसल, इस मामले में चौथे दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 दिसंबर को दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा।

नई दिल्ली. पहले माना जा रहा था कि निर्भया केस में चारों दोषियों को 16 दिसंबर तक फांसी दी जा सकती है। लेकिन अब इसमें पेंच फंसता नजर आ रहा है। दरअसल, इस मामले में चौथे दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 दिसंबर को दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा। इससे पहले 3 दोषियों की पहले ही पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई है। उधर, तिहाड़ प्रशासन एक साथ चार दोषियों को फांसी की तैयारी कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो यह पहला मौका होगा, जब तिहाड़ में एक साथ चार लोगों को फांसी दी जाएगी।

उधर, आतंकी अफजल गुरु की फांसी के वक्त मौजूद रहे डिप्टी सुपरिंटेंडेंट को निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा देने की तैयारियों का जिम्मा सौंपा गया है। 

तीन को एक साथ भी दी जा सकती है फांसी
ऐसा भी माना जा रहा है कि अक्षय की पुनर्विचार के अलावा किसी की कोई याचिका ना तो कोर्ट में है ना ही राष्ट्रपति के पास कोई मर्सी पिटीशन है। ऐसे में तीन दोषियों को भी एक साथ फांसी दी जा सकती है। लेकिन चारों दोषियों को एक साथ फांसी होने की ज्यादा संभावनाएं हैं। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषी विनय की दया याचिका पर विचार नहीं किया है। दोषी विनय ने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई थी, इसे राष्ट्रपति ने मान लिया है।   

29 दिसंबर 2012 को मौत से जंग हार गई थी निर्भया
दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से 6 लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गई थी।

यरवदा जेल में एक साथ 4 लोगों को दी गई फांसी 
यदि निर्भया के दरिंदों को एक साथ फांसी की पर लटकाया जाता है। तो यह दूसरा ऐसा मौका होगा कि एक साथ चार लोगों को फांसी दी गई। इससे पहले पुणे की यरवदा जेल में एक साथ चार लोगों को फांसी दी गई थी। 27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर केस में दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी।

तिहाड़ में एक साथ दो को दी गई है फांसी 
निर्भया केस के दरिंदों को तिहाड़ जेल में फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले एक साथ सिर्फ दो लोगों को ही फांसी दी गई है। तिहाड़ की फांसी कोठी में पहली और आखिरी बार एक साथ दो लोगों को फांसी 37 साल पहले 31 जनवरी 1982 को दी गई थी। जिसके बाद किसी को एक साथ फांसी नहीं दी गई है। 1982 में दोषी रंगा-बिल्ला को सूली पर एक साथ चढ़ाया गया था।

अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में दिए अजीब तर्क