सार
साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा समय के चुनौतीपूर्ण हालात में युवा नेताओं को आगे-आगे और वरिष्ठ नेताओं को उनके पीछे-पीछे चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस में कभी पीढ़ी का संघर्ष नहीं रहा है और राहुल गांधी के साथ काम करने में किसी भी वरिष्ठ नेता को कोई परेशानी नहीं हो सकती।
नई दिल्ली. कांग्रेस में नए नेतृत्व पर निर्णय में हो रही देरी और इस पद के लिए चुनाव कराए जाने की मांग के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने रविवार को कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस के सेनापति हैं और अब उन्हें नेतृत्व संभाल लेना चाहिए ।
मौजुदा हालात में कांग्रेस को युवा नेताओं को आगे लाना चाहिए
साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा समय के चुनौतीपूर्ण हालात में युवा नेताओं को आगे-आगे और वरिष्ठ नेताओं को उनके पीछे-पीछे चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस में कभी पीढ़ी का संघर्ष नहीं रहा है और राहुल गांधी के साथ काम करने में किसी भी वरिष्ठ नेता को कोई परेशानी नहीं हो सकती। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव रावत ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने नेतृत्व पर निर्णय में विलंब को लेकर वरिष्ठ नेताओं पर हमला बोला है और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव की मांग की है।
राहुल गांधी के कारण इस समय भाजपा विरोधी ताकतें मुखर हो रही हैं
रावत ने भाषा के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ इस समय भाजपा विरोधी ताकतें मुखर हो रही हैं तो यह कहा जा सकता है कि राहुल गांधी ने जो मुहिम शुरू की थी उसका परिणाम दिखना शुरू हो गया है। लोग राहुल जी को एक युवा और डायनैमिक नेता के तौर पर देख रहे हैं। अब उन्हें अध्यक्ष बनना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम सोनिया जी के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण समय पर नेतृत्व संभाला। आज भी वह हमारी संरक्षक और मार्गदर्शक हैं। लेकिन इस लड़ाई में जो सेनापति हैं वो राहुल गांधी हैं। हम चाहते हैं कि वह आएं।’’ अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की मांग पर उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस का हर अध्यक्ष तो चुनाव की प्रक्रिया से आता है। आगे भी प्रक्रिया पूरी होगी और कांग्रेस राहुल गांधी के साथ एकजुट होकर खड़ी है।’’ रावत ने कहा कि राहुल को जवाबदेही का जो संदेश देना था, वह संदेश चला गया है।
जैसे इंदिरा और राजीव के समय में युवा आगे आए, वैसे ही राहुल के समय में भी होना चाहिए
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस में कुछ वरिष्ठ नेता राहुल के साथ काम करने को लेकर असहज हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरी समझ से ऐसा कोई नहीं है जो उनके साथ असहज हो। लेकिन समय परिवर्तनशील है। आगे का नेतृत्व खड़ा होना है। अब 73 साल का हरीश रावत उतना काम नहीं कर सकता है जो 40 साल का नौजवान कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में पीछे-पीछे हम (वरिष्ठ) चलें और आगे-आगे युवा चलें। हमें चलने से कोई रोक नहीं रहा है। जवान तो हमें सहारा देते हैं। कुछ एकाध मामले अलग हो सकते हैं। लेकिन हमारे यहां पीढ़ी का संघर्ष का कभी नहीं रहा।’’ रावत ने कहा कि इंदिरा गांधी के समय युवा लोग आए, राजीव गांधी के समय भी युवा तुर्क आए और अब राहुल जी के नेतृत्व में नयी पीढ़ी तो आनी ही चाहिए।
तार्किक ढंग से चीजें आगे बढ़ रही हैं इसी कारण से अध्यक्ष पद में विलंब हो रहा है
अध्यक्ष पद को लेकर विलंब के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘तार्किक ढंग से चीजें आगे बढ़ रही हैं। हर कांग्रेस जन राहुल गांधी को चाहता है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कई वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के ही अध्यक्ष बने रहने के पक्ष में हैं तो रावत ने कहा, ‘‘जो लोग (सोनिया और राहुल में) फर्क करते हैं वो कांग्रेस के काम करने के तरीके को भूल जाते हैं। हमारी पार्टी में प्रक्रिया है कि एक दूसरे से सलाह-मशविरा करते हैं। राहुल जी अध्यक्ष थे तो ऐसा नहीं है कि उन्हें सोनिया जी का मार्गदर्शन नहीं मिलता था।’’ निकट भविष्य में प्रियंका के नेतृत्व संभालने के प्रश्न पर रावत ने कहा, ‘‘ प्रियंका जी खुद कई बार कह चुकी हैं कि मेरे नेता राहुल गांधी। उन्होंने यह नहीं कहा कि मेरे भाई राहुल गांधी। उनके शब्दों को रेखांकित करना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि असम और उत्तराखंड में कांग्रेस को जिताने के लिए वह पूरी सक्रियता और उर्जा के साथ काम करेंगे।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)