सार

अप्रैल माह में ओडिशा के रायपुर में 25 दिन की बच्ची को कोरोना संक्रमण हो गया। सांस की कई दिक्कतों से जूझ रही बच्ची की दिन ब दिन हालत बिगड़ती जा रही थी। 25 दिन की बच्ची को लेकर परिजन भुवनेश्वर के जगन्नाथ अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के डाॅ.अरिजित माहापात्रा बताते हैं कि बच्ची की हालत बहुत खराब थी

भुवनेश्वर। यूं हीं डाॅक्टर्स को धरती का भगवान नहीं कहा जाता है। 25 दिन की कोविड पाॅजिटिव बच्ची, जो वेंटिलेटर पर चली गई थी, को बेहतर मेडिकल देखरेख में बिल्कुल स्वस्थ कर दिया। जब बच्ची अस्पताल में आई थी तो वह सांस की कई दिक्कतों से भी पीड़ित थी।

20 दिन में कोरोना को मात दिया 25 दिन की बच्ची ने
 
अप्रैल माह में ओडिशा के रायपुर में 25 दिन की बच्ची को कोरोना संक्रमण हो गया। सांस की कई दिक्कतों से जूझ रही बच्ची की दिन ब दिन हालत बिगड़ती जा रही थी। 25 दिन की बच्ची को लेकर परिजन भुवनेश्वर के जगन्नाथ अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के डाॅ.अरिजित माहापात्रा बताते हैं कि बच्ची की हालत बहुत खराब थी, जीवित रखने के लिए उसे तत्काल वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखना पड़ा। कोविड पाॅजिटिव थी लेकिन महज 25 दिन की होने के वजह से कोई दवाइयां भी नहीं दे सकते थे। डाॅ.माहापात्रा बताते हैं कि हम डाॅक्टर्स के लिए बच्ची का जान बचाना बड़ी चुनौती साबित हो रही थी। इलाज के अभाव में नन्हीं जान को जाते नहीं देख सकते थे। 

फिर लिया एक बड़ा फैसला

डाॅ. अरिजित माहापात्रा बताते हैं कि बच्चों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की मनाही है। लेकिन वह एकमात्र लाइफ सेविंग विकल्प था। इसलिए हमने बच्ची के माता-पिता को बताकर, उनकी सहमति से उसको इंजेक्शन देने का फैसला किया। इंजेक्शन बच्ची को लगा। 

और दस दिनों में ही हंसने-खेलने लगी बच्ची

धीरे-धीरे उसकी हालत में सुधार होने लगा। दस दिनों में ही उसके वेंटिलेटर सपोर्ट को हटा दिया गया। बीसवें दिन बच्ची बिल्कुल स्वस्थ हो गई।

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