Online Gaming Bill 2025: ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर बैन को लेकर सरकार के फैसले पर मिक्स रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ जहां कुछ लोग इसे गलत बता रहे हैं, वहीं ऐसे लोग भी हैं जो सरकार के पक्ष में हैं। जानते हैं एक यूजर का एक्सपीरियंस।  

Online Gaming Ban User Reaction : ऑनलाइन गेमिंग पर बैन लगाने के लिए सरकार प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 लाई है। 20 अगस्त को इसे लोकसभा में पास करा लिया गया। वहीं, सरकार के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही है। एक तरफ जहां ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों को नौकरी जाने का डर सताने लगा है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सरकार के फैसले का स्वागत कर रहे हैं और ऑनलाइन गेमिंग को बैन करने के फैसले को सही ठहरा रहे हैं।

ऑनलाइन गेमिंग कंपनी ने तो मेरे पति को मार ही डाला था

गुरुग्राम की रहने वाली अनामिका गौड़ नाम की एक यूजर ने लिंक्ड-इन पर अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है, जिसमें उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग को बैन करने के फैसले को सही बताया है। अनामिका के मुताबिक, मेरे पति एक ऑनलाइन गेमिंग कंपनी में काम करते थे और इस नौकरी ने उन्हें लगभग मार ही डाला था। इसलिए मैं पूरे यकीन के साथ कह सकती हूं कि ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध इस देश का अब तक का सबसे अच्छा फैसला है। क्योंकि मैंने देखा है कि ये कंपनियां असल में क्या हैं, सिर्फ बाहर से नहीं बल्कि अंदर से भी।

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बेहद जहरीला था ऑनलाइन गेमिंग कंपनी का माहौल

अनामिका ने अपनी बात आगे कहते हुए बताया- मेरे पति ने एक ऑनलाइन गेमिंग कंपनी में कुछ महीने काम किया और इस दौरान वो इतना टूट गए थे, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पहले दिन से ही वहां का माहौल बेहद जहरीला था। चीख-पुकार, गाली-गलौज के बीच काम के अमानवीय घंटे, जिसे ऐसे लोगों द्वारा ऑपरेट किया जाता था, जिनके पास नैतिकता नाम की कोई चीज नहीं थी। लेकिन उस माहौल से भी बदतर तो खुद ये कारोबार था।

गेम में हराने के लिए रोबोट्स से कराई जाती थी धांधली

अनामिका के मुताबिक, मेरे पति ने कुछ ऐसे प्लेयर्स के सुसाइड नोट देखे जिन्होंने अपना सब कुछ गंवा दिया था और इसके लिए कंपनी को दोषी ठहराया था। इतना ही नहीं, मेरे पति ने देखा कि लोगों को गेम में हराने के लिए रोबोट्स द्वारा धांधली कराई जाती थी। जबकि, प्लेयर्स को बताया जाता था कि वे 'असली लोगों' के खिलाफ खेल रहे हैं। मेरे पति ने सट्टा जारी रखने के लिए उसने एक सरकारी स्कूल के टीचर को अपनी जमीन बेचते तक देखा।

अपराधबोध में बीमार हो गए मेरे पति, लेकिन..

कल्पना कीजिए कि आप हर दिन उस अपराधबोध को ढोते रहे। ये सब जानते हुए कि आप एक ऐसी मशीन का हिस्सा हैं, जिसे लोगों को मौत के कुएं में धकेलने के लिए ही डिजाइन किया गया है। इसका असर ये हुआ कि मेरे पति को तनाव और चिंता ने इस कदर जकड़ लिया कि एक दिन वो दफ्तर में ही गश खाकर गिर पड़े। बाद में डॉक्टरों ने बताया कि इससे उनकी जान भी जा सकती थी। लेकिन क्या कंपनी को उनकी परवाह थी? नहीं। जब वो बेड रेस्ट पर थे और रिकवर कर रहे थे, तब कंपनी ने उन्हें पीआईपी (PIP) पर रखा और कुछ ही दिनों में बिना किसी कारण के नौकरी से निकाल दिया।

लालच, चालाकी और बिना किसी मानवता के फलता-फूलता रहा कारोबार

ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पूरी तरह लालच, चालाकी और जीरो ह्यूमिनिटी पर फलता-फूलता रहा। इसने न सिर्फ कई खिलाड़ियों बल्कि कर्मचारियों को भी बर्बाद कर दिया। मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग ने मेरे जैसे कई परिवारों को तबाह करके रख दिया। लेकिन अब इस पर बैन लगाने के लिए सरकार ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पास किया है, जिसके बाद मुझे लगता है कि मेरे और दूसरे लोगों के साथ कुछ हद तक न्याय हुआ है। अब लाखों लोग इस जाल में फंसने से बच जाएंगे। साथ ही मेरे पति जैसे न जाने कितने ही कर्मचारी इस तरह के जहरीले नरकों में काम करने से दूर रहेंगे।

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