सार
नौ विपक्षी दलों के नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। विपक्ष के खिलाफ बदले की कार्रवाई हो रही है। पत्र में मनीष सिसोदिया के खिलाफ हुई सीबीआई की कार्रवाई की निंदा की गई है।
हैदराबाद। नौ विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखा है। इन नेताओं में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी शामिल हैं। पत्र में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही आरोप लगाया गया है कि विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का खुल्लमखुल्ला दुरुपयोग किया जा रहा है।
पत्र पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पंजाब के सीएम भगवंत मान, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, एनसीपी नेता शरद पवार, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्लाह, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता उद्धव ठाकरे और समाजवारी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने साइन किया है।
निरंकुशता में बदल गया है भारत
पत्र में आरोप लगाया गया है कि विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का घोर दुरुपयोग हो रहा है। ऐसा लगता है कि भारत लोकतंत्र से निरंकुशता में बदल गया है। राज्यपाल जैसे संवैधानिक कार्यालयों का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। दिल्ली शराब नीति मामले में सीबीआई द्वारा पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किए जाने के मामले का पत्र में जिक्र किया गया। पत्र में कहा गया है कि सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं। इससे राजनीतिक साजिश की बू आती है। उनकी गिरफ्तारी से देशभर में लोगों के मन में आक्रोश है।
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पत्र में कहा गया है कि दिल्ली की स्कूली शिक्षा को बदलने के लिए सिसोदिया को विश्व स्तर पर पहचाना जाता है। उनकी गिरफ्तारी को दुनिया भर के लोग इस रूप में देख रहे हैं कि भारत में विरोधियों के खिलाफ किस तरह राजनीतिक बदले की कार्रवाई हो रही है। दुनिया पहले से ही संदेह कर रही है कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को भाजपा शासन से खतरा है। इस तरह की कार्रवाई से इस संदेह की पुष्टि होती है।
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भाजपा में शामिल होने पर मिल जाती है राहत
पत्र में आरोप लगाया गया है कि भाजपा में शामिल होने पर भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी नेताओं को राहत मिल जाती है। इसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और पूर्व टीएमसी नेताओं शुभेंदु अधिकारी व मुकुल रॉय का उदाहरण देते हुए दावा किया गया है कि जांच एजेंसियां भाजपा में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से चलती हैं।