सार
निर्भया केस में एक फरवरी को चारों दोषियों को फांसी होगी या नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि चारों दोषियों में से दोषी पवन के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प बचा हुआ है।
नई दिल्ली. निर्भया केस में एक फरवरी को चारों दोषियों को फांसी होगी या नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि चारों दोषियों में से दोषी पवन के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प बचा हुआ है। वहीं विनय और अक्षय के पास दया याचिका का भी विकल्प है। वहीं खबर है कि निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए पवन जल्लाद ने तिहाड़ में रिपोर्ट किया।
दोषियों के वकील पहुंचे कोर्ट
एक फरवरी को दोषियों को फांसी न हो, इसके लिए वकील एपी सिंह ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वकील का कहना है कि कुछ दोषियों ने अभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है, उन्हें फांसी से पहले सभी विकल्पों को अपनाने का मौका दिया जाए।
17 जनवरी को खारिज हुई थी दया याचिका
दोषी मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दिया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।
गैंगरेप के 13 दिन बाद निर्भया ने दम तोड़ दिया था
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।