सार
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने रिहा होते ही बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। रिहाई के तुरंत महबूबा ने एक ऑडियो जारी कर जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने को काला फैसला करार दिया। उन्होंने कहा, कश्मीर को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा।
श्रीनगर. जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने रिहा होते ही बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। रिहाई के तुरंत महबूबा ने एक ऑडियो जारी कर जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने को काला फैसला करार दिया। उन्होंने कहा, कश्मीर को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा। महबूबा मुफ्ती को करीब 14 महीने बाद मंगलवार को रिहा किया गया। उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत हिरासत में रखा गया था। उधर, कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और फारुख अब्दुल्ला बुधवार को मुलाकात करने पहुंचे।
महबूबा मुफ्ती ने रिहा होने के बाद 1.23 मिनट का ऑडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा, मैं आज लंबे अर्से के बाद रिहा हुई हूं। इस दौरान 5 अगस्त 2019 के दिन का काला फैसला हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता रहा। मुझे अहसास है कि यही कैफियत जम्मू कश्मीर के तमाम लोगों को रही होगी। कोई भी शख्स उस दिन की डाकाजनी और बेइज्जती को कतई नहीं भूल सकता।
'उस हक को वापस लेना चाहिए'
पूर्व मुफ्ती ने आगे कहा, हम सबको यह बात याद करनी होगी कि दिल्ली दरबार ने पिछले साल 5 अगस्त को गैर आइनी, गैर जम्हूरी, गैर कानूनी से जो हक छीन लिया, उसे वापस लेना होगा। उसके साथ साथ मसले कश्मीर, जिसकी वजह से हजारों लोगों ने अपनी जान न्योछावर कीं, उसको जारी रखने के लिए हमें अपनी जद्दोजहद जारी रखनी होगी। मैं मानती हूं कि यह आसान नहीं होगा। लेकिन मुझे यकीन है कि हम सबका हौसला और अजम ये दुश्वार रास्ता तय करने में मॉविन होगा। आज जब मुझे रिहा किया गया, मैं चाहती हूं कि जम्मू कश्मीर में जितने लोग जेल में बंद हैं, उन्हें भी रिहा किया जाए।
5 अगस्त 2019 से थीं हिरासत में
महबूबा मुफ्ती को 5 अगस्त 2019 में हिरासत में लिया गया था। महबूबा समेत राज्य के तमाम बड़े नेताओं को इसी दिन हिरासत में लिया गया था। इस दिन केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिया था। इसके बाद इसी साल फरवरी में उन्हें पीएसए के तहत बंदी बनाया गया था। मुफ्ती के अलावा कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला समेत राज्य के तमाम नेताओं को हिरासत में लिया गया था। हालांकि, धीरे धीरे करके सभी को रिहा कर दिया गया।
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