सार

एक चतुर राजनेता और दूरदर्शी प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने समय-समय पर विरोधियों को गलत साबित किया है। जो लोग प्रधानमंत्री को करीब से जानते हैं, उन्हें पता है कि वो परिणाम की परवाह किए बिना एक कर्मयोगी की तरह काम करते हैं। 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 72 साल के हो गए हैं। एक चतुर राजनेता और दूरदर्शी प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने समय-समय पर विरोधियों को गलत साबित किया है। जो लोग प्रधानमंत्री को करीब से जानते हैं, उन्हें पता है कि वो परिणाम की परवाह किए बिना कर्मयोगी की तरह काम करते हैं। पीएम मोदी के बारें में आखिर क्या है ऑर्गनाइजर के पूर्व संपादक डॉक्टर आर बालशंकर की राय, आइए जानते हैं। 

मैं भविष्य में नहीं देखता, ना ही मुझे देखने की जरूरत है। लेकिन एक चीज है जो मुझे अपने सामने साफ दिखाई दे रही है और वो ये कि भारत माता एक बार फिर जाग उठी हैं। वो अपने सिंहासन पर पहले से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से विराजमान हैं। शांति और आशीर्वाद की आवाज के साथ इसे पूरी दुनिया में प्रचारित करें। 
- स्वामी विवेकानंद 


राजनीति, सैद्धांतिक भौतिकी की तरह है और यह मारियो पूजो के उपन्यास की तरह ही मनोरंजक भी है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित ग्लोवन्नी विग्नेल की एक किताब 'ब्यूटीफुल इनविजिबल' ने फिजिक्स की तुलना उपन्यास से की है। एक अच्छा वैज्ञानिक सिद्धांत एक प्रतीकात्मक कहानी की तरह है, वास्तविकता का एक रूपक है। इसके पात्र अमूर्त हैं, जो वास्तविकता में मौजूद नहीं हो सकते, लेकिन फिर भी वे हमें वास्तविकता के बारे में और अधिक गहराई से सोचने का एक तरीका देते हैं। कला के एक अच्छे काम की तरह, सिद्धांत अपनी खुद की दुनिया बनाता है: वास्तविकता को किसी और चीज में बदल देता है- शायद एक भ्रम, लेकिन...एक भ्रम, जिसका शाब्दिक तथ्य से अधिक मूल्य है। विग्नेल ने रचनात्मकता, कल्पना और सैद्धांतिक भौतिकी पर अपनी पुस्तक में लिखा है।

नरेंद्र मोदी की 2014 की चुनावी जीत की कहानी का अभी तक पूरी तरह से विश्लेषण नहीं किया गया है। इस घटना की एक सहानुभूतिपूर्ण, एकेडमिक मान्यता अभी तक सामने नहीं आई है, क्योंकि अधिकांश समकालीन इतिहासकारों ने इसे अस्थायी रूप से खारिज कर दिया था। किसी ने भी इस घटना के पीछे के आदमी को समझने की कोशिश नहीं की।

गुजरात के सुदूर गांव के एक साधारण व्यक्ति ने जो कुछ किया उसे पाने के लिए एक असाधारण दिव्यता की जरूरत थी। सैद्धांतिक भौतिकी की तरह विज्ञान के ज्यादातर सार महान लेखकों के कामों की तरह हैं, जैसा कि विग्नेल ने बताया था कि कल्पना और जुनून की वजह से ही पेंडुलम से लेकर सापेक्षता के सिद्धांत और क्वांटम यांत्रिकी तक की वैज्ञानिक यात्रा  संभव हो पाई। ठीक इसी तरह जब मोदी सत्ता में आने वाले थे, तो उस वक्त भी पूरे देश में लोगों के अंदर भावनाओं का ज्वार था। केवल मोदी ने कल्पना की थी कि भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल कर सकती है और ऐसा हुआ। 

मोदी सरकार से पहले कभी नहीं दिखे इतने बदलाव : 
नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों ने मुझे प्रेरित किया। 2014 के चुनाव के बाद मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने दिखाया है कि एक वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध, गहन राष्ट्रवादी नेतृत्व पांच साल क्या कर सकता है। हमने भारत में कई बदलाव देखें हैं, जो इससे पहले कभी नजर नहीं आए। खुशी का अंश अब एक विजयी राजनीतिक रणनीति बन गई है और कई सरकारें अधिक से अधिक लोगों को अधिकतम सुख प्रदान करने के लिए प्रयोग कर रही हैं।

वाजपेयी ने नींव रखी, अब मोदी इमारत बना रहे हैं : 
अटल बिहारी वाजपेयी ने जो नींव रखी, अब नरेन्द्र मोदी उस पर एक अद्भुत इमारत का निर्माण कर रहे हैं, जो पूरी दुनिया को अचंभित कर रही है। इस दौरान मोदी ने भारत की आधी आबादी (जो पूरे यूरोप की आबादी से दोगुनी है) को पहले से कहीं बेहतर जिंदगी उपलब्ध कराई है। मोदी ने बिजली, फ्री गैस कनेक्शन, हेल्थ इंश्योरेंस, लोन स्कीम्स, मुफ्त आवास, साफ शौचालय, बेहतर सड़कें और डिजिटल इंडिया से लोगों का जीवनस्तर पूरी तरह बदल दिया है। इन सभी जरूरी सुविधाओं को मोदी ने हर एक जरूरतमंद के दरवाजे तक पहुंचाया है। इससे पहले कभी भी इतनी बड़ी आबादी को इतने बेहतर तरीके से सुविधाएं नसीब नहीं हुईं।  

विवेकानंद की भविष्यवाणी को साकार कर रहे मोदी : 
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने ऐलान किया था कि भारत अगले 30 सालों के लिए दुनिया के विकास को गति देगा। पिछली शताब्दी की शुरुआत में स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी की थी कि भारत माता लंबी नींद से एक बार फिर उठेंगी। अब ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए इस भविष्यवाणी को साकार करने वाले व्यक्ति बन गए हैं।

भारत को लंबे समय से जिसका इंतजार था, वो हैं मोदी : 
मोदी वो बन गए हैं, जिसका भारत को लंबे समय से इंतजार था- भाग्य का आदमी। यही वो कहानी है, जिसे हमें पकड़ना है। कैसे उन्होंने ज्वार को मोड़ दिया? कैसे निराशावाद और नकारात्मकता ने बड़े बदलाव का विरोध करने और उन्हें रोकने की कोशिश की? लेकिन बावजूद इसके  उन्होंने आशा की मशाल जलाई और 'सबका साथ, सबका विकास' के साथ सभी को लेकर आगे बढ़े।

दबे-कुचलों लोगों की आवाज बने मोदी : 
मोदी गरीबों को मजबूत बनाने के इरादे से आगे बढ़े। उन्होंने गरीबों को उनके हिस्से का एहसास कराया और इसके लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया। भारतीय समाज में जो लोग पिछड़े और दबे-कुचले थे, अब उनकी आवाज न सिर्फ गूंज रही है बल्कि निहित स्वार्थ को चकनाचूर कर रही है। मोदी एक नई राजनीतिक संभावना की शुरुआत कर रहे हैं। और जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने कहा था- देश को एक दृष्टि दो, बिना दृष्टि के एक राष्ट्र मर जाएगा। 

मोदी जानते थे कि भारत उनका इंतजार कर रहा है : 
मोदी कोई एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर नहीं हैं। उन्हें कदम-कदम पर कड़ा संघर्ष करना पड़ा ताकि वो परीक्षा में बने रहे। राजनीति में उनके वंश का कोई भी शख्स दूर-दूर तक नहीं था। 1 अप्रैल 2012 को जब मैं उनसे ऑर्गनाइजर के संपादक के रूप में मिला तो वे उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। हमारी मुलाकात उनके आधिकारिक आवास पर हुई। इस दौरान उन्होंने अपने विचार साझा किए और उन्हें पूरा भरोसा था कि केवल वे ही बड़े पैमाने पर बदलाव ला सकते हैं। वे अपनी अपार लोकप्रियता से पूरी तरह वाकिफ थे और उन्हें पता था कि भारत उनका इंतजार कर रहा है।

मोदी के पास इतिहास रचने का मौका : 
सार्वजनिक जीवन में भाग्य के सहारे कई नेताओं ने बड़ी-बड़ी बाधाओं को पार किया है, लेकिन इतिहास रचने में कुछ ही कामयाब हुए हैं। अब्राहम लिंकन ने अमेरिकी प्रेसीडेंसी को फिर से स्थापित कर संघ के रूप में उसे मजबूत किया। फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने मंदी से लड़ाई लड़ी और आर्थिक महाशक्ति के रूप में अमेरिका को मजबूत किया। देंग श्याओपिंग ने चीनी साम्यवाद को पुन: परिभाषित किया और चीन में आधुनिक नव-पूंजीवादी युग की शुरुआत की। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक इतनी ऊंचाइयों को प्राप्त नहीं किया है, लेकिन उनके पास इतिहास बनाने, भारत को आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

मोदी के आर्थिक सुधारों ने बंद किया विरोधियों का मुंह : 
बड़े राजनीतिक जोखिम के साथ नोटबंदी और जीएसटी जैसे दो साहसिक आर्थिक सुधार करने के बाद, मोदी ने विरोधियों को गलत साबित कर दिया है। स्टार्टअप्स के लिए मुद्रा योजना की शुरुआत करके मोदी ने अपना रोजगार चाहने वाले हर एक स्वाभिमानी भारतीय को नौकरी के अलावा एक अलग करियर ऑप्शन दिया है। ऐसा कम ही होता है कि इतिहास एक नेता को बनाने और उसे आशा के प्रहरी के रूप में पेश करने के लिए कारकों का ऐसा संयोजन प्रदान करता है। 

कर्मयोगी की तरह काम करते हैं मोदी : 
मैंने एक बार उनसे पूछा था कि उनकी कामयाबी का राज क्या है? उनका जवाब था- स्वयं को मिटाने की क्षमता रखता हूं। उनका कहने का मतलब था कि वो परिणाम की परवाह किए बिना कर्मयोगी की तरह काम करते हैं। वो जो भी काम करते हैं, उसे सफल बनाने की दिशा में अपनी पूरी ऊर्जा लगा देते हैं। शायद इसी तरह उन्हें परिभाषित किया जा सकता है। 

(नोट - ये लेखक के निजी विचार हैं)