सार

सरकार बजट की प्रक्रिया में जुटी है, लेकिन जीडीपी ग्रोथ में गिरावट की वजह से चिंतित है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक मोदी इस बार बजट की तैयारियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नीति आयोग में 40 से ज्यादा अर्थशास्त्रियों और इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के साथ 2 घंटे तक मैराथन बैठक की।

नई दिल्ली. बजट सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नीति आयोग में 40 से ज्यादा अर्थशास्त्रियों और इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के साथ 2 घंटे तक मैराथन बैठक की। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान मोदी का फोकस 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य पर था। इस दौरान पीएम ने खपत और मांग बढ़ाने के उपायों पर सुझाव मांगे।

अर्थव्यवस्था पर मोदी के 13 वीं बैठक  

बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, सीईओ अमिताभ कांत और दूसरे अधिकारियों के साथ अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और ग्रोथ बढ़ाने के उपायों पर चर्चा हुई। इस दौरान कृषि और इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ दूसरे सेक्टर के मुद्दे रखे गए। गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय भी मीटिंग में शामिल थे। बजट से पहले अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिए यह मोदी की 13वीं बैठक थी।

मोदी ने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर संभाला मोर्चा 

सरकार बजट की प्रक्रिया में जुटी है, लेकिन जीडीपी ग्रोथ में गिरावट की वजह से चिंतित है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक मोदी इस बार बजट की तैयारियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर प्रधानमंत्री की सक्रियता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने प्रमुख उद्योगपतियों के साथ पिछले दिनों दो बैठकें की थीं। इसके अलावा अलग-अलग इंडस्ट्री के लोगों के साथ 10 मीटिंग कर चुके है। सभी मंत्रालयों को भी 5 साल की योजना का खाका तैयार करने को कहा गया है। इनकी समीक्षा के लिए भी मोदी काफी समय दे रहे हैं।

गिरती जा रही जीडीपी 

एक फरवरी को आने वाले आम बजट के लिए प्रधानमंत्री ने जनता से भी सुझाव भी मांगे हैं। वे जानना चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बजट में क्या उपाय किए जा सकते हैं। बता दें जीडीपी ग्रोथ 11 साल के निचले स्तर पर पहुंचने के जोखिम के बीच है। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग ने 2019-20 में ग्रोथ सिर्फ 5% रहने का अनुमान जताया है। ऐसा हुआ तो यह 2008-09 के बाद सबसे कम ग्रोथ होगी।