सार

कोरोना काल के बाद अब देश की दिशा देने के लिए शनिवार को पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद किया। देश के नागरिकों के स्वास्थ्य और आर्थिक सेहत को लेकर पीएम मोदी ने नीति आयोग की 6वीं बैठक की अध्यक्षता की।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी मीटिंग को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया गया। इसमें राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के एडमिनिस्ट्रेटर और लेफ्टिनेंट गर्वर शामिल हुए। इस मीटिंग में मोदी का फोकस किसानों पर रहा। मोदी ने कहा कि 'हम कृषि प्रधान देश कहे जाते हैं, उसके बावजूद भी आज करीब-करीब 65-70 हजार करोड़ रुपए का खाद्य तेल हम बाहर से लाते हैं। ये हम बंद कर सकते हैं। हमारे किसानों के खाते में पैसा जा सकता है। इन पैसों का हकदार हमारा किसान है, लेकिन इसके लिए हमारी योजनाएं उस प्रकार से बनानी होंगी।'

किसानों को थोड़ा गाइड करने की जरूरत है- पीएम

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों हमने दालों में प्रयोग किया, उसमें सफलता मिली। दालों को बाहर से लाने में हमारा खर्च काफी कम हुआ है। ऐसी कई खाद्य चीजें बिना कारण हमारे टेबल पर आ जाती हैं। हमारे देश के किसानों को ऐसी चीजों के उत्पादन में कोई मुश्किल नहीं है। थोड़ा गाइड करने की जरूरत है और इसके लिए ऐसे कई कृषि उत्पाद हैं जिन्हें किसान न सिर्फ देश के लिए पैदा कर सकते हैं, बल्कि दुनिया को भी सप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सभी राज्य अपनी एग्रो क्लाइमेटिक रीजनल प्लानिंग की स्ट्रैटजी बनाएं। उसके हिसाब से किसान को मदद करें।

मोदी ने कहा कि 'बीते सालों में कृषि से लेकर पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक होलिस्टिक अप्रोच अपनाई गई। इसका नतीजा है कि कोरोना के दौर में देश में कृषि निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हमारा पोटेंशियल इससे कहीं अधिक ज्यादा है। हमारे प्रोडक्ट्स का वेस्टेज कम से कम हों, इसके लिए स्टोरेज और प्रोसेसिंग पर भी ध्यान देने की जरूरत है।'

मिलकर काम करें केंद्र-राज्य- मोदी

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश की प्रगति का आधार है कि केंद्र और राज्य साथ मिलकर काम करें और निश्चित दिशा में आगे बढ़ें। को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को और अधिक सार्थक बनाना और यही नहीं हमें प्रयत्नपूर्वक कॉम्पीटीटिव, को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को न सिर्फ राज्यों के बीच बल्कि ड्रिस्ट्रक्ट तक ले जाना है।

प्राइवेट सेक्टर का भी हमें सम्मान करना है- पीएम

पीएम मोदी ने कहा कि को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को और अधिक सार्थक बनाना और यही नहीं हमें प्रयत्न पूर्वक कम्पटेटिव को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को न सिर्फ राज्यों के बीच, बल्कि डिस्ट्रिक्ट लेवल तक ले जाना ही होगा ताकि विकास की स्पर्धा निरंतर चलती रहे। पीएम ने आगे कहा कि '2014 से, ग्रामीण और शहरी भारत में 2.4 करोड़ से अधिक घर बनाए गए हैं। एक और पहल चल रही है, जिसमें भारत में छह राज्यों में आधुनिक तकनीक से मकान बनाए जा रहे हैं। कुछ महीनों में, नए मॉडल के साथ मजबूत घर बनाए जाएंगे।' प्रधानमंत्री ने कहा कि 'हम ये भी देख रहे हैं कि कैसे देश का प्राइवेट सेक्टर, देश की इस विकास यात्रा में और ज्यादा उत्साह से आगे आ रहा है। सरकार के नाते हमें इस उत्साह का, प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में उतना ही अवसर भी देना है।'

'1500 कानून खत्म किए'- पीएम

पीएम ने रिफॉर्म्स पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि 'हाल ही में ऐसे कई रिफॉर्म्स किए गए हैं, जो सरकार का दखल कम करते हैं। हमने 1500 कानून खत्म किए हैं। मैनें कहा है कि कंप्लायंस की संख्या कम हो। मैं दो चीजों का आग्रह करता हूं। आज हमें अवसर मिला है। इसमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की कोशिश रहनी चाहिए। इसके लिए कानूनों और व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा। देश के लोगों के लिए ईज ऑफ लिविंग बिजनेस के लिए काम करना होगा। आपकी तरफ से देश को आगे ले जाने वाले विचारों का स्वागत रहेगा।'

कृषि उत्पादों के नुकसान को कम करना चाहिए- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि 'बीते सालों में कृषि से लेकर, पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक होलिस्टिक अप्रोच अपनाई गई है। इसका नतीजा है कि कोरोना संकट के दौर में भी देश के कृषि निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है। भारत ने कृषि क्षेत्र में निर्यात में वृद्धि देखी। हमारे पास इस क्षेत्र में बहुत अधिक क्षमता है।' पीएम ने कहा कि 'कृषि उत्पादों के नुकसान को यथासंभव कम करना चाहिए और हमें भंडारण और प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमें निवेश के सभी स्रोतों को इस क्षेत्र से जोड़ना होगा।'

ये हैं बैठक के मुद्दे

बैठक के एजेंडे में कृषि, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण, मानव संसाधन विकास, जमीनी स्तर पर सेवा वितरण और स्वास्थ्य और पोषण पर विचार-विमर्श शामिल है। इस दौरान पिछली बैठक के एजेंडे पर उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की जाएगी। नीति आयोग की इस बैठक में केंद्र सरकार बुनियादी ढांचे, निर्यात,स्वास्थ्य, शिक्षा समेत हाल में ही पेश किए गए आम बजट को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करेगी। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास संबंधी तमाम मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

अमरिंदर सिंह नहीं हो पाएंगे बैठक में शामिल

नीति आयोग की इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा की जानी है, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज NITI आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे। वह अस्वस्थ हैं। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि वो ममता बनर्जी भी शामिल नहीं होंगी। उनकी जगह पर पंजाब के वित्त मंत्री बैठक में भाग लेंगे। राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल उनके स्थान पर बैठक में भाग लेंगे।

वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने की बात कही जा रही है। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी बैठक शामिल नहीं होने की संभावना हैं।

पहली बार बैठक में लद्दाख भी हुआ शामिल

बता दें कि नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल नियमित रूप से बैठक करती है। यह सरकार की छठी बैठक होगी, जिसमें सरकार के शीर्ष थिंक टैंक हिस्सा लेंगे। नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में सभी मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर, कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं।

नीति आयोग की छठी बैठक में पहली बार लद्दाख ने भी हिस्सा लिया, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर की भागीदारी भी शामिल है। इस बार, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुखों को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।