सार
डिजिटल इंडिया कैम्पेन के 1 जुलाई को 6 साल पूरे होने पर इसकी अब तक कि यात्रा, सफलता और संघर्ष से जुड़े तमाम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री ने इस योजना का लाभ उठाने वाले देश के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले लाभार्थियों से उनके अनुभव भी जाने।
नई दिल्ली. देश में संचार क्रांति लाने वाले डिजिटिल इंडिया कैम्पेन को आज यानी 1 जुलाई को पूरे 6 साल हो गए। इसकी संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इसके लाभार्थियों से संवाद किया। उन्होंने डिजिटल इंडिया की अब तक कि यात्रा, सफलता और संघर्ष से जुड़े तमाम मुद्दों पर अपनी बात भी रखी। यह संवाद वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हुआ। कार्यक्रम का आयोजन इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया गया। इस मौके पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत सूचना और प्रसारण मंत्री ने अपनी बात रखकर की। इसके बाद डिजिटल इंडिया से जुड़ा एक वीडियो दिखाया गया।
मोदी के संवाद की प्रमुख बातें; जो उन्होंने लाभार्थियों से बातचीत के दौरान कहीं
मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया यानी पारदर्शी, भेदभाव रहित और भ्रष्टाचार पर चोट है। मोदी ने कहा कि शिक्षा का डिजिटल होना आज समय की मांग है। अब हमारी कोशिश है कि गांव में सस्ती और अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी मिले। सस्ते मोबाइल और दूसरे माध्यम उपलब्ध हो ताकि गरीब से गरीब बच्चा भी अच्छी पढ़ाई कर पाएं।
डिजिटल इंडिया ने वन नेशन, वन MSP की भावना को भी साकार किया है। ये दशक, डिजिटल टेक्नॉलॉजी में भारत की क्षमताओं को, ग्लोबल डिजिटल इकॉनॉमी में भारत की हिस्सेदारी को बहुत ज्यादा बढ़ाने वाला है। इसलिए बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स इस दशक को 'India’s Techade' के रूप में देख रहे हैं।
डिजिटल इंडिया के बारे में बोले मोदी
डिजिटल इंडिया यानी पारदर्शी, भेदभाव रहित और भ्रष्टाचार पर चोट
डिजिटल इंडिया यानि समय, श्रम और धन की बचत।
डिजिटल इंडिया यानि तेजी से लाभ, पूरा लाभ।
डिजिटल इंडिया यानि मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिम गवर्नेंस
कोरोनाकाल में फायदेमंद
कोरोना काल में डिजिटल इंडिया अभियान देश के कितना काम आया है, ये भी हम सभी ने देखा है। जिस समय बड़े-बड़े समृद्ध देश, लॉकडाउन के कारण अपने नागरिकों को सहायता राशि नहीं भेज पा रहे थे, भारत हजारों करोड़ रुपए, सीधे लोगों के बैंक खातों में भेज रहा था।
किसान और डिजिटल इंडिया
किसानों के जीवन में भी डिजिटल लेनदेन से अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों को 1 लाख 35 करोड़ रुपए सीधे बैंक अकाउंट में जमा किए गए हैं।
कोविन ऐप की चर्चा
आरोग्य सेतु ऐप से कोरोना संक्रमण को रोकने में बहुत मदद मिली है। टीकाकरण के दौरान दुनिया के कई देश कोविन ऐप में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनके देश में भी इस योजना का लाभ मिले।
कोविड काल और डिजिटल इंडिया
कोविड काल में हमने अनुभव किया कि डिजिटल इंडिया ने हमारे काम को कितना सरल बना दिया। कल्पना कीजिए कि अगर डिजिटल कनेक्टिविटी नहीं होती तो कोरोना में क्या स्थिति होती। डिजिटल इंडिया मतलब सबको अवसर, सबको सुविधा, सबकी भागीदारी।
बलरामपुर उत्तर प्रदेश की सुहानी साहू ने शेयर किया दीक्षा प्रोग्राम
सुहानी से पीएम ने पूछा दीक्षा प्रोग्राम के बारे में कैसे पता चला? कक्षा 5वीं में पढ़ने वाले सुहानी ने बताया कि उसे यह जानकारी वाट्सऐप लिंक से मिली। सुहानी से पीएम ने पूछा दीक्षा प्रोग्राम के बारे में कैसे पता चला? कक्षा 5वीं में पढ़ने वाले सुहानी ने बताया कि उसे यह जानकारी वाट्सऐप लिंक से मिली।
पीएम ने सुहानी की शिक्षक प्रतिमा से पूछा-दीक्षा उपयोग कैसे कर रही हैं? दीक्षा ने बताया कि बिना नेटवर्क के भी कंटेंट्स का डाउनलोड करके इसका देश में कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर लिंक नहीं मिली, तो पाठ्यपुस्तकों में क्यूआर कोड के जरिये भी स्कैन कर सकते हैं। दीक्षा पर 3200 कोर्स हैं। पिछले 1 साल में ये कोर्स कर चुकी हूं। इससे मोटिवेट हुईं। इसमें हेल्प और सपोर्ट के लिए एक ऑप्शन है, इससे समस्या का समाधान हो जाता है।
इनसे भी बात की
प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के हिंगोली के रहने वाले प्रह्लाद बोरघड़ से बात की। प्रह्लाद ने डिजिटल इंडिया के जरिये किसानों मिली सुविधाओं के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, "ई-नाम पोर्टल इसलिए बनाया गया है ताकि किसान देश की सभी मंडियों में अपनी फसल का सौदा कर सके। इस पोर्टल पर किसान और व्यापारी बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं।"
प्रधानमंत्री ने बिहार-चम्पारन के रहने वाले शुभम कुमार और उनकी दादी से बातचीत की। यह गांव नेपाल सीमा पर है। शुभम ने बताया कि ई संजीवन ऐप के जरिये वे इलाज के लिए किसी भी डॉक्टर से परामर्श ले पाते हैं। इससे पहले उन्हें अपनी दादी को लखनऊ ले जाना पड़ता था। शुभम ने बताया कि उनके गांव में इंटरनेट तकनीक में काफी इम्प्रूवमेंट हुआ है।
प्रधानमंत्री ने ई संजीवनी जैसे टेलीमेडिसिन को लेकर लखनऊ के रहने वाले डॉक्टर भूपेंद्र से भी बात की। भूपेंद्र ने बताया कि जब कोरोना काल आया, तब उन्हें लगा था कि शायद वे मरीजों की सेवाएं नहीं कर पाएंगे। लेकिन ईसंजीवनी ने यह समस्या दूर की। अब वे दूरदराज गांवों के भी मरीजों को देख पा रहे हैं।
सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर सिंह ने बताया
देश में आज 50 हजार से अधिक बीपीओ खुल गए हैं। आने वाले समय में देश के घर-घर तक, गांव-गांव तक डिजिटल सेवाएं मिलेंगी। 6 साल डिजिटल इंडिया के पूरे हो गए। गरीबों के बैंक खाते खोले गए। कल्याणकारी योजनाओं के पैसे सीधे गरीबों के बैंक खाते में डाले हैं। आज डिजिटल एग्रीकल्चर के जरिए किसान अपनी फसल बेच रहे हैं।
क्या है डिजिटल इंडिया
डिजिटल इंडिया को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को लांच किया था। यह भारत सरकार की एक पहल है जिसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोड़ना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है। डिजिटल इंडिया के तीन मुख्य घटक हैं-
- डिजिटल आधारभूत ढांचे का निर्माण करना।
- इलेक्ट्रॉनिक रूप से सेवाओं को जनता तक पहुंचाना।
- डिजिटल साक्षरता।