सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 11 बजे एक बार फिर रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कई ऐसे पहलू जानने को मिले जिस पर आपाधापी में ध्यान ही नहीं जाता। कोरोना के खिलाफ लड़ाई पीपल ड्रिवन है। यह लड़ाई जनता लड़ रही है।

नई दिल्ली. देश में जारी लॉकाउन और कोरोना के कहर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 11 बजे एक बार फिर रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में देश को संबोधित किया। पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम के 64वें एडिशन में लोगों से बात करते हुए कहा कि कई ऐसे पहलू जानने को मिले जिस पर आपाधापी में ध्यान ही नहीं जाता। भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई पीपल ड्रिवन है। यह लड़ाई जनता लड़ रही है।

पीएम मोदी के मन की बात

  • हम भाग्यशाली हैं कि देश का हर नागरिक इस लड़ाई का सिपाही है। आप कहीं भी नजर डालिए, अहसास हो जायेगा कि यह जनता की लड़ाई है। जब पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा है। भविष्य में जब इसकी जनता होगी तो भारत की पीपल ड्रिवन लड़ाई की चर्चा जरूर होगी।
  • ताली-थाली, दीया मोमबत्ती से लोगों में भावनाएं जगीं। शहर हो या गांव ऐसा लग रहा है जैसे देश में महायज्ञ चल रहा है जिसमें हर कोई योगदान देने को आतुर हैं। हमारे किसान भाई बहन दिन रात खेतों में मेहनत कर रहे हैं और चिंता कर रहे हैं कि कोई भी भूखा न सोए। 
  • कोई तनख्वाह दान दे रहा है, कोई मास्क बना रहा है तो कोई खेत की सब्जियां दान दे रहा है। कोई जिस स्कूल में क्वारंटीन में हैं उसकी रंगाई-पुताई कर रहा है।यही भाव कोरोना के खिलाफ लड़ाई को ताकत दे रहा है।
  • पिछले कुछ साल में हमारे देश में यह मिजाज़ बना है। लाखों लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ी।
  • cavidworriors.gov.in सरकार ने इस प्लैटफॉर्म के माध्यम से सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधी और स्थानीय प्रशासन को जोड़ दिया है। इसमें अब तक सवा करोड़ लोग जुड़ चुके हैं।
  • हमारे साथियों ने इतने कम समय में तीन लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है और 500 टन मेडिकल सामग्री देश के कोने-कोने में पहुंची है। इसी तरह रेलवे के साथी भी दिन-रात काम कर रहे हैं।

  • देशभर में चिकित्सा से जुड़े लोगों ने अध्यादेश पर संतोष व्यक्त किया है। इस अध्यादेश में चिकित्सा कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा पर कड़ी सजा के प्रावधान किए गए हैं। 

  • हम अनुभव कर रहे हैं कि इस महामारी के दौरान समाज को फ्रेश नजरिए से देखने का अवसर मिला है। आज अपने जीवन से जुड़े हर व्यक्ति की महत्ता का असहसास हो रहा है।

  • सोशल मीडिया पर हम देख रहे हैं कि लोग लॉकडाउन के दौरान अपने साथियों को याद कर रहे हैं, उनकी मदद भी कर रहे हैं और उनपर लिख रहे हैं। लोग सफाई कर्मचारियों पर पुष्पवर्षा कर रहे हैं। हमारे डॉक्टर और पुलिस व्यवस्था को लेकर आम लोगों की सोच में काफी बदलाव हुआ है। पहले पुलिस के बारे में सोचते ही नकारात्मकता के खिलाफ कुछ नजर नहीं आता था। आज हमारे पुलिस कर्मचारी लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं। 

  • हम अक्सर प्रकृति, विकृति और संस्कृति के बारे में सुनते हैं। अगर मानव प्रकृति की पात करें तो यह मेरा है, मैं इसका उपयोग करता हूं। यह बहुत स्वाभाविक है। 

  • लेकिन जो मेरा नहीं है उसे मैं दूसरे से छीन लेता हूं, हम इसे विकृति कह सकते हैं। 

  • इससे ऊपर जब कोई अपने हक की चीज दूसरों की मदद करते हैं और खुद की चिंता छोड़कर अपने हिस्से को बांटकर दूसरों की जरूरत पूरी करता है वही तो संस्कृति है।

  • आज भारत के आयुर्वेद को भी लोग विशिष्ट भाव से देख रहे हैं। कोरोना की दृष्टि से इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जो प्रोटोकॉल दिया है मुझे विश्वास है कि आप इसका उपयोग कर रहे होंगे। 

  • कई बार हम अपनी शक्तियों को मानने से इनकार कर देते हैं और जब दूसरा देश रिसर्च करके वही बात बताता है तो हम मान लेते हैं। इसके पीछे कारण सैकड़ो साल की गुलामी भी रही है। भारत की युवा पीढ़ी को इस चुनौती को स्वीकार करना होगा। जैसे विश्व ने योग को स्वीकार किया है वैसे ही आयुर्वेद को विश्व जरूर स्वीकार करेगा।

  • बड़ा परिवर्तन हुआ है और लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं। जब हम मास्क की बात करते हैं तो पुरानी बात याद आती है। एक जमाना था जब कोई व्यक्ति फल खरीदता था तो पूछा जाता था कि घर में कोई बीमार है। समय के साथ यह धारणा बदली। अब मास्क को लेकर धारणा बदलने वाली है। अब मास्क सभ्य समाज का प्रतीक बन जाएगा।

  • मेरा सुझाव तो रहता है कि गमछा का प्रयोग करें। पहले यहां-वहां थूक देना आम बात बन गई थी। हम इस समस्या को जानते थे लेकिन यह समस्या समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब समय आ गया है, इस बुरी आदत को समाप्त कर दिया जाए। 

  • इस साल अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। यह याद दिलाता है कि हमारी भावना अक्षय है, चाहे कितनी भी आपदा आए इससे जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय हैं। माना जाता है कि यही वह दिन है जब पांडवों को अक्षय पात्र मिला था। हमारा अन्नदाता किसान इसी भावना से परिश्रम करते हैं। इन्हीं की वजह से हमारे पास अन्न के भंडार हैं। 

  • रमजान का भी पवित्र महीना शुरू हो गया है। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि रमजान में इतनी बड़ी मुसीबत होगी। लेकिन जब विश्व में मुसीबत आ ही गई है तो हमें इसे सेवाभाव की मिसाल देनी है। हम पहले से ज्यादा इबादत करें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करें। 

  • मैं आपसे आग्रह करूंगा कि हम कतई ज्यादा आत्मविश्वास में न फंस जाएं। हम यह भ्रम न पालें कि हमारे यहां कोरोना नहीं पहुंचा, इसलिए अब नहीं पहुंचेगा। ऐसी गलती न करें। हमारे यहां कहा जाता है, सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। हमारे पूर्वजों ने कहा है, हल्के में लेकर छोड़ दी गई आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाते ही दोबारा बढ़कर खत्म हो जाती है, इसलिए इसका पूरी तरह उपचार जरूरी होता है।

  • दो गज की दूरी, बहुत है जरूरी। कामना करते हैं कि अगली बार जब हम मिलें तो दुनियाभर से कोरोना से मुक्ति की खबरें मिलें। 

मांगे थे सुझाव

प्रधानमंत्री का यह इस साल का चौथा और मन की बात का कुल 64वां संस्करण होगा। इससे पहले पीएम मोदी ने 29 मार्च को मन की बात की थी। 12 अप्रैल को एक ट्वीट करते हुए बताया था कि इस महीने की मन की बात 26 तारीख को होगी। इसके लिए पीएम मोदी ने सुझाव मागे थे। पीएम ने लिखा था, 'आपके क्या सुझाव हैं? अपना संदेश रिकॉर्ड करने के लिए 1800-11-7800 डायल करें या फिर MyGov और NaMo ऐप पर लिखें।

3 मई तक बढ़ाया था लॉकडाउन 

पीएम मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी। जिसकी मियाद 14 अप्रैल को पूरी हो रही थी। लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पीएम मोदी ने लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया। 

देश में कोरोना का हाल 

देश में अब तक 26 हजार 283 केस सामने आए हैं। शनिवार को रिकॉर्ड 1926 मामले आए। हालांकि राहत की बात है कि कोरोना संक्रमित 5939 लोग ठीक हो चुके हैं, जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। वहीं, अब तक 825 लोगों की मौत हो चुकी है।