सार

खुद को पीएमओ का अधिकारी बताने वाले वडोदरा के मयंक तिवारी ने दो डॉक्टरों-डॉ.प्रणय कुमार सिंह और डॉ.सोनू वर्मा की ओर से डॉ.अग्रवाल हास्पिटल को यह मैसेज भेजवाया कि मामला को निपटा दें।

नई दिल्ली: PMO के एक कथित फर्जी अधिकारी के बारे में सीबीआई को शिकायत मिली है। गुजरात के वडोदरा के रहने वाले आरोपी पर एक फाइनेंशियल विवाद में एक फेमस आई हास्पिटल के टॉप ऑफिसर को धमकी देने का आरोप है। बताया जा रहा है कि कथित पीएमओ के अधिकारी के रूप में उसने धमकी दी है।

डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल के मुख्य कार्यकारी डॉ. आदिल अग्रवाल ने इंदौर के दो डॉक्टरों से 16.43 करोड़ रुपये प्राप्त करने के लिए मध्यस्थता की लड़ाई जीती थी। हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था। अस्पताल को दोनों ने धोखा दिया था। दरअसल, हाईकोर्ट के फैसले के बाद कथित पीएमओ अधिकारी की मामले में एंट्री हुई। खुद को पीएमओ का अधिकारी बताने वाले वडोदरा के मयंक तिवारी ने दो डॉक्टरों-डॉ.प्रणय कुमार सिंह और डॉ.सोनू वर्मा की ओर से डॉ.अग्रवाल हास्पिटल को यह मैसेज भेजवाया कि मामला को निपटा दें।

सीईओ को भेजा मैसेज

फर्जी पीएमओ अधिकारी ने डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल के सीईओ को कई संदेशों में एक मैसेज धमकी भरा भी भेजा था। एक मैसेज में उसने लिखा: मैंने आपसे आपसी सहमति से मामला सुलझाने का अनुरोध किया था और यह आप पर निर्भर करता है कि आप इस मामले को कैसे संभालते हैं।

क्या था पूरा मामला?

डॉ. अग्रवाल अस्पताल ने कहा कि उनके हास्पिटल ग्रुप और विनायक नेत्रालय चलाने वाले इंदौर के दो डॉक्टरों ने जनवरी 2020 में एक एमओयू साइन किया था। इस एमओयू के तहत यह तय हुआ कि विनायक नेत्रालय की पूरी टीम डॉ.अग्रवाल हास्पिटल में ट्रांसफर हो जाएगी। लेकिन समझौते के बाद भी दोनों डॉक्टर्स ने डॉ. अग्रवाल नेत्र अस्पताल में काम नहीं किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अस्पताल ने व्यवस्था के तहत डॉ. सिंह और डॉ. वर्मा को 16.43 करोड़ रुपये का भुगतान किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि दोनों डॉक्टरों ने पैसे लेने और समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इंदौर में डॉ. अग्रवाल के नेत्र अस्पताल में आने वाले मरीजों को अन्य नेत्र डॉक्टरों के पास भेजना शुरू कर दिया। डॉ. अग्रवाल ने आरोप लगाया कि डॉ. सिंह और डॉ. वर्मा ने अन्य डॉक्टरों के साथ मिलकर, जो डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल चेन का हिस्सा नहीं हैं, एक प्रतिस्पर्धी अस्पताल भी शुरू किया।

इसके बाद, डॉ अग्रवाल ने कानूनी रास्ता अपनाया और हाईकोर्ट ने मध्यस्थता का आदेश दिया। जुलाई 2022 में डॉ अग्रवाल के पक्ष में एक इंटरनल आदेश जारी कर इंदौर के दोनों डॉक्टरों को चार सप्ताह के भीतर 16.43 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया। मध्यस्थता आदेश में यह भी कहा गया कि डॉ. अग्रवाल के साथ मामला सुलझने तक दोनों डॉक्टर कोई भी नेत्र अस्पताल नहीं खोल सकते। इसी आदेश के बाद फर्जी पीएमओ अधिकारी का मामले में प्रवेश हुआ। डॉ.अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड बड़ा हास्पिटल चेन है जिसके बीते छह दशकों में भारत और साउथ अफ्रीका में 100 से अधिक आई हास्पिटल हैं।

पीएमओ ने सीबीआई को दी जानकारी

सीबीआई को पीएमओ ने बताया कि मयंक तिवारी ने पीएमओ में सरकारी सलाहकार के निदेशक का रूप धारण किया। कुछ बिजनेसमैन को धमकी देने के लिए पदनाम का इस्तेमाल किया। पीएमओ ने शिकायत में कहा कि पीएमओ में ऐसा कोई व्यक्ति कार्यरत नहीं है।

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