सार

बीजेपी ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कश्मीर के जिस हिस्से पर आज पाकिस्तान का कब्जा है, उसके लिए पूरी तरह से नेहरू जिम्मेदार हैं।

BJP Attacks Congress on PoK: बीजेपी ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कश्मीर के जिस हिस्से पर आज पाकिस्तान का कब्जा है, उसके लिए पूरी तरह से नेहरू जिम्मेदार हैं। शौर्य दिवस पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गौरव भाटिया ने कहा कि 27 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि इसी दिन जम्मू-कश्मीर का विलय भारत के साथ हुआ था। लेकिन इसके अलावा आज ये भी याद करने का दिन है कि किस तरह से भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने कुछ ऐसी गलतियां कीं, जिसकी बड़ी कीमत हमारे देश को, देशवासियों को और कश्मीर के नागरिकों को चुकानी पड़ी। 

निजी हितों को लिए देशहित को किया अनदेखा : 
गौरव भाटिया ने कहा- एक लोकतंत्र मजबूत होते हुए भी आत्मचिंतन करता है। अपनी इतिहास में की गई भूलों से सीखता है। ये प्रेस कान्फ्रेंस इसलिए भी अहम है, क्योंकि जवाहरलाल नेहरु जी की जो पांच भूले थीं, इन्हें दबाए रखने का कांग्रेस ने कुत्सित प्रयास किया। आज की प्रेस कान्फ्रेंस की जो सबसे बड़ी बात है, वो ये कि कैसे कांग्रेस और नेहरु जी द्वारा अपनी निजी महत्वाकांक्षा को प्राथमिकता दी गई और देशहित को अनदेखा कर दिया गया। 

नेहरू जी ने निभाई शेख अब्दुल्ला से दोस्ती : 
गौरव भाटिया ने कहा कि कश्मीर के राजा हरि सिंह भारत में विलय चाहते थे और इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर साइन करने को भी तैयार थे। लेकिन नेहरु जी की दोस्ती शेख अब्दुल्ला के साथ थी, ये हर कोई जानता है। उन्होंने ऐसी दोस्ती निभाई, जिसकी वजह से आजाद भारत पर पाकिस्तानी आक्रांताओं ने आक्रमण कर दिया और भारत की जमीन पर पाकिस्तान ने अनाधिकृत कब्जा कर लिया। 

अंदरूनी मामले को नेहरू जी UN में ले गए : 
अगर नेहरु जी से समय रहते ये फैसला ले लेते तो आज पीओके का मसला ही नहीं होता। हमने देखा किस तरह से भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सामने अपना पक्ष रखा, लेकिन ये भी एक बहुत बड़ी भूल थी कि हमारे अंदरूनी मामले को नेहरु जी यूनाइटेड नेशंस में ले गए। 

सरदार पटेल के नक्शेकदम पर चलते तो ये दिन न देखने पड़ते : 
भारत की जनता आज ये सवाल पूछ रही है कि समय रहते अगर सरदार पटेल के नक्शेकदम पर चलते हुए त्वरित कार्रवाई होती तो शायद जो जिहादी आतंकवाद का रूप हम देख रहे हैं, उसका सामना नहीं करना पड़ता। कुछ महीनों पहले हमने देखा था कि किस तरह से कांग्रेस ने सच्चाई को दबाने का प्रयास किया। हमारे कश्मीरी हिंदू भाई-बहन जिस तरह से प्रताड़ित किए गए, उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा, ये भी शायद न होता। 

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