सार

लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ भी अपनी राय दे रहे हैं। इसबार किसकी सरकार ये शायद बड़ा सवाल हो सकता था लेकिन जिस प्रकार का माहौल है और विशेषज्ञों की जो राय बनती दिख रही है प्रधानमंत्री मोदी की सरकार फिर से सत्ता में आ सकती है। 

नेशनल डेस्क। लोकसभा चुनाव 2024 में इसबार किसकी सरकार शायद एक बड़ा सवाल हो सकता था। लेकिन इस बार का लोकसभा चुनाव एक ही कहानी के साथ शुरू होता नजर आया है जिसमें सभी राजनीतिक विश्लेषक इस बात से सहमत दिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही तीसरी बार भी सत्ता संभालेंगे यानी फिर से भाजपा की सरकार बनेगी। बीजेपी और एनडीए की सीटों की संख्या को लेकर भविष्यवाणी भी की गई है। राजनीतिक विश्लेषक श्रीन ने इसे लेकर पोस्ट भी किया है। 

बीजेपी और एनडीए की सीट को लेकर भविष्यवाणी
विशेषज्ञ का कहना है कि बीजेपी और एनडीए की सीटों की संख्या को लेकर भविष्यवाणी भले ही अलग हो सकती है लेकिन हर गंभीर राजनीतिक और चुनाव विश्लेषक ये मान रहा है कि मोदी हमसे आगे हैं। राजीतिक विश्लेषक श्रीन ने किए पोस्ट में इसे समझाया है।  

 अब अगर आप विपक्ष होते तो क्या करते?
लोकसभा चुनाव को लेकर यदि आप विपक्ष होते शायद अपनी कहानी लाते, अपने विचार लाते, न्यूज फ्लो कम करने कोशिश करते, लोगों की बीच जाकर संवाद करने की कोशिश करते लेकिन देखने वाली बात ये है कि भाजपा के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी राहुल गांधी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। 

जानें पीएम मोदी के प्रचार का फंडा 
लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ पीएम मोदी का प्रचार का तरीका देखें। पीएम ने मार्च में 9, अप्रैल में 68 और मई में कुल 26 रैली और सभाएं कीं। खास बात ये है कि इसके बाद भी पीएम मोदी ने मार्च से लेकर अब तक कुल 24 इंटरव्यू भी मीडिया को दिए हैं।

उन्होंने थांथी टीवी, असम असम ट्रिब्यून, एशियानेट ग्रुप, विजयवाणी, न्यूज18, सकाल, ईनाडु, कच्छ मित्रा, दिव्य भास्कर, गुजरात समाचार, फूलछाब, संदेश न्यूज, आनंद बाजार पत्रिका, हिंदुस्तान, हिंदुस्तान टाइम्स, एएनआई, दैनिक जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया, न्यूज 18, टाइम्स नाउ समेत इंटरनेशनल मीडिया न्यूजवीक को इंटरव्यू दिया है। 

21 रोडशो भी किए मोदी ने
उन्होंने ये भी बताया कि पीएम ने चुनाव घोषणा के बाद 21 रोड शो भी किए और मंदिरों और गुरुद्वारों की अनगिनत यात्राएं की। प्रतिष्ठित लोगों और आम नागरिकों से भी मुलाकात की। 

राहुल गांधी ने कैसे किया कैंपेन
राहुल गांधी की न्याय यात्रा 17 मार्च को खत्म हुई। इसके बाद से लेकर 8 मई तक राहुल ने 39 जनसभा की। इसमें मार्च में सिर्फ 1, अप्रैल में 29 और मई में 10 जनसभा शामिल है। इनमें कई बैठकें ऐसे क्षेत्र में हुई जहां कांग्रेस के जीतने की बहुत कम संभावना है।

कोई इंटरव्यू नहीं, कुछ प्रेस कॉन्फ्रेंस की
चुनाव की घोषणा के बाद से राहुल गांधी ने इस बीच कोई भी इंटरव्यू नहीं किया। इसके अलावा न्याय यात्रा और INDI गठबंधन के साथ कुछ प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। कांग्रेस के आईटी सेल के साथ सोशल मीडिया प्रोजेक्शन के लिए बातचीत हुई है जहां से उनके शतरंज कौशल के बारे में भी पता चला लेकिन इसके बाद भी इसपर कोई मीडिया इंटरेक्शन या इंटरव्यू नहीं हुआ। 

कुछ सवाल बनते हैं

  • सवाल ये उठता है कि कोई भी गंभीर चुनौती देने वाला दो कार्यकाल के सत्ताधारी के खिलाफ सिर्फ एक तिहाई रैलियों को कैसे संबोधित कर सकता है?
  • कोई इस चुनावी सीजन के दौरान 24-36 घंटे तक चुनाव प्रचार से गायब कैसे रह सकता है?
  • बातचीत के लिए प्रचार के मेनस्ट्रीम या सोशल मीडिया में कैसे नहीं जा सकता?
  • राहुल गांधी जमीनी स्तर पर कार्रवाई में क्यों नहीं नजर आते हैं?
  • क्या कांग्रेस अपना बॉस छुपा रही है ताकि पार्टी को होने वाले नुकसान को कम कर सके?

राजनीतिक विशेषज्ञ ने अंत में यही कहा है कि माफ चाहूंगी, लेकिन लोकसभा चुनाव में चुनौती देने वाला गायब है।