सार

भारतवंशी ऋषि सुनक के ब्रिटेन का नया PM चुना जाना एक ऐतिहासिक बदलाव है। इसे लेकर भारत में जश्न जैसा माहौल है, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर और पी चिदम्बरम ने इसमें अल्पसंख्यक का मुद्दा लाकर विवाद को जन्म दे दिया है। पढ़िए दोनों नेताओं ने क्या tweet किया और भाजपा ने क्या जवाब दिया।

नई दिल्ली. भारतवंशी ऋषि सुनक(Rishi Sunak) के ब्रिटेन का नया PM चुना जाना एक ऐतिहासिक बदलाव है। करीब 200 साल तक भारत पर राज करने वाले अंग्रेजों का देश अब एक भारतीय मूल का शख्स चलाएगा। इसे लेकर भारत में जश्न जैसा माहौल है, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर और पी चिदम्बरम ने इसमें अल्पसंख्यक का मुद्दा लाकर विवाद को जन्म दे दिया है। दोनों नेताओं ने tweet करके अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस(Kamala Harris) और सुनक का उदाहरण देकर तंज कसा है कि क्या यह भारत में हो सकता है? इस पर भाजपा ने पलटवार किया है। बता दें कि सोशल मीडिया पर यह मुद्दा ट्रेंड पकड़ चुका है। पढ़िए भाजपा ने क्या जवाब दिया...

भाजपा प्रवक्ता शहजाद जय हिंद ने दिया कड़ा जवाब
भाजपा प्रवक्ता शहजाद जय हिंद ने ब्रिटेन में ऋषि सुनक के PM चुने जाने पर भारत में अल्पसंख्यक प्रधानमंत्री की वकालत करके विवाद खड़ा करने पर शशि थरूर और पी चिदंबरम पर सवाल खड़े किए हैं। शहजाद ने थरूर और चिदंबरम के tweet पर पलटवार करते हुए लिखा-मुझे लगता है कि डॉ. थरूर और पी चिदंबरम ने कभी भी डॉ. मनमोहन सिंह को स्पष्ट कारणों(गांधी फैमिली की ओर इशारा) से प्रधान मंत्री के रूप में नहीं माना! जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अहमद, ज्ञानी जैल सिंह, अब्दुल कलाम भी राष्ट्रपति बने। #MeritNotMinority का मापदंड होना चाहिए। दु:ख की बात है कि कांग्रेस को यह नहीं मिला।

pic.twitter.com/vnsznoYblO

शशि थरूर ने tweet किया
यदि ऐसा होता है, तो मुझे लगता है कि हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि ब्रितानियों ने दुनिया में कुछ बहुत ही दुर्लभ काम किया है, एक दृश्य अल्पसंख्यक के सदस्य को सबसे शक्तिशाली कार्यालय(PMO) में रखने के लिए। जैसा कि हम भारतीय इस उपलब्धि का जश्न जश्न मनाते हैं, आइए ईमानदारी से पूछें, क्या यह यहां(भारत) में हो सकता है?

पी. चिदम्बरम ने tweet किया
पहले कमला हैरिस, अब ऋषि सुनक। यूएस और यूके के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को गले लगा लिया है और उन्हें सरकार में उच्च पद के लिए चुना है। मुझे लगता है कि भारत और बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाली पार्टियों(भाजपा पर तंज) द्वारा सीखने के लिए एक सबक है।

इन्होंने भी छेड़ा विवाद
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने ट्वीट करके कहा, "यह याद रखना हमारे लिए अच्छा होगा कि यूके ने एक जातीय अल्पसंख्यक सदस्य को अपने पीएम के रूप में स्वीकार कर लिया है, फिर भी हम एनआरसी और सीएए जैसे विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण कानूनों से बंधे हैं।" इस पर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने जवाब दिया कि  महबूबा मुफ्ती जी! क्या आप जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करेंगी?" रविशंकर ने कहा कि सुनक के चुनाव के बाद कुछ नेता बहुसंख्यकवाद के खिलाफ अति सक्रिय हो चले हैं। प्रसाद ने एपीजे अब्दुल कलाम, मनमोहन सिंह और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने का उदाहरण दिया।

सोशल मीडिया पर चला ट्रेंड
twitter पर @ahmedwaqarrr नामक यूजर ने लिखा-एक हिंदू 75% ईसाई आबादी के साथ ब्रिटिश साम्राज्य का पीएम बन सकता है, एक हिंदू 80% ईसाई आबादी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका का उपराष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन भारत सिर्फ 20% मुस्लिम आबादी वाला देश, उनके शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की गारंटी नहीं दे सकता है।मुस्लिम पीएम? मत सोचो।

इस पर @Maddy_IsHere नामक यूजर ने जवाब दिया-हमने आपको अपनी पसंद का मुस्लिम पीएम देने के लिए अपनी जमीन खोकर दो देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश को पहले ही दे दिया है। अब और नहीं। किसी भी इस्लामिक राष्ट्र से पहले हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध या जैन पीएम रखने के लिए कहें।

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