सार
अर्थव्यवस्था को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने मंगलवार को नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से खास बात की। इस दौरान दोनों ने अर्थव्यवस्था की चुनौतियां, कोरोना संकट से निकलने को लेकर मंथन किया। इस दौरान बनर्जी ने सलाह दी कि लोगों के हाथ में कैश पहुंचाने की जरूरत है।
नई दिल्ली. देश में बढ़ रहे कोरोना संकट के कारण 17 मई तक लॉकडाउन जारी है। जिससे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार थम गई है। इन सब के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने मंगलवार को नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से खास बात की। इस दौरान दोनों ने अर्थव्यवस्था की चुनौतियां, कोरोना संकट से निकलने को लेकर मंथन किया। नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने इस दौरान सलाह दी कि लोगों के हाथ में कैश पहुंचाने की जरूरत है, ऐसे में इस वक्त कर्ज को माफ करना चाहिए और कैश की मदद देनी चाहिए।
राहुल गांधी ने अभिजीत से पूछा कि जब आपने नोबेल पुरस्कार जीता तो क्या वह चौंकाने वाला था? अभिजीत बोले बिल्कुल, उन्होंने कभी ऐसा नहीं सोचा था। अभिजीत बनर्जी बोले कि यूपीए सरकार ने काफी अच्छी नीतियां लागू की थीं, लेकिन अब वो सरकार यहां पर लागू नहीं कर रही हैं। यूपीए सरकार ने जिस आधार जैसी योजना को लागू किया था, इस सरकार ने भी उसको सही बताया और उसपर ही काम किया।
अभी तक बड़ा आर्थिक पैकेज नहीं घोषित किया गया
आज के वक्त में इस तरह की सुविधा काफी सही साबित हो सकती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसका मतलब है देशव्यापी योजना लागू नहीं हो पाई है। बनर्जी ने कहा कि कोरोना के आर्थिक असर को देखते हुए हमने अभी तक बड़ा आर्थिक पैकेज घोषित नहीं किया है। हमने जो पैकेज दिया है वह जीडीपी के 1% के बराबर है जबकि, अमेरिका 10% तक पहुंच गया। एमएसएमई सेक्टर के लिए ज्यादा राहत देने की जरूरत है।
बनर्जी ने जाहिर की यह दो चिंता
- कंपनियों के दिवालिया होने के सिलसिले को कैसे रोकें? बनर्जी का कहना है कि कर्ज माफी इसका रास्ता हो सकता है।
- बाजार में मांग नहीं है। इसे बढ़ाने के लिए गरीबों को कुछ पैसा दिया जा सकता है। बनर्जी ने कहा कि निचले तबके के 60% लोगों को थोड़ा ज्यादा पैसा देंगे तो कोई नुकसान नहीं होगा।
गरीबों को लेकर बनर्जी ने दिए ये 4 सुझाव
1- अस्थाई राशन कार्ड की व्यवस्था शुरू होनी चाहिए। मुझे लगता है कि गरीबों को देने के लिए हमारे पास पर्याप्त दाल और तेल है।
2- बहुत से गरीब लोग अभी सिस्टम में नहीं हैं। राशन के लिए आधार-बेस्ड व्यवस्था से उनकी कई दिक्कतें खत्म होंगी।
3- एनजीओ के जरिए लोगों को मदद पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों को पैसा देना चाहिए। कुछ गलतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए। हो सकता है कुछ पैसा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाए।
4- जिन लोगों को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा, उन्हें शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
बैंकों की चुनौती से किस तरह निपटें?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज कैश की दिक्कत होगी, बैंकों के सामने कई तरह की चुनौती होगी और नौकरी बचाना मुश्किल होगा। इसपर अभिजीत ने कहा कि ये बिल्कुल सच होने जा रहा है, ऐसे में देश में आर्थिक पैकेज की दरकार है। अमेरिका-जापान जैसे देशों ने ऐसा किया है, लेकिन हमारे यहां नहीं हुआ। छोटे उद्योगों की मदद करनी चाहिए, इस तिमाही का ऋण भुगतान खत्म कर देना चाहिए।
लॉकडाउन से बाहर निकलने का तरीका क्या?
राहुल गांधी बोले कि लॉकडाउन से जितनी जल्दी बाहर आया जाए, उतना अच्छा है लेकिन उसके बाद भी एक प्लान होना चाहिए, वरना सारा पैसा बेकार है।
इसपर अभिजीत ने कहा कि हमें महामारी के बारे में पता होना चाहिए, लॉकडाउन को बढ़ाने से कुछ नहीं होगा।
राहुल गांधी ने पूछा कि आज देश में राशन कार्ड काफी कम है, लोगों के पास खाना नहीं है। अभिजीत बोले कि हमने इसपर पहले भी सलाह दी है कि सरकार को अभी राशन कार्ड जारी करने चाहिए, जो कम से कम तीन महीने के लिए काम करें और हर किसी को मुफ्त में राशन मिल सके। हर किसी को इस वक्त चावल, दाल, गेहूं और चीनी की जरूरत है।
केंद्र को गरीबों के लिए नई योजना लाना चाहिए
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बड़े फैसले भले ही केंद्र सरकार ले, लेकिन लॉकडाउन या जमीनी फैसलों को राज्य सरकार को लेने दिया जाना चाहिए। लेकिन, मौजूदा सरकार अलग हिसाब से चल रही है और केंद्र से ही फैसला ले रही है।
अभिजीत ने कहा कि केंद्र को गरीबों के लिए नई योजना लाने की जरूरत है, वहीं राज्यों और जिला अधिकारियों को गरीबों को लेकर सीधा लाभ पहुंचाने की जरूरत है।
राहुल गांधी ने पूछा कि 6 महीने के बाद जब बीमारी चली जाएगी तो अर्थव्यवस्था पर क्या होगा। अभिजीत ने कहा कि अभी सबसे बढ़िया तरीका है कि लोगों का कर्ज माफ कर दिया जाए और लोगों को नकदी दी जाए। इसी तरह लोगों को ताकत दी जा सकती है।
कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी
भारत में जन्मे और अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी को पिछले साल अर्थशास्त्र का नोबेल मिला था। 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया। अभिजीत, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी कम करने के प्रयासों के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल दिया गया।
अभिजीत ब्यूरो ऑफ द रिसर्च इन इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट के पूर्व प्रेसिडेंट हैं। वे सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड पॉलिसी रिसर्च के फेलो और अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स-साइंसेज एंड द इकोनॉमिक्स सोसाइटी के फेलो भी रह चुके हैं।