Congress Leadership Crisis Analysis: कांग्रेस में राहुल गांधी बनाम शशि थरूर की विचारधारा पर एक X यूजर का राजनीतिक विश्लेषण वायरल हो रहा है। इस पोस्ट पर थरूर के रिएक्शन ने कांग्रेस की रणनीति, नेतृत्व और भविष्य की दिशा को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
Rahul Gandhi vs Shashi Tharoor Ideology: कांग्रेस के अंदर चल रही वैचारिक खींचतान एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। इस बार वजह बना है सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर किया गया एक राजनीतिक विश्लेषण, जिस पर खुद कांग्रेस के सीनियर नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, एक्स यूजर सिविटास समीर (Civitas Sameer) ने रविवार शाम करीब एक दर्जन पोस्ट्स में कांग्रेस पार्टी और उसके शीर्ष नेतृत्व, खासतौर पर राहुल गांधी की राजनीतिक दिशा पर सवाल खड़े किए। इस थ्रेड को आइडियोलॉजिकल शटडाउन (Ideological Showdown) यानी वैचारिक टकराव का नाम दिया गया और इसे कांग्रेस के भीतर दो अलग-अलग सोच की लड़ाई बताया गया।
कांग्रेस दो विचारधाराओं के बीच फंसी?
X यूजर सिविटास समीर ने अपने विश्लेषण में कहा कि कांग्रेस आज जिस संकट से गुजर रही है, उसकी जड़ उसकी स्पष्ट वैचारिक पहचान की कमी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी न तो किसी एक विचारधारा को चुन पा रही है, न ही दोनों को जोड़कर कोई ठोस रणनीति बना पा रही है। उनके मुताबिक, 2010 के बाद कांग्रेस ने एक बड़ा रणनीतिक बदलाव किया। एक ऐसी पार्टी बनने की कोशिश की, जो ग्रामीण असंतोष, शिकायत और भावनात्मक राजनीति पर आधारित हो। यह बदलाव बीजेपी की चुनावी मजबूती के जवाब में किया गया, लेकिन बिना जमीनी संगठन और सांस्कृतिक पकड़ के।
राहुल गांधी की राजनीति पर सीधा सवाल
X यूजर ने इस बदलाव का चेहरा राहुल गांधी को बताया और यहां सबसे तीखा हमला किया। उन्होंने लिखा कि 'राहुल गांधी खुद भारतीय राजनीति के सबसे एलीट और संरक्षित नेताओं में से एक हैं। राजनीतिक परिवार में जन्म, सत्ता के केंद्र तक सीधी पहुंच, लेकिन इसके बावजूद वह ग्रामीण राजनीति के प्रतीक बनने की कोशिश कर रहे हैं।' विश्लेषण में कहा गया कि 'ग्रामीण राजनीति भाषणों से नहीं चलती, वह संगठन, संस्कृति और लंबे समय की मेहनत से बनती है।' यहीं पर बीजेपी और RSS की तुलना की गई, जहां बीजेपी की सफलता का कारण कैडर, अनुशासन और सांस्कृतिक जुड़ाव बताया गया, जो कांग्रेस के पास फिलहाल नहीं है।
हाशिए पर डाले गए कांग्रेस के कई नेता
इस पूरे वैचारिक विश्लेषण में शशि थरूर को 1990 के दशक वाली कांग्रेस की सोच का प्रतिनिधि बताया गया। एक ऐसी कांग्रेस जो शहरी, संस्थागत, सुधार-समर्थक और तकनीकी दक्षता पर आधारित थी। इस दौर में जिन नेताओं का जिक्र किया गया, उनमें पीवी नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह (वित्त मंत्री के रूप में), एसएम कृष्णा और मोंटेक सिंह अहलूवालिया का नाम शामिल है। समीर के अनुसार, ये नेता जन-भावनाओं की राजनीति से ज्यादा नीति, प्रशासन और संस्थाओं पर भरोसा करते थे।
क्या शशि थरूर को जानबूझकर साइडलाइन किया जा रहा है?
X यूजर का दावा है कि शशि थरूर जैसे शहरी-तकनीकी सोच वाले नेता कांग्रेस में बार-बार हाशिये पर डाले जाते हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि इन नेताओं को पार्टी से ज्यादा सम्मान और स्वीकार्यता राइट विंग से मिली है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। सिंधिया ने 2020 में मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराई और आज मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं। इसी तरह, सचिन पायलट का उदाहरण भी दिया गया, जिन्हें कांग्रेस आलोचक युवा नेतृत्व के रूप में नजरअंदाज किए जाने का प्रतीक मानते हैं। समीर ने यह भी लिखा कि शशि थरूर पर जो राइटवर्ड शिफ्ट का आरोप लगता है, वह पूरी तरह गलत है। थरूर शुरू से ही एक खुले तौर पर हिंदू पहचान वाले नेता रहे हैं, लेकिन यह पहचान वैचारिक कट्टरता नहीं, बल्कि व्यक्तिगत आस्था पर आधारित है।
शशि थरूर का रिएक्शन
इस लंबे विश्लेषण पर शशि थरूर ने एक छोटा लेकिन बेहद अहम प्रतिक्रिया दिया। उन्होंने X पर लिखा, 'इस सोच-समझकर किए गए विश्लेषण के लिए धन्यवाद। पार्टी में हमेशा से एक से ज्यादा सोच रही है। आपने जो बात रखी है, वह सही है और मौजूदा हालात को लेकर लोगों की एक सोच को दिखाती है।' यानी थरूर ने न तो विश्लेषण को खारिज किया और न ही खुलकर समर्थन किया, लेकिन यह जरूर स्वीकार किया कि कांग्रेस में हमेशा से एक से ज्यादा वैचारिक प्रवृत्तियां रही हैं। इस पर एक्स यूजर समीर का जवाब सिर्फ एक शब्द में आया और लिखा 'Damn! यानी लानत है' और यही प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई।

