कोविड-19 ने हाहाकार मचाया है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक संक्रमण को कम करने और अधिक से अधिक जिंदगियों को बचाने में लगा है। इन सबके बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सवाल और बयान सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किए जा रहे हैं। एक दिन पहले राहुल गांधी ने कोविड महामारी के रोकथाम के लिए विदेशों से मिल रहे मदद पर सवाल उठाए थे।

नई दिल्ली। कोविड-19 ने हाहाकार मचाया है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक संक्रमण को कम करने और अधिक से अधिक जिंदगियों को बचाने में लगा है। इन सबके बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सवाल और बयान सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किए जा रहे हैं। एक दिन पहले राहुल गांधी ने कोविड महामारी के रोकथाम के लिए विदेशों से मिल रहे मदद पर सवाल उठाए थे। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा था कि विदेशों से आने वाली मदद का क्या हो रहा है, क्यों वह राज्यों तक नहीं पहुंचाई जा रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने बिंदुवार इसका जवाब दे दिया। इसके बाद राहुल गांधी सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जा रहे हैं। उन पर बेवजह सवाल करने का आरोप लगाते हुए मजाक उड़ाया जा रहा। 

सोशल मीडिया पर हो गए राहुल गांधी ट्रोल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा किए गए सवाल पर सोशल मीडिया पर उनको घेरा जा रहा है। एक यूजर ने लिखा है कि पीएम इनको ट्यूबलाइट कहते हैं। वह लगातार अपनी खिताब बरकरार रखे हुए हैं। 24 प्रकार के उपकरण व सामान विदेशों से मिले हैं। करीब 40 लाख की संख्या के यह सामान 38 संस्थानों को उपलब्ध करा दिए गए हैं। 

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एक यूजर ने लिखा है कि इनकी राजनीति में उतनी ही वैल्यू है जितना अखबार में राशिफल का होता है। पढ़ता हर कोई है लेकिन यकीन कोई नहीं करता है। 

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एक यूजर ने पूछा है कृपया अपना कंट्रीब्यूशन बताइए। आपने अबतक क्या किया। कोटा में जगह जगह आरएसएस कार्यकर्ता सैनिटाइजेशन कर रहे।

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राहुल ने पूछे थे यह सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोविड महामारी को नियंत्रित करने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों से मिलने वाली राहत को लेकर सवाल किए थे। उन्होंने पूछा था कि 

  • भारत को कितनी और कौन कौन सी विदेशी मदद मिली?
  • विदेशी मदद जो मिली वह कहां है?
  • कौन उसका लाभ पा रहा है?
  • विदेशों से मिल रही मदद का राज्यों को किस तरह आवंटित किया जा रहा?
  • क्यों कोई पारदर्शिता नहीं है। क्या भारत सरकार के पास कोई जवाब है?
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भारत सरकार ने विदेशों से मिली मदद को सिलसिलेवार बताया

भारत सरकार ने बताया कि मेडिकल व अन्य सहायता सामग्री विदेशों से मिल रहे हैं उसे राज्यों को कम समय में उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए 24 घंटे का सुपरविजन अधिकारी कर रहे हैं। सामानों के आने के तुरंत बाद निकासी के लिए काम हो रहा है। 

  • फास्ट ट्रैक आधार पर सामान को जल्द निकाला जा रहा
  • अन्य सामानों की तुलना में इन सामानों को कस्टम संबंधी प्रोसेस में प्राथमिकता दी जा रही है। 
  • निगरानी और निकासी के लिए ईमेल पर नोडल अधिकारी भी सतर्क हो जाते हैं।
  • कोरोना संबंधी आयातों की मॉनिटरिंग सीनियर अफसरों द्वारा की जा रही है। 
  • राज्य सरकार द्वार आयात निशुल्क होने पर या स्वतंत्र रुप से वितरित होने पर प्रमाणीकरण आईजीएसटी भी माफ कर दी गई है। 

राज्यों में कैसे बांटी जा रही विदेशों से मिलने वाली मदद

अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव के तहत मंत्रालय में एक सेल बनाया गया था। यह अनुदान, सहायता और दान के रूप में विदेशी से मिलने वाली मदद की प्राप्ति और आवंटन का समन्वय करता है। यह सेल 26 अप्रैल 2020 से काम कर रहा है। इसमें शिक्षा मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय से दो अतिरिक्त सचिव स्तर के दो अधिकारी, सिविल एविएशन मंत्रालय से आर्थिक सलाहकार, भ्स्स् से तकनीकी सलाहकार, जीएचएस प्रतिनिधि , हेल्थ मिनिस्ट्री से दो संयुक्त सचिव, आईआरसीएस के अन्य प्रतिनिधि के साथ एक महासचिव। 

इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी

विदेश मंत्रालय के माध्यम से प्राप्त सभी खेपो और विदेशों से दान के रूप में आने वाले सामान इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के तहत आते हैं। कागजात मिलने पर आईआरसीएस एयरपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी और नियामक मंजूरी के लिए एचएलएल को तुरंत आवश्यक दस्तावेज जारी करता है। देरी कम हो इसके लिए आईआरसीएस स्वास्थ्य मंत्रालय और एचएलएल के साथ संपर्क में रहता है। फिर ये सारी मदद विदेश मंत्रालय को सौंप दी जाती है। यहां से इसका वितरण करने के लिए सामान स्वास्थ्य मंत्रालय और गृहमंत्रालय को दिया जाता है। 

वितरण के लिए बनाया गया ग्रुप

वितरण की व्यवस्था के लिए एक ग्रुप बनाया गया है। इसका अगुआई ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी कर रहे हैं। लगभग 40 लाख सामानों को 24 विभिन्न श्रेणियों के तहत राज्यों में 86 संस्थानों को वितरित किया गया है।

मरीजों को ध्यान में रखकर किया जा रहा वितरण

विदेशों से आने वाली मदद का वितरण स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर भार को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। पहले कुछ दिनों में, राज्यों को एम्स और अन्य केंद्रीय संस्थानों के माध्यम से कवर किया गया था, जहां कोरोना मरीज ज्यादा थे और वहां आवश्यकता भी अधिक थी। इसके अलावा दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में डीआरडीओ सेंटर्स समेत केंद्रीय सरकारी अस्पतालों को भी मदद पहुंचाई जा रही है। 

इन 31 राज्यों में भेजी गई मदद, या पहुंचाई जा रही है

आंध्र, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दादरा और नागर हवेली, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, लक्ष्दीप, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु. तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बंगाल, उत्तराखंड। 

इन संस्थानों में भेजे गए उपकरण

दिल्ली- एलएचएमसी, सफदरगंज, आरएमएल, एम्स दिल्ली, डीआरडीओ, दिल्ली के दो अस्पताल, एनआईटीआरडी, आटीबीपी दिल्ली। 

नॉर्थ ईस्ट- NEIGRIHMS शिलॉन्ग, RIMS इम्फाल।

नॉर्थ- एम्स भटिंडा, पीजीआई चंडीगढ़, डीआरडीओ देहरादून, एम्स झज्जर।

ईस्ट- एम्स ऋषिकेस, एम्स रायबरेली, एम्स देओधर, एम्स रायपुर, एम्स भुवनेश्वर, एम्स पटना, डीआरडीओ पटना, एम्स कलयाणी, डीआरडीओ बनारस, डीआरडीओ लखनऊ, पीलीभीत।

वेस्ट- एम्स जोधपुर, डीआरडीओ देहरादून, डीआरडीओ अहमदाबाद, जयपुर। 

सेंट्रल- एम्स भोपाल। 

साउथ- एम्स मंगलागिरी, एम्स बीबीनगर, JIPMER पुडुचेरी। 

केंद्र सरकार और पीएसयू में- CGHS, CRPF, SAIL,रेलवे और आसीएमआर। 

Asianet News काविनम्रअनुरोधःआईएसाथमिलकरकोरोनाकोहराएं, जिंदगीकोजिताएं...जबभीघरसेबाहरनिकलेंमाॅस्कजरूरपहनें, हाथोंकोसैनिटाइजकरतेरहें, सोशलडिस्टेंसिंगकापालनकरें।वैक्सीनलगवाएं।हमसबमिलकरकोरोनाकेखिलाफजंगजीतेंगेऔरकोविडचेनकोतोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona