सार
राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि प्रस्तावित डिजिटल इंडिया एक्ट का उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए भारत को विश्व-स्तर पर प्रतिस्पर्धी नवाचार और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में प्रोत्साहन प्रदान करना है।
Rajeev Chandrasekhar on Digital India Bill: केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया बिल लेकर आ रही है। केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने प्रस्तावित डिजिटल इंडिया बिल पर हितधारकों के साथ परामर्श किया। उन्होंने बताया कि जल्द ही आने वाला डिजिटल इंडिया एक्ट भविष्य की चुनौतियों से निपटने वाला एक कानून होगा जिसका उद्देश्य भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आकार देने वाले राष्ट्रों के समूह में अग्रणी की भूमिका निभाने को लेकर भारत की महत्वाकांक्षा को संबल प्रदान करना है।
ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी विधेयक के डिजाइन, रचना-शिल्प और लक्ष्यों को लेकर इसके आरंभिक चरण में ही हितधारकों के साथ चर्चा की जा रही है। यह परामर्श डिजिटल इंडिया संवाद का एक हिस्सा है जो कानून व नीति निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परामर्शपरक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
विधेयक के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर एक प्रस्तुति देते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करना और डिजिटल उत्पादों, उपकरणों, मंचों और समाधानों के लिए वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में भारत की अहमियत और विश्वसनीयता कायम करना है।
राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि प्रस्तावित डिजिटल इंडिया एक्ट का उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए भारत को विश्व-स्तर पर प्रतिस्पर्धी नवाचार और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में प्रोत्साहन प्रदान करना है।
उन्होंने बताया कि 2000 में आईटी अधिनियम के अस्तित्व में आने के बाद खासतौर इंटरनेट और आमतौर पर प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण विकास देखने को मिला है। चंद्रशेखर ने कहा कि बदलते बाजार के रुझानों, प्रौद्योगिकी में व्यापक बदलाव के साथ-साथ संभावित नुकसान से डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नये कानून बनाने की जरूरत है।
ऑनलाइन अपराधों को रोकने के लिए कानून जरूरी
राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इंटरनेट जिसकी उत्पति अच्छाई की ताकत के रूप में हुई वह आज कैटफिशिंग, साइबर स्टॉकिंग, साइबर ट्रोलिंग, गैसलाइटिंग, फिशिंग, रिवेंज पोर्न, साइबर-फ्लैशिंग, डार्क वेब, महिलाओं और बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाला, मानहानि, साइबर-बुलिंग, डॉक्सिंग, सलामी स्लाइसिंग, आदि जैसे यूजर को होने वाले भारी नुकसान पहुंचाने का जरिया बन गया है। इसलिए ऑनलाइन सिविल और क्रिमिनल अपराधों के लिए एक विशेष और समर्पित निर्णायक तंत्र की तत्काल आवश्यकता है।
डीआईए वैश्विक स्तर के साइबर कानूनों को लाने का एक प्रयास
केंद्रीय मंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि डीआईए वैश्विक स्तर के साइबर कानूनों को लाने की दिशा में सरकार का एक प्रयास है। राज्यमंत्री ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इंटरनेट खुला, सुरक्षित और भरोसेमंद और जवाबदेह हो और नवाचार एवं प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी लाए। सरकार में डिजिटलीकरण को तेज करने और लोकतंत्र व शासन को मजबूत करने के लिए एक फ्रमवर्क तैयार हो।
राजीव चंद्रशेखर ने प्रस्तावित कानून के लिए कुछ मार्गदर्शक सिद्धांतों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें इंटरनेट की जटिलताओं का प्रबंधन और उभरती प्रौद्योगिकियों के जोखिमों से निपटने वाली इंटरमीडियरीज का तेजी से विस्तार, नागरिक अधिकारों की रक्षा करना, विभिन्न इंटरमीडियरीज के लिए इंटरनेट का प्रबंधन और सुरक्षा कवच स्थापित करना शामिल है। उन्होंने स्टार्टटप के लिए मुक्त बाजार पहुंच और निष्पक्ष व्यापार की कार्य-प्रणाली को बढ़ावा देने के साथ-साथ कारोबारी सुगमता के मसलों पर भी चर्चा की।
इंटरनेट एक जिम्मेदार स्थान हो और अवैध सामग्री के लिए कोई जगह न हो
प्रस्तावित विधेयक को भविष्य की चुनौतयों से निपटने में कारगर बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि नए कानून को उन नियमों के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए जिन्हें अद्यतन किया जा सकता है, और डिजिटल इंडिया के सिद्धांतों और नियमन के लिए एक सिद्धांतों का अनुपालन हो और नियम-आधारित दृष्टिकोण से उसे डिजाइन डिजाइन किया जा सके। डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के कई पहलुओं के अलावा प्रस्तावित कानून, इंटरनेट से यूजर को होने वाले नुकसान के सवाल से निपटेगा। राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इंटरनेट एक जिम्मेदार स्थान हो सकता है और अवैध सामग्री के लिए निश्चित रूप से भारत में इंटरनेट पर कोई जगह नहीं है।
राज्यमंत्री ने अपनी इस प्रस्तुति के बाद विभिन्न हितधारकों के साथ एक परिचर्चा की, जिसमें उद्योग के प्रतिनिधि, वकील, मध्यस्थ, उपभोक्ता समूह शामिल थे। हितधारकों के सुझावों को नोट किया गया। आईटी राज्यमंत्री के साथ डिजिटल इंडिया संवाद के इस कार्यक्रम में राकेश माहेश्वरी (समूह समन्वयक, साइबरलॉज डिवीजन, एमईआईटीवाई) और डॉ संदीप चटर्जी (वैज्ञानिक, इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री और घटक प्रभाग, एमईआईटीवाई) शामिल हुए थे।
यह भी पढ़ें: