सार

देश के 15 राज्यों में राज्यसभा की 57 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। दस जून को राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। बीजेपी और कांग्रेस ने अपने प्रभाव वाले राज्यों में एक-एक अधिक सीट उतारकर मुकाबले को कठिन बना दिया है।  

नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव में दो मीडिया दिग्गजों के अंतिम समय में प्रवेश ने कम से कम दो राज्यों राजस्थान और हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला खड़ा कर दिया है। दोनों राज्यों में अब कांग्रेस व भाजपा एक दूसरे के असंतुष्ट खेमों में सेंधमारी करना चाह रहे हैं। दोनों पार्टियों को उम्मीद है कि वह दूसरे खेमे के वोटों को तोड़कर अपने अतिरिक्त प्रत्याशी को जीताने में सफल होगी।

राजस्थान में मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा की एंट्री ने बिगाड़ा समीकरण

संसद के उच्च सदन के सदस्य बनने के लिए ज़ी समूह के अध्यक्ष सुभाष चंद्रा ने भाजपा के समर्थन के साथ राजस्थान से अपना नामांकन दाखिल किया है। कांग्रेस राजस्थान की चार में से दो और बीजेपी एक सीट जीतने की स्थिति में है। अब चौथी सीट के लिए मुकाबला सुभाष चंद्रा के साथ होगा, जो कांग्रेस के प्रमोद तिवारी को चुनौती देंगे।

कथित तौर पर भाजपा राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस और अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट विवाद में पनप रही नाराजगी का दोहन करना चाहती है। कांग्रेस ने राजस्थान में राज्यसभा के लिए तीन उम्मीदवारों रणदीप  सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी के नामों का ऐलान किया है। बीजेपी स्थानीय बनाम बाहरी के रूप में आवाज बुलंद कर फायदा उठाना चाहती है। वसुंधरा राजे कैबिनेट के पूर्व मंत्री रहे घनश्याम तिवारी बीजेपी के उम्मीदवार हैं। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 वोट चाहिए।

सबको छोटे दलों पर भरोसा

कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं और भाजपा के पास 71 वोट हैं। बीजेपी के पास 30 सरप्लस वोट हैं और दूसरी सीट जीतने के लिए उसे 11 और वोट चाहिए। तीसरी सीट जीतने के लिए कांग्रेस को 15 और वोट चाहिए। इसलिए, छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार सीट जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 13 निर्दलीय, दो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के सदस्य, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो और सीपीएम के दो विधायक हैं, जो निर्णायक कारक हो सकते हैं।

हरियाणा में भी यही हाल

भाजपा शासित हरियाणा में कांग्रेस को एक सीट पर कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा। आईटीवी नेटवर्क के प्रबंध निदेशक कार्तिकेय शर्मा हरियाणा से राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उनके आने से कांग्रेस के अजय माकन की पिच पर कठिन मुकाबला होने की आशंका है। कार्तिकेय शर्मा कांग्रेस के पूर्व नेता विनोद शर्मा के बेटे और हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के दामाद हैं। उन्हें भाजपा के साथ-साथ जजपा (जननायक जनता पार्टी) का भी समर्थन प्राप्त है। जजपा नेता अजय सिंह चौटाला ने कहा कि पार्टी के सभी 10 विधायक कार्तिकेय शर्मा का समर्थन करेंगे। किसी भी पार्टी को एक सीट जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। कांग्रेस के पास 31 हैं। भाजपा के पास नौ सरप्लस वोट हैं, जिसे वह शर्मा को ट्रांसफर कर सकती है। हालांकि कांग्रेस नेता अजय माकन एक मजबूत स्थिति में हैं परंतु बीजेपी सेंधमारी करना चाहती है। वह कांग्रेस के असंतुष्ट कुलदीप विश्नोई के मार्फत जमीन खिसकाने की कोशिश में लगी है। 

महाराष्ट्र में भी कांग्रेसी असंतोष को भुनाने के चक्कर में बीजेपी

महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटें हैं। एक सीटें कांग्रेस को मिली है जिससे इमरान प्रतापगढ़ी उम्मीदवार हैं। हालांकि, इमरान प्रतापगढ़ी की प्रत्याशिता पर कांग्रेस नेत्री नगमा ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। नगमा ने सवाल खड़े करते हुए स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठाया। इमरान छठें सीट के लिए उम्मीदवार हैं। शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के महा विकास अघाड़ी गठबंधन का कहना है कि उनके पास छह में से तीन सीटें जीतने की संख्या है, जिन्हें राज्य विधानसभा के 288 सदस्यों द्वारा चुना जाना है। भाजपा अपने दम पर दो जीत सकती है, जिससे छठी सीट के लिए मुकाबला खुला है।

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