सार

 सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर इस महीने फैसला सुना सकता है। इससे पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी धर्म, समुदाय, देवताओं, प्रख्यात व्यक्तियों के खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी नहीं करने के निर्देश जारी किए हैं।

अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर इस महीने फैसला सुना सकता है। इससे पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी धर्म, समुदाय, देवताओं, प्रख्यात व्यक्तियों के खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी नहीं करने के निर्देश जारी किए हैं। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर किसी भी आयोजन पर भी रोक लगा दी गई है।

अयोध्या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अनूप झा ने 31 अक्टूबर को निर्देश जारी कर कहा, किसी भी व्यक्ति, संगठन या समुदाय को सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने नहीं दिया जाएगा। सुरक्षा वजहों के चलते तैनात सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर किसी को भी सार्वजनिक स्थानों पर हथियार ले जाने की छूट नहीं है। किसी कार्यक्रम में लोग अपने लाइसेंस वाले हथियार भी नहीं ले जा सकते। प्रशासन मंदिर शहर के किसी भी क्षेत्र में लोगों को इकट्ठा नहीं होने देगा।

जिले में पोस्टर, बैनर पर भी रोक 
निर्देश के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति या संगठन को सार्वजनिक और निजी स्थानों पर कोई भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है, जिससे किसी व्यक्ति या संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचे। साथ ही आर्डर में कहा गया है कि जिले में बिना प्रशासन से अनुमति लिए पोस्टर और बैनर लगाने पर भी रोक है। 

प्रशासन के मुताबिक, "प्रशासन किसी भी व्यक्ति, समूह या राजनीतिक दलों को बिना अनुमति के कार्यक्रम, जुलूस, सार्वजनिक रैलियां आयोजित करने की अनुमति नहीं है। पुतलों को जलाना और भड़काऊ भाषण देने की भी अनुमति नहीं है।"


बिना अनुमति मीडिया डिबेट पर भी रोक
इतना ही नहीं प्रशासन ने बिना अनुमति के अयोध्या में मीडिया डिबेट पर भी रोक लगाई है। इसके अलावा जानवरों की मृत देह को किसी भी सार्वजनिक स्थान पर फेंकने पर भी रोक है। इसके अलावा बिना अनुमति के एक स्थान पर 5 से ज्यादा लोग भी इकट्ठे नहीं हो सकते। 28 दिसंबर तक धारा 144 लागू है। जो इन निर्देशों का पालन नहीं करता उस पर कार्रवाई की जाएगी।
 


40 दिन लगातार सुनवाई के बाद SC ने फैसला सुरक्षित रखा
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में 2.77 एकड़ जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया। 2010 के इलाहाबाद के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 याचिका दायर की गईं थीं।