कैबिनेट ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश को मंजूरी दी है। इसका लक्ष्य 2047 तक 100 GW क्षमता हासिल करना है। 'शांति' बिल के तहत 49% तक FDI की अनुमति होगी और एक नया कानूनी ढांचा बनेगा। सरकार मुख्य कार्यों पर नियंत्रण बनाए रखेगी।

नई दिल्ली: कैबिनेट ने शुक्रवार को नियंत्रित परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश की इजाजत देने वाले बिल को मंजूरी दे दी। यह फैसला 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया गया है। प्लांट ऑपरेटरों की सुरक्षा और उपकरण सप्लायर्स की देनदारी को सीमित करने के लिए नागरिक दायित्व कानून में संशोधन किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (शांति) बिल में इंडियन न्यूक्लियर इंश्योरेंस पूल के तहत ऑपरेटर बीमा को हर घटना के लिए 1,500 करोड़ रुपये करने का भी प्रस्ताव है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इसे आधुनिक रिएक्टर्स विकसित करने के लिए निजी कंपनियों को परमाणु क्षेत्र में शामिल करने की एक बड़ी पहल बताया है। बिल में 49% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की इजाजत देने और एक विशेष न्यूक्लियर ट्रिब्यूनल सहित परमाणु ऊर्जा के लिए एक समान कानूनी ढांचा बनाने का प्रस्ताव है। यह भी कहा गया है कि निजी निवेश को सरकारी निगरानी में स्पष्ट नियमों के तहत कंट्रोल किया जाएगा, जबकि परमाणु ऊर्जा विभाग परमाणु सामग्री के उत्पादन, भारी पानी और कचरा प्रबंधन जैसे मुख्य कामों पर अपना नियंत्रण बनाए रखेगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी निवेश के लिए खोलने की घोषणा की थी। उन्होंने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMR) के रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए 20,000 करोड़ रुपये के परमाणु ऊर्जा मिशन और 2033 तक देश में बने पांच SMR को चालू करने की योजना का भी ऐलान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले महीने संकेत दिया था कि सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी भागीदारों के लिए खोलने की तैयारी कर रही है।

फिलहाल, DAE के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) ही एकमात्र ऑपरेटर है। 24 कमर्शियल रिएक्टर्स भी न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन के तहत ही चलाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि शांति बिल का मकसद परमाणु ऊर्जा नेटवर्क में लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दूर करना है। यह कदम देश में बढ़ती ऊर्जा की मांग, डेटा सेंटरों की ग्रोथ और भारत के 2070 के नेट-जीरो लक्ष्य को देखते हुए उठाया गया है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि दो दशकों में परमाणु क्षमता को दस गुना बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है।