सार

कृषि कानून के विरोध में 11वें दिन किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसानों ने  8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। किसानों के इस बंद को कई राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन किया है। वहीं, अब एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, केंद्र सरकार अगर जल्द से जल्द समाधान नहीं करती तो देशभर के किसान पंजाब हरियाणा के किसानों के साथ आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। 

मुंबई. कृषि कानून के विरोध में 11वें दिन किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसानों ने  8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। किसानों के इस बंद को कई राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन किया है। वहीं, अब एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, केंद्र सरकार अगर जल्द से जल्द समाधान नहीं करती तो देशभर के किसान पंजाब हरियाणा के किसानों के साथ आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। 

 शरद पवार ने कहा, पंजाब और हरियाणा के किसान गेहूं और धान के सबसे बड़े उत्पादक हैं। वे प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर स्थिति का समाधान नहीं किया गया तो जल्द ही देशभर के किसान इसमें शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा, जब बिल पास किया जा रहा था, तब हमने सरकार से अपील की थी कि उन्हें जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। 

बिल पर चर्चा की जरूत थी
शरद पवार ने कृषि बिलों को लेकर कहा, बिल को चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था, इस पर चर्चा की जरूरत थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और बिल पास कर दिया गया। अब सरकार को यह जल्दबाजी भारी पड़ रही है। 

केसीआर ने भी किया किसान आंदोलन का समर्थन
इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस चीफ के चंद्रशेखर राव ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया। उन्होंने कहा, जब तक सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, तब तक लड़ाई जारी रखने की जरूरत है।  
  
टीआरएस की ओर से ट्वीट कर कहा गया, केसीआर ने याद दिलाया कि टीआरएस के सांसदों ने संसद में कृषि बिलों का विरोध किया था। क्योंकि यह किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाता है। केसीआर का मानना है कि लड़ाई को तब तक जारी रखा जाना चाहिए, जब तक कि नए कानूनों को रद्द नहीं किया जाता। 
 
भारत बंद को इन दलों ने दिया समर्थन
किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी क्रम में किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है। कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियां, तृणमूल कांग्रेस, राष्‍ट्रीय जनता दल, तेलंगाना राष्‍ट्र समिति, राष्‍ट्रीय लोकदल , आम  आदमी पार्टी ने इस बंद का समर्थन किया है।