सार

महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी घमासान थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री पद पर अड़ी शिवसेना के तेवर और तल्ख नजर आ रहे हैं।

मुंबई. महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी घमासान थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री पद पर अड़ी शिवसेना के तेवर और तल्ख नजर आ रहे हैं। शिवसेना ने अपने मुख्य पत्र सामना में भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के राष्ट्रपति शासन वाले बयान पर जवाब दिया।    

शिवसेना ने लिखा, ''धमकी और जांच एजेंसियों की जोर-जबरदस्ती का कुछ परिणाम न हो पाने से विदा होती सरकार के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने नई धमकी का शिगूफा छोड़ा है। उन्होंने कहा है कि 7 नवंबर तक सत्ता का पेंच हल न होने पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा। मुनगंटीवार और उनकी पार्टी के मन में कौन-सा जहर उबाल मार रहा है। 

'राष्ट्रपति की मुहरवाला स्टांप भाजपा दफ्तर में है क्या?'
शिवसेना ने अपने पत्र में आगे कहा, ''कानून और संविधान को दबाकर जो चाहिए वो करने की नीति इसके पीछे हो सकती है। एक तो राष्ट्रपति हमारी मुट्ठी में हैं या राष्ट्रपति की मुहरवाला रबर स्टांप राज्य के भाजपा कार्यालय में ही रखा हुआ है तथा हमारा शासन नहीं आया तो स्टैंप का प्रयोग करके महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का आपातकाल लाद सकते हैं, इस धमकी का जनता ये अर्थ समझे क्या?''

 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी शिवसेना
विधानसभा चुनाव में 288 वाले महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। शिवसेना 50-50 फॉर्मूले के आधार पर भाजपा को समर्थन देना चाहती है। शिवसेना का कहना है कि पहले ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री होना चाहिए। मंत्रिमंडल में आधे मंत्री शिवसेना के होने चाहिए।

शिवसेना को कांग्रेस को एनसीपी के समर्थन की जरूरत
महाराष्ट्र में 288 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है। ऐसे में शिवसेना को भाजपा के साथ के बिना सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन की जरूरत है। कांग्रेस के पास 44 और एनसीपी के पास 54 विधायक हैं। हालांकि, कांग्रेस ने विपक्ष में बैठने का ऐलान किया है। उधर, शरद पवार ने भी साफ कर दिया है कि जनता ने विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है, इसलिए एनसीपी वही जिम्मेदारी निभाएगी।