सार

भाजपा पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में मध्य प्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में शिवराज सिंह चौहान को चुना गया। विधायक दल की बैठक के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।  

भोपाल. भाजपा पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में मध्य प्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में शिवराज सिंह चौहान को चुना गया। विधायक दल की बैठक के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शिवराज सिंह चौहान 2005 से 2018 तक लगातार 13 साल तक सीएम रह चुके हैं। उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।   

 

22 कांग्रेसी विधायक दे चुके हैं इस्तीफा, भाजपा में शामिल
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के गिरने की शुरुआत तब हुई, जब कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। कई दिनों तक तो इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता बनी रही। इस्तीफा देने वाले 22 विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन हैं। यह सभी 22 विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

शिवराज सिंह चौहान को फ्लोर टेस्ट में साबित करना होगा बहुमत
शिवराज सिंह चौहान के सरकार बनाने के लिए फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करना होगा। ऐसे में मध्य प्रदेश में सियासी गणित समझते हैं। मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीट है। दो विधायकों का निधन हो चुका है। 22 कांग्रेस के विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में विधानसभा की 24 सीट खाली हैं। ऐसे में विधानसभा की 206 सीट बचती है। बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी।

अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल ने तीन-तीन बार ली सीएम पद की शपथ
मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब कोई चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा। शिवराज सिंह के अलावा अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल ने तीन-तीन बार सीएम पद की शपथ ली है। 

मध्य प्रदेश में उप-चुनाव कब होगा?
मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटें खाली हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 महीने के अंदर इन सीटों पर चुनाव होगा। 

मध्य प्रदेश की राजनीति में अब तक का पूरा अपडेट: एक नजर में
मध्य प्रदेश की राजनीति में उठा-पटक की शुरुआत 10 मार्च के होली वाले दिन हुई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी है। इसके एक दिन बाद 11 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की सदस्यता ले ली। 14 मार्च को सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो गए। 16 मार्च को विधानसभा में गवर्नर ने एक मिनट में अभिभाषण का सिर्फ आखिरी पैरा पढ़ा और इसके 15 मिनट बाद ही अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोरोनावायरस का हवाला देते हुए 26 मार्च तक के लिए सदन स्थगित कर दिया। फ्लोर टेस्ट टल गया। फिर सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। लेकिन फ्लोर टेस्ट वाले दिन दोपहर को ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।