सार

भारतीय युवाओं को नौकरी के नाम पर विदेश भेजकर साइबर क्राइम में धकेला जा रहा है। कबूतरबाजों के चक्कर में फंसे युवाओं साइबर क्राइम करने से इनकार कर रहे हैं तो उनको भयानक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है।

Cyber Crime: भारतीय युवाओं को नौकरी के नाम पर विदेश भेजकर साइबर क्राइम में धकेला जा रहा है। कबूतरबाजों के चक्कर में फंसे युवाओं साइबर क्राइम करने से इनकार कर रहे हैं तो उनको भयानक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। भारतीयों को शारीरिक यातनाएं और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। साइबर अपराधियों द्वारा दी जाने वाली शॉक थेरेपी से तमाम युवाओं की मानसिक और शारीरिक स्थिति बिगड़ जा रही है।

दरअसल, भारतीयों को विदेश भेजने के नाम पर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भेजा जा रहा है। वहां उनको साइबर अपराध में धकेला जा रहा है। अगर कोई इनकार कर रहा है तो उनको भयानक तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा है। साइबर अपराधी उनको जबरिया बंधक बनाकर रख रहे हैं। केंद्र सरकार को ऐसे गैंग्स की रिपोर्ट मिली है। गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय सहित केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को यह रिपोर्ट मिली है।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नौकरी की तलाश कर रहे भारतीयों को उनके कुकीज़ और सर्च हिस्ट्री के माध्यम से सोशल मीडिया ऐप पर विज्ञापन मिलते हैं। आपराधिक कंपनियां सोशल मीडिया साइट्स पर विज्ञापन प्रकाशित करती हैं और इन विज्ञापनों पर बहुत खर्च करती हैं। फिर नौकरी की चाहत में युवा इन फ्रॉड और आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों के संपर्क में आने पर उनकी चंगुल में फंसते चले जाते हैं। युवाओं को यह लोग भारतीय एजेंट्स के नाम पर लाओस, कंबोडिया, म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों में भेजवाते हैं।

अपराधी करा लेते हैं भारतीयों का पासपोर्ट जमा

नौकरी की चाह में जब युवा विदेश पहुंच जाते हैं तो गैंग के सदस्य उनसे पासपोर्ट जमा करा लेते हैं। फिर उनको धोखे से अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट कर दिया जाता है। वहां वह अपराधियों के कैंप में पहुंच जाते हैं। फिर इन युवकों से साइबर अपराध कराया जाता है। लेकिन जो युवा इन अपराधों को करने से इनकार करता है उनको भयानक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है। उनके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया जाता है, शॉक ट्रीटमेंट दिया जाता। अपराधियों के चंगुल में फंसे युवा, किसी से संपर्क नहीं कर पाते।

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