सार
मुंबई में हुए 26/11 बम धमाके(2008 Mumbai terror attack) के मास्टर माइंड साजिद मजीद मीर (Sajid Majeed Mir) की पाकिस्तान में गिरफ्तारी ने सबको चौंका दिया है, क्योंकि खुद पाकिस्तान उसे मरा हुआ घोषित कर चुका था। मीर जब जवानी में कदम रख रहा था, तब से आतंकवादी संगठन लश्कर से जुड़ गया था। वे भारत के अलावा अफगानिस्तान और दूसरे देशों में आतंकवादी घटनाओं का प्लानर रहा है। मुंबई हमले की प्लानिंग वो 2 साल से कर रहा था। पढ़िए कुख्यात आतंकवादी की कहानी...
मुंबई. मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले(26/11, 2008 Mumbai terror attack) के मास्टर माइंड को पाकिस्तान की पुलिस ने हिरासत में लिया है। साजिद मीर फेडरल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) की मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची(FBI's list of most-wanted terrorists) में है। इसके सिर पर $ 5 मिलियन का इनाम रखा गया है। अमेरिका और भारत दोनों इस आतंकवादी को पकड़ने लगातार प्रयासरत रहे हैं। साजिद मजीद मीर (Sajid Majeed Mir) की पाकिस्तान में गिरफ्तारी ने सबको चौंका दिया है, क्योंकि खुद पाकिस्तान उसे मरा हुआ घोषित कर चुका था। मीर जब जवानी में कदम रख रहा था, तब से आतंकवादी संगठन लश्कर से जुड़ गया था। वे भारत के अलावा अफगानिस्तान और दूसरे देशों में आतंकवादी घटनाओं का प्लानर रहा है। मुंबई हमले की प्लानिंग वो 2 साल से कर रहा था। पढ़िए कुख्यात आतंकवादी की कहानी...
2 साल पहले से 26/11 मुंबई अटैक की प्लानिंग करता रहा साजिद मीर
26/11 बम धमाके(2008 Mumbai terror attack) का मास्टर माइंड 44 वर्षीय साजिद मीर (Sajid Mir) को जून के पहले हफ्ते में लाहौर की एक आतंकवाद विरोधी कोर्ट ने आतंकवाद के वित्तपोषण(terror funding) के एक मामले में दोषी ठहराते हुए साढ़े 15 साल जेल की सजा सुनाई थी। उस पर 420,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। सूत्र के मुताबिक फिलहाल वह कोट लखपत जेल में सजा काट रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि कोर्ट के इस फैसले के बारे में सिवाय एक अखबार के अलावा किसी को भनक तक नहीं हुई। कहा जा रहा है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने पाकिस्तान फाइनेंसियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से खुद को निकलवाने के लिए साजिद मीर को अरेस्ट किया। उस पर अप्रैल से ही निगरानी रखी जा रही थी। लेकिन मीडिया को इस बारे में अब पता चला।
कई नामों से जाना जाता है
साजिद मीर को कई नामों से जाना जाता है। फेडरल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) की वेबसाइट पर इसके नाम-साजिद मजीद, इब्राहिम, वसी, खालिद, वशीभाई, वसी इब्राहिम, भाई अली, अली भाई, मूसा भाई, वसी इब्राहिम, इब्राहिम शाह, साजिद माजिद चौधरी, साजिद मजीद चौधरी आदि। यह आतंकवादी इंग्लिश, उर्दू, हिंदी और अरबी अच्छे से जानता है। FBI ने अपनी वेबसाइट पर साजिद मीर को लेकर जो डिटेल्स पोस्ट कर रखी है, उसमें कहा गया कि मीर ने एक बार दाढ़ी और बालों को कंधों तक नीचे कर लिया था। FBI का मानना था कि संभव है कि साजिद मीर ने प्लास्टिक सर्जरी के जरिए अपना रूप बदल लिया हो।
2006 से 2011 तक आतंकवादी संगठन लश्कर से जुड़ा रहा
मीर 2001 से लश्कर का एक सीनियर सदस्य रहा है। 2006 से 2011 तक मीर लश्कर के दूसरे देशों में आतंकवादी गतिविधियों को हैंडल करता था। मीर पर कथित तौर पर 2008 और 2009 के बीच डेनमार्क में एक न्यूज पेपर और उसके कर्मचारियों के खिलाफ आतंकवादी हमले की साजिश रचने का आरोप है। मीर पाकिस्तान स्थित विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) से भी जुड़ा रहा। मीर मुंबई में हुए हमलों के लिए लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य प्लानर था। उसकी ही निगरानी में पूरी योजना बनाई गई और हमला किया गया।
आखिर कौन है ये साजिद मीर(Who is Sajid Mir)
मीर का लश्कर-ए-तैयबा और हाफिज सईद के साथ संबंध 1994 से है, जब वह सिर्फ 16 साल का था। जब आतंकवादी संगठनों की रैंक में उसका दबदबा बढ़ने लगा, तब वह इंटरनेशनल ऑपरेशन विंग से जुड़ गया। जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाने के दौरान वह अलकायदा से भी जुड़ गया था।
साजिद मीर मुंबई हमले की प्लानिंग लंबे समय से कर रहा था। उसने 2005 में भारत का सीक्रेट टूर किया था। जब भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हो रहा था। मैच देखने के बहाने वाो एक क्रिकेट प्रशंसक के रूप लगभग 15 दिनों तक भारत में रहा था।
साजिद मीर का नाम 2002 में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद परिदृश्य पर दिखाई देने लगा, जब उसने अपने वर्जीनिया स्थित सहयोगियों की मदद से अमेरिका से बड़े सैन्य उपकरण खरीदने का प्रयास किया। हालांकि वो इसमें असफल रहा, क्योंकि एफबीआई ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसे वर्जीनिया पेंटबॉल जिहादी केस(Virginia Paintball Jihadi case) के रूप में जाना जाता है। इनमें से दस को जेल हो गई।
बाद में मीर ने ऑस्ट्रेलिया की ओर रुख किया। 2003 में उसने अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की मौजूदगी के खिलाफ एक फ्रांसीसी नागरिक विली ब्रिगिट और एक ऑस्ट्रेलियाई फहीम खालिद लोधी की मदद से ऑस्ट्रेलिया में हमलों की योजना बनाई। जून 2006 में ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने लोधी को आतंकवाद की योजना बनाने के लिए दोषी ठहराया और 20 साल की जेल की सजा सुनाई, जबकि ब्रिगिट, जिसे 2003 में फ्रांस निर्वासित किया गया था, को एक फ्रांसीसी अदालत ने नौ साल की जेल की सजा सुनाई थी।
इसके बाद मीर ने मुंबई हमले पर काम शुरू किया। बाद में 2009 में मीर ने डेनमार्क के कोपेनहेगन में एक अखबार के कार्यालय पर हमला करने की एक असफल योजना पर हेडली के साथ सहयोग किया।
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