सार

28 नवंबर की रात उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को सही-सलामत बाहर निकाल लिया गया। हालांकि, इनमें से एक मजदूर ऐसा भी है, जिसके सुरंग से बाहर निकलते ही उसके सिर से पिता का साया उठ गया। 

Uttarakhand Tunnel Collapse Rescue: उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग से 28 नवंबर को सभी 41 मजदूर बाहर आ गए। इन मजदूरों के इंतजार में उनका परिवार पिछले 17 दिनों से राह ताक रहा था। हालांकि, इनमें से एक मजदूर इतना बदनसीब रहा कि वो खुद तो सुरक्षित बाहर आ गया, लेकिन उसके बाहर निकलते ही सिर से पिता का साया उठ गया।

आखिर कौन है वो बदनसीब मजदूर?

इस बदनसीब मजूदर का नाम भक्तू मुर्मू है और वो झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में बांकीशील पंचायत स्थित बाहदा गांव का रहने वाला है। भक्तू को 28 नवंबर की रात सभी मजदूरों के साथ सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। लेकिन जब वो बाहर आया तो उसे एक मनहूस खबर मिली। भक्तू को बताया गया कि उसके पिता कुछ ही देर पहले इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़कर चले गए।

पिता की मौत की खबर सुनते ही टूट गया भक्तू

पिता की मौत की खबर सुनते ही भक्तू मुर्मू बुरी तरह टूट गया और फूट-फूटकर रोने लगा। पिछले 17 दिनों से वो सुरंग के भीतर इसी आस में जिंदा था कि बाहर निकलते ही अपने सभी परिजनों से मिलेगा, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। बता दें कि टनल में भक्तू के अलावा पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के 6 और मजदूर भी थे।

सदमे की वजह से हुई मौत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 साल के भक्तू के पिता की उम्र 70 साल थी। वे गांव में ही रहते थे। मंगलवार सुबह नाश्ते के बाद वो खटिया पर बैठे थे, तभी अचानक नीचे गिरे और वहीं उनके प्राण निकल गए। कहा जा रहा है कि भक्तू के पिता की मौत अपने बेटे की याद में सदमे की वजह से गई है। वहीं, बारसा मुर्मू के दामाद ने बताया कि उन्हें जबसे अपने बेटे के सुरंग में फंसे होने की खबर लगी, तभी से वो बेहद परेशान थे। बता दें कि बारसा मुर्मू की मौत से भक्तू की मां भी गहरे सदमे में हैं।

ये भी देखें : 

17 दिन बाद पहाड़ का सीना चीर सुरंग से बाहर आया पहला मजदूर, ऐसे हुआ स्वागत