क्या SIR पर चर्चा से संसद की तस्वीर बदल जाएगी? विपक्ष के जोरदार हंगामे, ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ के नारों और लोकसभा-राज्यसभा में बार-बार स्थगन के बाद उठे सवाल-सरकार आखिर SIR बहस से बच क्यों रही है? लोकतंत्र की गर्मी संसद के गलियारों में साफ दिख रही है।
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र 2025 लगातार दूसरे दिन भी भारी हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष SIR को लेकर चर्चा की अपनी मांग पर पूरी तरह अड़ा है। मंगलवार सुबह लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने 'वोट चोर-गद्दी छोड़' के नारे लगाने शुरू कर दिए। कुछ सांसद वेल तक पहुंच गए, जिससे कार्यवाही 20 मिनट तक बाधित रही और बाद में इसे पहले 12 बजे, फिर 2 बजे और फिर 3 दिसंबर सुबह 11 बजे तक स्थगित करना पड़ा। राज्यसभा में भी यही माहौल देखने को मिला।

लोकतंत्र की रक्षा के लिए विराेध जरूरी: खड़गे
विपक्ष का कहना है कि SIR पर तुरंत चर्चा होनी चाहिए, जबकि सरकार का दावा है कि वह चर्चा के लिए तैयार है लेकिन यह तय समय सीमा में संभव नहीं। इस मुद्दे पर दोनों सदनों में लगातार टकराव बना हुआ है। सुबह 10:30 बजे विपक्ष ने संसद परिसर के मकर द्वार के सामने भी प्रदर्शन किया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। खड़गे ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए विरोध जरूरी है और सरकार चर्चा से बच रही है।

क्या सरकार SIR पर चर्चा से बच रही है? विपक्ष की यह जिद क्यों बढ़ती जा रही है?
विपक्ष का आरोप है कि सरकार SIR को सदन में लाने से पीछे हट रही है, जबकि यह मुद्दा देश के वोटर और चुनाव प्रणाली से जुड़ा है। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष यह सुझाव भी दे चुका है कि यदि सरकार चाहे तो ‘SIR’ शब्द की जगह ‘इलेक्टोरल रिफॉर्म’ या किसी अन्य नाम का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन मुद्दा वही रहे-चुनावी पारदर्शिता। सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष समयसीमा थोपने की कोशिश कर रहा है। वहीं भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने तंज कसते हुए कहा कि बिहार के लोगों ने पहले ही SIR मामले का निपटारा कर दिया है, विपक्ष सिर्फ चुनावी हार का ठीकरा SIR पर फोड़ रहा है।

सदन के भीतर हंगामा इतना बढ़ा क्यों कि कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी?
लोकसभा में जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, विपक्षी सांसद वेल में पहुंच गए और लगातार नारेबाजी करते रहे। 20 मिनट तक हंगामे के कारण सामान्य कार्यवाही चल नहीं पाई। स्पीकर ओम बिड़ला ने स्थिति को देखते हुए कार्यवाही स्थगित कर दी और दोपहर 3 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला लिया। राज्यसभा की स्थिति भी अलग नहीं रही। यहां भी नारेबाजी और लगातार विरोध के कारण कार्यवाही कई बार रोकी और फिर स्थगित करनी पड़ी।

वंदे मातरम पर 10 घंटे की चर्चा क्या नया विवाद खड़ा कर सकती है?
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सरकार वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर सदन में 10 घंटे लंबी चर्चा करा सकती है। यह चर्चा गुरुवार और शुक्रवार को होने की संभावना है और इसमें प्रधानमंत्री भी हिस्सा ले सकते हैं। इस बीच शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने राज्यसभा में ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ जैसे नारों को लेकर जारी नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।

अब आगे क्या? क्या SIR पर चर्चा होगी या सत्र फिर से बेकार जाएगा?
वर्तमान हालात बताते हैं कि विपक्ष बिना चर्चा के पीछे हटने के मूड में नहीं है। सरकार कह रही है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष को समय सीमा नहीं थोपनी चाहिए। अब नजरें सर्वदलीय बैठक और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की अगले फैसले पर टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या संसद SIR पर किसी सहमति पर पहुंचेगी या लगातार हंगामे के कारण यह सत्र भी विवादों में फंसकर बेकार हो जाएगा?


