सार

रघु ठाकुर की नई किताब 'स्वप्न, विकल्प और मार्ग' के विमोचन पर दिल्ली में विचारों का मंथन। शिक्षा, स्वास्थ्य, पूंजीवाद पर तीखी बहस, लोहिया के आदर्शों की याद।

दिल्ली। देश और दुनिया की व्यवस्था को बेहतर करने जो भी लड़ेगा उसे अपमान सहना ही पड़ेगा। सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने आज दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए यह बात कही। अवसर रघु जी की हाल में प्रकाशित पुस्तक ' स्वप्न, विकल्प और मार्ग ' के विमोचन -समारोह का था।

रघु ठाकुर ने शिक्षा के निजीकरण की समाप्ति को जरूरी बताया। हथियार उद्योग को देशों के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें समाज को निर्भय बनाना है, इसलिए ऐसे लोगों को ही आयोजन में बुलाया जाये जिन्हें न किसी से भय है न सुरक्षा की जरूरत।

हर तरह की वैचारिक पृष्ठभूमि के लोगों के साथ बैठने और संवाद की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि विचार रहेगा तो विवाद खत्म हो जायेगा। लोकतंत्र, समता व अच्छे शासन की जरूरत बताते हुए रघु ठाकुर ने कहा चिकित्सा को मौलिक अधिकार बनाना जरूरी है। इस दिशा में अच्छी योजनाएं बन रही हैं लेकिन उनको लागू ठीक से नहीं किया जा रहा जिसके कारण हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार सामने आता है। सरकार सबको चिकित्सा दे तो यह भ्रष्टाचार नहीं रहेगा।

उन्होंने कहा आलोचना अपनों की और अपनी सरकार की भी होनी चाहिए। लोहिया ने ऐसा करके आदर्श कायम किया था। लेकिन आज दिल्ली में लोहिया के नाम पर कोई सड़क नहीं है। पूंजीपति और शोषक राजा महाराजाओं के नाम पर है।

रघु ठाकुर ने एलन मस्क जैसे पूंजीपतियों के भविष्य की मानवता विरोधी योजनाओं की आलोचना करते हुए कहा आज ब्रह्मांड में वे जिस तरह संजाल फैला रहे हैं उससे विश्व की संचार व्यवस्था भी कभी ठप की जा सकती है। इससे सतर्क रहने की जरूरत है।

समारोह में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र दिल्ली के अध्यक्ष रामबहादुर राय , प्रसिद्ध पत्रकार व भारतीय भाषाओं के पक्षधर राहुल देव, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह वक्ता के रूप में उपस्थित थे।रामबहादुर राय ने पुस्तक ' स्वप्न, विकल्प और मार्ग ' को सार्वजनिक जीवन में आने वाले हर व्यक्ति की राजनीतिक राह तय करने में मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि 1970 के दशक में मध्यप्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा नाम रघु ठाकुर का था। उनकी जीवन यात्रा को जानने के बाद किसी में भी आदर्श उपस्थित करने की इच्छा हो सकती है। रघु जी ने जनता पार्टी के दिनों में संसदीय बोर्ड के सदस्य रहते हुए न खुद टिकट लिया न आपातकाल में बंद रहे अपने भाई को टिकट दिया।‌ रघु जी का जीवन बताता है कि समाजवाद‌ घर से, जीवन से और आचरण से आता है। रघु जी की दृष्टि सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक है क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कुछ नीतियों की प्रशंसा करते हैं तो कुछ की आलोचना भी। लोकतंत्र की रक्षा के लिए रघु जी ने जेल में अमानुषिक यातनाएं झेलीं । पाठकों से सत्रह अध्यायों की पुस्तक में आपातकाल से जुड़े अध्याय को सबसे पहले पढ़ने की अपील करते हुए श्री राय ने कहा जयप्रकाश नारायण दो गुटों की प्रतिस्पर्धा में जिस तरह इस्तेमाल हुए उससे आन्दोलन की ईमानदारी भी प्रभावित हुई।

पुस्तक में जातिगत भेदभाव पर केन्द्रित एक अध्याय पर बोलते हुए श्री राय ने कहा गांधीजी द्वारा दिए गए ' हरिजन ' शब्द के प्रयोग को अब जिस तरह दंडनीय बनाया गया है वह दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही इसके पीछे एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह भी काम कर रहा है।' हरिजन ' शब्द को गांधीजी के सामाजिक संदर्भ के साथ देखना समझना जरूरी है। आज भारतीय प्रेस परिषद ने भी इस शब्द के उपयोग पर पाबंदी लगा रखी है। ' स्वप्न, विकल्प और मार्ग ' में वर्णित समाजवाद, अंतरराष्ट्रीय, सम्पूर्ण क्रान्ति व आपातकाल, साम्प्रदायिकता, पर्यावरण, चिकित्सा आदि सत्रह अध्यायों के आधार पर श्री राय ने पुस्तक को समग्र निरूपित किया।

वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने रघु जी की उपस्थिति के अनुभव को दुर्लभ बताते हुए कहा उनकी वै मौजूदगी हमें विकट समय में भी उदास और हताश‌ होने से रोकती है। रघु जी और रामबहादुर राय ऐसे व्यक्तित्व हैं जो चाहते तो बहुत पहले केन्द्रीय मंत्री बन जाते।

राहुल देव ने कहा कि हम ऐसे समय में हैं जब ' देश ' और ' राष्ट्र ' के बीच गहरी खाई है और संख्याबल ज्यादती का पर्याय हो रहा है। राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि रघु ठाकुर जैसा व्यक्तित हासिल करना बहुत कठिन काम है। राजनीति करना कितना पुनीत काम है यह रघु जी के सम्पर्क में आकर लोग सीख सकते हैं। उदारीकरण और वैश्वीकरण ने देश को कितना नुक़सान पहुंचाया इसे उनकी किताबें पढ़कर समझा जा सकता है। रघुजी विचारों को जीते हैं। ऐसे नायकों का अब बड़ा अभाव है। कभी बड़े बड़े प्रभावशाली लोग उनसे मिलने के लिए लाइन में घंटों प्रतीक्षा करते थे। संजय सिंह ने कहा कि रघु ठाकुर लोहिया के अनुयायी है और लोहिया के विचारों को जमीन पर उतारकर ही हर तरह की गैरबराबरी समाप्त हो सकती है। वही विचार ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए प्रेरित करते हैं जिसमें इंसान को इंसान समझा जाये।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री जयंत तोमर ने कहा कि पुस्तक की सफलता यह है कि सभी विचार और पक्ष के लोग इस के विचार पक्ष पर एक मत होते है। आम सहमति का यह दौर आवश्यक है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत श्री मुकेश चंद्रा, पार्षद राकेश कुमार व पुस्तक के प्रकाशक जितेन्द्र पात्रों ने किया। भदोही से आये हसनैन अंसारी ने स्थानीय बुनकरों की तरफ से कालीन भेंट की।

इस आयोजन में मंच पर बौद्ध आचार्य यशी , श्रीमती अनीता सिंह, गांधीवादी रमेश शर्मा व सुल्तानपुर के पूर्व विधायक अनूप संडा भी उपस्थित रहे। आयोजन में दिल्ली सहित अन्य प्रांतों के भी लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकार, अधिवक्ता, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन श्री अरुण प्रताप सिंह ने किया।