सार
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि आजकल में तमिलनाडु, रायलसीमा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।
मौसम डेस्क. देश में सात प्रतिशत अधिक बारिश के साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम शुक्रवार को अलविदा हो गया। हालांकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि आजकल में तमिलनाडु, रायलसीमा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। ओडिशा, झारखंड, बिहार के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, सिक्किम और उत्तर पूर्व भारत में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। केरल, लक्षद्वीप, पश्चिमी हिमालय, गुजरात और मध्य प्रदेश में एक या दो स्थानों पर हल्की बारिश संभव है। (यह तस्वीर पिछले दिनों गुरुग्राम की है)
दिल्ली से लौटा मानसून
इस साल अत्यधिक असमान बारिश देने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून दिल्ली से लौट गया है। मानसून 30 जून को दिल्ली पहुंचा था। इस दौरान मौसम की पहली भारी बारिश (117.2 मिमी) हुई थी। मानसून के आगमन की सामान्य तिथि 27 जून है और वापसी की 25 सितंबर है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि तीन से पांच दिन का अंतर सामान्य माना जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून पंजाब, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान और पूरी दिल्ली से रवाना हो गया है। दिल्ली के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, इस मानसून सीजन में कुल मिलाकर 19 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। यह सामान्य 653.6 मिमी के मुकाबले 516.9 मिमी है। राजधानी में पिछले साल हुई बारिश के आधे से भी कम (1169.4 मिमी) बारिश हुई। आईएमडी के अनुसार, 19 प्रतिशत तक कम और अधिक बारिश को 'सामान्य' माना जाता है।
दिल्ली में 20 सितंबर तक बहुत अधिक बारिश की कमी देखी गई। हालांकि, 21 सितंबर से 24 सितंबर तक लगातार बारिश ने मार्जिन को एक बड़े लेवल तक कवर करने में मदद की। सफदरजंग ऑब्जर्वेटरी में दर्ज की गई बारिश 21 सितंबर को 49 प्रतिशत की कमी को पूरा करते हुए 24 सितंबर को 39 प्रतिशत पर आ गई। राजधानी में सितंबर में 31 प्रतिशत अतिरिक्त बारिश दर्ज की गई। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में 524.7 मिमी, 2017 में 641.3 मिमी, 2018 में 762.6 मिमी, 2019 में 404.3 मिमी और 2020 में 576.5 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। पिछले वर्ष (1169.4 मिमी) वर्षा 1964 (1,190.9 मिमी) के बाद से सबसे अधिक थी और आईएमडी द्वारा 1901 में रिकॉर्ड रखना शुरू करने के बाद से तीसरी सबसे अधिक थी। 1933 में अब तक का रिकॉर्ड 1,420.3 मिमी बारिश है।
विभिन्न राज्यों में बारिश का हाल और खेती-किसानी
देश में सात प्रतिशत अधिक बारिश के साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम शुक्रवार को अलविदा हो गया। इस बीच चावल उगाने वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड ने कम बारिश की सूचना है, जिसका सीधा असर देश के कृषि उत्पादन पर पड़ा है। हालांकि पूरे देश में अधिक वर्षा हुई है। राजस्थान के रेगिस्तानी राज्य में सामान्य से 36 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। हालांकि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में वितरण असमान रहा है। यहां आमतौरपर प्रचुर वर्षा होती है,लेकिन इस बार कम वर्षा हुई।
तमिलनाडु, जो आमतौर पर अक्टूबर से शुरू होने वाले उत्तर-पूर्व मानसून के मौसम के दौरान बारिश हासिल करता है, में 477.3 मिमी बारिश हुई। यह दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के सामान्य 323.6 मिमी से 47 प्रतिशत अधिक है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम 1 जून से शुरू होता है और 30 सितंबर को समाप्त होता है। अक्टूबर के दौरान बारिश को मानसून के बाद की बारिश के रूप में दर्ज किया जाता है।
मौसम कार्यालय ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 20 सितंबर को वापसी के चरण में प्रवेश किया और गुरुवार तक पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात से पूरी तरह से पीछे हट गया यानी अलविदा हो गया।
आईएमडी द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के अनुसार, मणिपुर में 1 जून से 29 सितंबर के बीच 543.2 मिमी बारिश हुई, जो सीजन के लिए 1,033 मिमी की लंबी अवधि के औसत से 47 प्रतिशत कम थी।
मौसम कार्यालय ने कहा कि त्रिपुरा (1,056.7 मिमी वास्तविक बारिश) और मिजोरम (1,264.1 मिमी) में क्रमश: 24 प्रतिशत और 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
अरुणाचल प्रदेश (1430.1 मिमी) में घाटा 14 प्रतिशत था, जबकि नागालैंड (901.4 मिमी) में सामान्य से 13 प्रतिशत कम बारिश हुई। असम (1340.5 मिमी) में सामान्य से नौ प्रतिशत कम और मेघालय (2,474.5 मिमी) में सामान्य से 8 प्रतिशत कम बारिश हुई। चूंकि मौसम कार्यालय 20 फीसदी तक कम बारिश को सामान्य मानता है, इसलिए ये राज्य बारिश की कमी वाले राज्यों की श्रेणी में नहीं आते हैं।
देश के शीर्ष चावल उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में 17 प्रतिशत कम बारिश हुई, जिसका सीधा असर राज्य में धान की बुवाई पर पड़ा। पश्चिम बंगाल में धान की बुवाई का रकबा 38.52 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले खरीफ सीजन में धान की खेती के तहत 42.7 लाख हेक्टेयर से 3.65 लाख हेक्टेयर कम था।कुल मिलाकर किसानों ने इस सीजन में 401.56 लाख हेक्टेयर में बुवाई की है, जो पिछले फसल सीजन की तुलना में 23.44 लाख हेक्टेयर कम है।
तेलंगाना में मौसम के दौरान 46 फीसदी अधिक बारिश हुई। इसके बाद कर्नाटक (29 फीसदी), गुजरात (28 फीसदी), मध्य प्रदेश (24 फीसदी) और महाराष्ट्र (23 फीसदी) का स्थान रहा।
बीते दिन इन राज्यों में हुई बारिश
स्काईमेट वेदर(skymet weather) के अनुसार, बीते दिन उत्तर पूर्व बिहार, रायलसीमा, दक्षिण ओडिशा और दक्षिण छत्तीसगढ़ में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कहीं-कहीं भारी बारिश हुई। उत्तराखंड, सिक्किम, गंगीय पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, तमिलनाडु और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश हुई। दक्षिण पश्चिम मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, बिहार, जम्मू-कश्मीर, तटीय कर्नाटक, उत्तर पूर्व भारत और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान में एक या दो स्थानों पर हल्की बारिश हुई।
यह भी पढ़ें
Dirty Politics: एक तिहाई पाकिस्तान बाढ़ में डूबा, तो भारत से मदद की उम्मीद, बाकी मुद्दों पर दुश्मनी बनी रहेगी
दुनिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी गुरुग्राम में होगा विकसित, शारजाह के 5 गुना होगा अरावली रेंज में बनने वाला Park