सार
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था। इस दौरान सभी के काम धंधे बंद हो गए थे। इसके कारण लोन ईएमआई से राहत पाने के लिए लोगों को मोरेटोरियम की सुविधा दी गई थी। ऐसे में अब RBI की तरफ से दिए गए लोन मोरेटोरियम को आगे बढ़ाने और ब्याज में छूट देने की अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
नई दिल्ली. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था। इस दौरान सभी के काम धंधे बंद हो गए थे। इसके कारण लोन ईएमआई से राहत पाने के लिए लोगों को मोरेटोरियम की सुविधा दी गई थी। ऐसे में अब RBI की तरफ से दिए गए लोन मोरेटोरियम को आगे बढ़ाने और ब्याज में छूट देने की अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ब्याज में छूट नहीं दे सकते, लेकिन पेमेंट का दबाव कम कर देंगे। बैंकिंग सेक्टर इकोनॉमी की रीढ़ है। हम अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं ले सकते। आरबीआई ने कोरोना की स्थिति और लॉकडाउन को देखते हुए मार्च में 3 महीने के लिए यह सुविधा दी थी, फिर 3 महीने और बढ़ाकर अगस्त तक कर दी गई।
किसी अकाउंट को NPA न किया जाए
लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई 10 सितंबर के लिए टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल किश्त भुगतान न होने के आधार पर किसी भी एकाउंट को NPA घोषित न किया जाए।
मोरेटोरियम के पूरे हो चुके 6 महीने
अब जब मोरेटोरियम के 6 महीने पूरे हो चुके हैं, तो ग्राहक कह रहे हैं कि इसे और बढ़ाना चाहिए। इससे भी अहम मांग ये है कि मोरेटोरियम पीरियड का ब्याज भी माफ होना चाहिए। क्योंकि, ब्याज पर ब्याज वसूलना तो एक तरह से दोहरी मार होगी। इसकी वजह ये है कि आरबीआई ने सिर्फ ईएमआई टालने की छूट दी थी, लेकिन बकाया किश्तों पर लगने वाला ब्याज तो चुकाना पड़ेगा।
लोन लेने वालों की दलील
1. ग्राहकों के एक ग्रुप और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के महाराष्ट्र चैप्टर की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा, 'मोरेटोरियम नहीं बढ़ा, तो कई लोग लोन पेमेंट में डिफॉल्ट करेंगे। इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी को सेक्टर वाइज प्लान तैयार करना चाहिए।'
2. रिएल एस्टेट डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई की ओर से वकील ए सुंदरम ने दलील रखी, 'मोरेटोरियम में ग्राहकों से ब्याज वसूलना गलत है। इससे आने वाले समय में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ सकते हैं।'
3. शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से वकील रणजीत कुमार ने कहा, 'कोरोना की वजह से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। उन्हें राहत देने के उपाय किए जाने चाहिए। आरबीआई सिर्फ बैंकों के प्रवक्ता की तरह बात नहीं कर सकता। हमारी स्थिति वाकई खराब है। थिएटर, बार और फूड कोर्ट बंद हैं। हम कैसे कमाएंगे और कर्मचारियों को सैलरी कैसे देंगे? कोर्ट से अपील करते हैं कि सेक्टर वाइज राहत देने पर विचार होना चाहिए।'
सरकार की दलील
सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को कोर्ट में कहा कि 'ब्याज माफ किया तो बैंकों की स्थिति खराब होगी। देश में अलग-अलग तरह के बैंक हैं। नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (एनबीएफसी) भी इनमें शामिल हैं।'
2 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है मोरेटोरियम पीरियड
इससे पहले मंगलवार को सरकार ने कहा था कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए मोरेटोरियम पीरियड 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। सरकार का यह जवाब इसलिए आया, क्योंकि 26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में 7 दिन में स्थिति साफ की जाए। कोर्ट ने कमेंट किया था कि सरकार आरबीआई के फैसले की आड़ ले रही है, जबकि उसके पास खुद फैसला लेने का अधिकार है।
क्या है मोरेटोरियम?
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से आरबीआई ने मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की ईएमआई 3 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी। बाद में इसे 3 महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया। आरबीआई ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा।