सार

भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा, मैंने कोर्ट में तत्कालीन चीफ जस्टिस खेहर को सुल्तान कहा था। फिर अपनी बात स्पष्ट की। अवमानना का मुकदमा नहीं चला। सुप्रीम कोर्ट के कंधे इतने चौड़े हैं कि आलोचना सहन कर सकें।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अवमानना के दोषी ठहराए गए प्रशांत भूषण के मामले में सजा को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रशांत भूषण ने जो बातें कहीं वे पीड़ादायक हैं। कोर्ट में जो लिखित जवाब देते हैं। उसे पहले मीडिया में जारी कर देते हैं। क्या इतने पुराने वकील का ऐसा करना सही है। वकील और राजनेता में अंतर होता है। क्या कोर्ट में लंबित मामले के हर पहलू को लेकर पहले मीडिया में जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, भूषण ने अपने बयान में महात्मा गांधी की बात कही लेकिन माफी मांगने को तैयार नहीं हुए।

इससे पहले भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा, मैंने कोर्ट में तत्कालीन चीफ जस्टिस खेहर को सुल्तान कहा था। फिर अपनी बात स्पष्ट की। अवमानना का मुकदमा नहीं चला। सुप्रीम कोर्ट के कंधे इतने चौड़े हैं कि आलोचना सहन कर सकें। इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, दोषी ठहराने का फैसला हो चुका है। अब सजा पर बात हो रही है। कोर्ट को बिना शर्त माफी के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए था।

सुप्रीम कोर्ट ने कीं ये टिप्पणी

  • जस्टिस ने कहा, अगर वकील न्यायपालिका में लोगों के भरोसे को गिराने वाले बयान देंगे तो लोग कोर्ट क्यों आएंगे? हम लोग भी पहले वकील थे। आपसे अलग नहीं हैं। आलोचना का स्वागत है, लेकिन लोगों के विश्वास को डिगाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। हर बात पर मीडिया में जाना सही नहीं। गरिमा का ख्याल रखना चाहिए
  • जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, जज अपने लिए कुछ नहीं कह सकते। व्यवस्था की रक्षा कौन करेगा? अगर आपने किसी को तकलीफ पहुंचाई है तो माफी मांगने में क्या हर्ज है। आपने अपने बयान में महात्मा गांधी की बात कही लेकिन माफी मांगने को तैयार नहीं हुए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उन्होंने जो बातें कहीं वह पीड़ादायक हैं। कोर्ट में जो लिखित जवाब देते हैं। उसे पहले मीडिया में जारी कर देते हैं। क्या इतने पुराने वकील का ऐसा करना सही है। वकील और राजनेता में अंतर होता है। क्या कोर्ट में लंबित मामले के हर पहलू को लेकर पहले मीडिया में जाना चाहिए।
  • इससे पहले जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने कहा, ''भूषण को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन वे अवमानना पर माफी नहीं मानना चाहते। व्यक्ति को गलती का अहसास होना चाहिए। उन्हें समय दिया गया। लेकिन उनका कहना है कि वे माफी नहीं मांगेंगे।''
  • कोर्ट ने कहा कि यह केवल सजा का नहीं, बल्कि संस्थाओं में विश्वास का भी मामला है। 11 साल पहले तहलका मैगजीन को दिए इंटरव्यू में भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी की थी। इस मामले अब सुनवाई 10 सितंबर को होगी।


"सजा देकर शहीद मत बनाइए''

  •  वकील धवन ने कहा, भूषण के अपने विचार हैं। उसके आधार पर बयान दिया। स्पष्टीकरण में बयान पर पक्ष रखा। उसके कुछ हिस्से उठा कर अवमानना को बढ़ाने वाला बताना सही नहीं। माफी जोर देकर नहीं मंगवानी चाहिए। जिस बात में भरोसा रखते हों, उसके बारे में डर कर माफी मांगना ईमानदारी नहीं। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के वकील से पूछा, अगर हम सजा देना चाहते हों तो आपके विचार से क्या दे सकते हैं। इस पर धवन ने कहा, आप चाहें तो उन्हें कुछ महीने के लिए यहां प्रैक्टिस से रोक सकते हैं। लेकिन मैं यही कहूंगा कि उन्हें सजा देकर शहीद मत बनाइए। कल्याण सिंह को भी जेल भेजा गया था। यह विवाद खत्म होना चाहिए। कोर्ट परिपक्वता दिखाए। 


भूषण ने माफी मांगने से किया इनकार
अवमानना के मामले में कोर्ट ने भूषण को माफी मांगने के लिए दो दिन का वक्त दिया था। लेकिन प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में माफी मांगने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक विश्वास के तहत थे, इस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं। अभिव्यक्ति के लिए इन मान्यताओं पर शर्त या बिना किसी शर्त के माफी मांगना निष्ठाहीन होगा। अदालत में निपट गए मामलों पर दिया बयानभूषण ने अपने जवाब में कहा, मैंने पूरे सत्य और विवरण के साथ साथ सद्भावनापूर्ण था। अगर मैं इस अदालत से माफी मांगता हूं तो मेरी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी, जिसमें मैं सर्वोच्च विश्वास रखता हूं।

क्या है मामला?
प्रशांत किशोर ने जून में दो ट्वीट किए थे। इनमें उन्होंने चीफ जस्टिस और चार पूर्व चीफ जस्टिस पर सवाल उठाए थे। इस मामले में कोर्ट ने खुद ही संज्ञान लिया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी माना था। इस मामले में कोर्ट ने उन्हें बिना शर्त माफी मांगने के लिए आज तक का वक्त दिया था।

इन दोनों ट्वीट पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया
- प्रशांत भूषण ने 27 जून को पहला ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि जब इतिहासकार भारत में बीते 6 सालों के इतिहास को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र को खत्म किया गया। ये इतिहासकार सुप्रीम कोर्ट खासकर 4 पूर्व चीफ जस्टिस की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
- प्रशांत ने अपने दूसरे ट्वीट में चीफ जस्टिस बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की थी। इसमें उन्होंने बोबडे की आलोचना करते हुए लिखा था कि उन्होंने कोरोना काल में अदालतों को बंद करने का आदेश दिया था।

पुराने अवमानना मामले में बड़ी बेंच करेगी सुनवाई
इससे पहले प्रशांत भूषण ने 2009 में 16 में से आधे पूर्व CJI को भ्रष्ट बताया था। भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने अवमानना मामले में जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, पहले देखना जरूरी कि ऐसा बयान किन परिस्थितियों में दिया जा सकता है? इस पर भूषण के वकील राजीव धवन ने मसला संविधान पीठ भेजने की मांग की। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। मेरे पास समय की कमी है। इसलिए बेहतर होगा कि कोई और बेंच 10 सितंबर को मामले पर विचार करे। चीफ जस्टिस नई बेंच का गठन करेंगे। जस्टिस मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।