सार
तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष मांगा है।
नई दिल्ली। एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस संबंध में गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। सीतलवाड़ को गुजरात दंगों के मामलों में ‘‘निर्दोष लोगों’’ को फंसाने और सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीतलवाड़ द्वारा दायर याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया। इस मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। सीतलवाड़ को जून में गिरफ्तार किया गया था। गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस मामले में राज्य सरकार को 3 अगस्त को नोटिस दिया था। 19 सितंबर को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई होगी।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में सीतलवाड़ की ओर से पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्राथमिकी में जकिया जाफरी द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए आरोप लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि जकिया जाफरी पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा हैं। अहमदाबाद में दंगे के दौरान एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी।
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सीतलवाड़ पर लगा है धोखाधड़ी का आरोप
गौरतलब है कि सीतलवाड़ आईपीसी की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 194 के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आरोप लगाया कि वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार को अस्थिर करने के लिए दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर की गई एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी। एसआईटी ने आरोप लगाया कि 2002 की गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के तुरंत बाद पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 30 लाख रुपए का भुगतान किया गया था।
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