सार

उपेंद्र ने अपनी याचिका में भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस,ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, गुरुद्वारा बंगला साहिब, इस्कॉन समिति, बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया, नेशनल क्रिश्चिएन काउंसिल को भी पार्टी बनाया था।

नई दिल्ली। अपने गुरु के प्रति भक्ति का एक अनोखा मामला सामने आया है। एक व्यक्ति अपने गुरु को परमात्मा घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट से गुरु को परमात्मा घोषित करने के लिए आदेश देने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई है। रिट में बीजेपी, संघ, पर्सनल लॉ बोर्ड सहित विभिन्न धर्मों की प्रमुख संस्थाओं को पार्टी बनाया गया है। हालांकि, केस की सुनवाई करते हुए सोमवार को कोर्ट ने याचिका खारिज करने के साथ याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस केस की सुनवाई जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने की है। कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यहां कोर्ट किसी भी धर्म या परमात्मा को मानने के लिए बाध्य करने वाला कोई आदेश नहीं दे सकता है।

क्यों याचिका की गई थी दायर?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका उपेंद्र नाथ दलाई ने दायर की थी। दलाई, श्रीश्री अनुकूल चंद्र ठाकुर के शिष्य हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई कि श्री श्री ठाकुर का धर्म व समाज में दिए गए योगदान और कार्यों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट उनको परमात्मा मानने के लिए निर्देश दे। उपेंद्र ने अपनी याचिका में भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस,ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, गुरुद्वारा बंगला साहिब, इस्कॉन समिति, बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया, नेशनल क्रिश्चिएन काउंसिल को भी पार्टी बनाया था।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने परमात्मा घोषित करने की मांग पर?

जस्टिस एमआर शाह व जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्ष देश में किसी भी धर्म को मानने या किसी को परमात्मा मानने के लिए बाध्य करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। याचिकाकर्ता को भी यह अनुमति नहीं दी जा सकती कि वह देश के लोगों को श्री श्री अनुकूल चंद को परमात्मा मानने के लिए जबरदस्ती कराए। बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आप उन्हें परमात्मा मानना चाहते हैं तो मानें लेकिन दूसरों पर क्यों थोप रहे हैं। जिसको जो मानना है मानें हम क्यों किसी को परमात्मा मानने के लिए बाध्य करें। यह सेक्युलर देश है।  

एक लाख रुपये का लगा दिया जुर्माना

कोर्ट ने कहा कि यह याचिका जनहित में नहीं है। इसलिए इस पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया जाए। उपेंद्र नाथ दलाई ने जुर्माना नहीं लगाने का अनुरोध किया तो जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि हमने तो बहुत कम जुर्माना लगाया है। किसी को अधिकार नहीं कि जनहित याचिका का दुरुपयोग करे। अब कोई जनहित याचिका का दुरुपयोग करने के पहले कम से कम चार बार सोचेगा। जस्टिस ने आदेश दिया कि कोर्ट द्वारा लगाया गया जुर्माना चार सप्ताह में जमा कराया जाए।

कौन हैं श्रीश्री ठाकुर?

श्री श्री ठाकुर, देवघर सत्संग के संस्थापक हैं। श्रीश्री ठाकुर के नाम से मशहूर संत अनुकूलचंद चक्रवर्ती के काफी अनुयायी हैं। उनका निधन 27 जनवरी 1969 को हुआ था। 1987 में भारत सरकार ने श्री श्री ठाकुर के नाम पर एक मेमो डाक टिकट भी जारी किया था।

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