सार

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर विरोध के दौरान भारत का गलत नक्शा पोस्ट कर दिया। जो नक्शा पोस्ट किया था, उसमें भारत के पूर्वी क्षेत्र को देश से अलग दिखाया गया था।

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जारी विरोध के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। जिसमें थरूर ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर विरोध के दौरान भारत का गलत नक्शा पोस्ट कर दिया। जिसके बाद लोगों ने थरूर को इस गलती के लिए उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। पोस्ट पर विवाद बढ़ता देख थरूर ने शनिवार को ही पोस्ट को डिलीट कर दूसरी तस्वीर पोस्ट की। 

दी थी कार्यक्रम की जानकारी 

थरूर ने पहले जो नक्शा पोस्ट किया था, उसमें भारत के पूर्वी क्षेत्र को देश से अलग दिखाया गया था। इसमें उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के विरोध में शनिवार को कोझिकोड में होने वाली रैली की जानकारी दी थी। 

कांग्रेस की यह आखिरी गलती नहीं: ट्विटर यूजर

तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर के इस पोस्ट के बाद एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा, “यह पहली बार नहीं है और शायद आखिरी बार नहीं। वह कांग्रेस ही थी, जिसने पीओके के पाकिस्तान को दे दिया था। वे इसे अपनी उपलब्धि मानते हैं।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “जो भारत का नक्शा ठीक से नहीं दिखा पाए, वो भारत क्या बचाएंगे।” जबकि एक यूजर ने लिखा कि भारत का क्षतिग्रस्त नक्सा शेयर करने के लिए माफी मांगे, इसके साथ ही यूजर ने कहा कि यह समझा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी पीओके को भारत का हिस्सा नहीं मानती है। 

थरूर ने पेश की सफाई

भारत का गलत मैप साझा करने के बाद जमकर आलोचना का सामना कर रहे थरूर ने बचाव के लिए उस ट्वीट को हटा तो दिया बावजूद इसके विवाद थमा नहीं। जिसके बाद थरूर को सफाई पेश करनी पड़ी। जिसके बाद उन्होंने नए ट्वीट में कहा- “मैं नक्शे के जरिए किसी क्षेत्र को नहीं, बल्कि भारत के लोगों को दर्शाना चाहता था। भाजपा के ट्रोल्स को और ज्यादा घास डालने की मेरी कोई इच्छा नहीं है।”

कांग्रेस शुरुआत से ही नागरिकता कानून के विरोध में

कांग्रेस लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद से ही नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही है। इसके तहत पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता देने का अधिकार दिया गया है। कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा सरकार ने कानून में मुस्लिमों से भेदभाव किया, जो कि संविधान का उल्लंघन है।