सार

रोहिणी स्थित आश्रम में महिलाओं को  खुले में नहाना होता था। कथित तौर पर ऐसी हालत में ही युवतियों की परेड तक कराई जाती थी। इस मामले का खुलासा साल 2018 में हुआ था। वहीं  मंगलवार 20 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट में इस  सुनवाई के दौरान महिलाओं से इस तरह की बर्बरता पर बेहद हैरानी जताई है।

नई दिल्‍ली : राष्ट्रीय राजधानी के रोहिणी इलाके में स्थित बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित ( Baba Virendra Dev Dixit ) के  'आध्यात्मिक विश्व विद्यालय' ( aadhyaatmik vishv vidyaalay) में युवतियों, महिलाओं के साथ वेश्यालय से भी घिनौना व्यवहार किया जाता था। मोटी- मोटी दीवारों में धातुओं के भारी दरवाजों के पीछे लोगों को उनकी चीख तक सुनाई नहीं देती थी।नाबालिगों, युवतियों और बेसहारा महिलाओं को आश्रम में बेहतर व्यवस्था होने का लालच देकर लाया जाता था। इसके कुछ दिनों बाद ही इनसे दरिंदगी शुरु कर दी जाती थी।  20 अप्रैल को हुई सुनवाई में दिल्ली में हुए संगीन मामले पर हाईकोर्ट ने बेहद हैरानी जताई है।

खुले में नहाने को किया जाता था विवश
कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक आश्रम में  महिलाओं को जानवरों से भी बदतर हालात में रखा जाता था। यहां से कोई निकलने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। 24 घंटे सख्त पहरा होता था। किसी ने आवाज उठान की कोशिश भी की तो उसे इतना मारा पीटा जाता था कि वो अधमरी हो जाती थी। महिलाओं को बिना किसी पर्दे के खुले में नहाना होता था। कथित तौर पर ऐसी हालत में ही युवतियों की परेड तक कराई जाती थी। इस मामले का खुलासा साल 2018 में हुआ था। जब यहां से तकरीबन 40 महिलाओं को दरिंदों के चंगुल से  बचाया गया था। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई हैरानी
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आश्रम के संचालक भगोडा वीरेंद्र देव दीक्षित के इन कृत्यों पर बेहद हैरानी जताते हुए इसे बेहद निराश करने वाला बताया। दिल्ली हाईकोर्ट एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की डीबी बेंच ने देश की राजधानी में इस तरह की गतिविधियां संचालित होने पर आश्चर्य जताते हुए इसे निराशाजनक बताया है। कोर्ट ने कहा कि आशंका है कि निश्चत तौर पर वहां कुछ तो चल रहा था। हाईकोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली सरकार को आश्रम पर कब्जा करने का निर्देश देने जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली में ऐसा हो रहा है। भगोड़े वीरेंद्र देव दीक्षित की गौरमौजूदगी में इस आश्रम को  कौन चला रहा था। बता दें कि साल 2018 में, दिल्ली हाईकोर्ट ने 'आध्यात्मिक विश्व विद्यालय' को विश्व विद्यालय के रूप में मान्यता देने से मना कर दिया था। वहीं सीबीआई को भगोड़ा वीरेंद्र देव दीक्षित का पता लगाने के निर्देश दिए थे। 

राज खुलते ही फरार हो गया था आरोपी बाबा 
आरोपी वीरेंद्र देव दीक्षित,  ब्रह्म कुमारी संस्थान से जुड़ा हुआ था। इस संस्थान से आश्रम के संचालन संबंधी जानकारी लेने के बाद इसने खुद का आध्यात्मिक विश्वविद्यालय नाम से संगठन बना लिया था।  इस कथित बाबा ने दिल्ली के रोहिणी इलाके में अपना भव्य आश्रम बनाया, इसी जगह महिलाओं को पनाह देने के नाम पर 100 से अधिक महिलाओं को कैद करके उनका इस्तेमाल किया जाता था।  महिलाओं से जब चाहे रेप किया जाता था। कथित बाबा की पोल  दिसंबर 2018 में खुल गई थी, एक शिकायत में दिल्ली पुलिस ने आश्रम परिसर से 40 से अधिक महिलाओं को अपने संरक्षण में लिया था। इसके पहले ही आरोपी वीरेंद्र देव दीक्षित फरार हो गया था। हाईकोर्ट इस आश्रम में पनाह लेने वाली एक लड़की के अभिभावकों की पिटीशन पर सुनवाई कर रही है।

20 अप्रैल को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई हैरानी

पिटीशनर की तरफ से  दलीलें पेश कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने हाईकोर्ट को बताया कि पीड़िता के माता-पिता उससे मिलना चाहते थे। लेकिन आश्रम वालों ने ऐसा करने की अनुमति नहीं दी थी। एडवोकेट गुरुस्वामी ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस आश्रम का मुख्य कर्ताधर्ता  आरोपी वीरेंद्र देव दीक्षित है, जिसके विरुद्ध सीबीआई ने चार्जशीट फाइल की है, इस आरोपी के खिलाफ 10 मामले विभिन्न कोर्ट में पेंडिंग हैं। वहीं मामले की सुनवाई के दौरान देश की राजधानी में हु इस मामले पर कोर्ट ने बेहद हैरानी जताई है।

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