सार

हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य हिन्दी को जन-जन की भाषा बनाना है। 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हालांकि, आज भी लोगों को शुद्ध हिंदी प्रयोग करने में काफी कठिनाई होती है। 

Hindi Diwas 2022: भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य हिन्दी को जन-जन की भाषा बनाना है। बता दें कि 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसके बाद साल 1953 से 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हिन्दी दिवस को को एक हफ्ते तक सेलिब्रेट किया जाता है, जिसे हिन्दी पखवाड़ा कहते हैं। इस दौरान स्कूलों से लेकर ऑफिसों में निबंध प्रतियोगिता, भाषण और काव्य गोष्ठी आयोजित की जाती हैं। हालांकि, आज भी लोगों को शुद्ध हिंदी प्रयोग करने में काफी कठिनाई होती है। 

हिंदी भाषा की लिपी देवनागरी  है और इसमें कई शब्द सीधे संस्कृत से लिए गए हैं। यही वजह है कि शुद्ध हिंदी न सिर्फ बोलने बल्कि समझने में भी काफी कठिन है। हिंदी में ऐसे कई शब्द हैं, जिनके अर्थ बेहद कम लोगों को ही पता होंगे। हम बता रहे हैं, हिंदी के 10 ऐसे ही शब्दों के बारे में। 
 
1- अकिंचित्कर - अर्थहीन 
उदाहरण: परीक्षा में विकास द्वारा दिया गया उत्तर अकिंचित्कर था।

2- स्पृहा - इच्छा, अभिलाषा
उदाहरण : मेरी स्पृहा माउंट आबू देखने की है।

3- किंकर्तव्यविमूढ़‌ - क्या करूं क्या ना करूं वाली स्थिति
उदाहरण : कल्पनाओं में जीने वाला व्यक्ति कई बार किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है।

4- प्रयोजन - उद्देश्य या अभिप्राय
उदाहरण : श्याम, तुम यहां किस प्रयोजन से आए हो?

5- व्यतिक्रम - क्रम का उल्टा सीधा होना
उदाहरण: इस बार का परिणाम आने पर सभी छात्रों का व्यतिक्रम हो गया।

6- दारुण - भयंकर
उदाहरण : मां की मृत्यु होने पर वह दारुण दुःख सहन नहीं कर पाया।

7- उत्कोच - रिश्वत या घूस
उदाहरण : घर में पैसे की कमी से दुःखी होकर गौरव ने उत्कोच स्वीकार कर लिया।

8- यत्किंचित - थोड़ा बहुत
उदाहरण : अपने साथ एक बार छल होने के बाद सौरभ को धोखेबाज मित्रों में यत्किंचित भी विश्वास नहीं रहा।  

9- निर्निमेष - अपलक या टकटकी बांधकर देखना
उदाहरण : ऐश्वर्या की खूबसूरती देख हर कोई उसे निर्निमेष निहारता रहा। 
 
10- अक्षुण्ण - जिसके टुकड़े करना संभव ना हो।
उदाहरण : मैं शपथ लेता हूं कि देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा। 

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