तिरुपति TTD के पवित्र सिल्क दुपट्टे पॉलिएस्टर पाए गए, सप्लायर VRS एक्सपोर्ट पर ACB ने जांच शुरू की। यह खुलासा भक्तों की धार्मिक भावनाओं को झकझोर रहा है, खासकर लड्डू-घी विवाद के साल बाद।
नई दिल्ली। तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD) एक नए विवाद के बीच फंस गया है। पिछले साल लड्डू-घी में मिलावट का मामला थमा भी नहीं था कि अब मंदिर के पवित्र सिल्क दुपट्टों को लेकर बड़ा स्कैम सामने आया है। आरोप है कि TTD के मुख्य सप्लायर ने पिछले दस सालों में लाखों रुपये की कमाई के लिए नकली सिल्क दुपट्टे सप्लाई किए। TTD ने अब एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) को इस मामले में कार्रवाई के लिए बुलाया है। भक्तों का गुस्सा इस बात पर है कि मंदिर की पवित्र चीज़ों के साथ छेड़छाड़ हुई है। अब इस सिल्क दुपट्टा विवाद ने श्रद्धालुओं की नाराज़गी को और बढ़ा दिया है।
तिरुपति के सिल्क दुपट्टे क्या हैं और क्यों हैं महत्वपूर्ण?
ये सिल्क दुपट्टा सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि तिरुपति के मंदिर की परंपरा का हिस्सा है। TTD रंगनायकुला मंडपम में वेदाशिरवचनम के दौरान डोनर्स और VIP को सिल्क दुपट्टे दिए जाते हैं। इन दुपट्टों की खासियत यह है:-
- यह 20/22 डेनियर यार्न के साथ प्योर मलबरी सिल्क से बने होने चाहिए।
- दुपट्टे पर “ओम नमो वेंकटेशाय” संस्कृत और तेलुगु में प्रिंट होना जरूरी है।
- शंकु, चक्र और नमम सिंबल और सिल्क होलोग्राम मार्क होना चाहिए।
- सभी दुपट्टे बताए गए साइज़, वज़न और बॉर्डर डिज़ाइन के अनुसार होने चाहिए।
- ये दुपट्टे मंदिर के लड्डुओं की तरह पवित्र माने जाते हैं, इसलिए भक्त इनकी क्वालिटी और शुद्धता पर बेहद संवेदनशील हैं।
- हर साल TTD इन दुपट्टों पर कई करोड़ रुपये खर्च करता है, क्योंकि लाखों भक्त इस रस्म का हिस्सा बनते हैं।
नकली सिल्क दुपट्टा: कैसे खुलासा हुआ?
TTD के चेयरमैन बीआर नायडू ने मंदिर की विजिलेंस और सिक्योरिटी टीम को VRS एक्सपोर्ट द्वारा सप्लाई किए गए दुपट्टों की जांच करने को कहा। जांच में तिरुपति वेयरहाउस और वैभवोत्सव मंडपम से सैंपल लिए गए। इन्हें बेंगलुरु और धर्मावरम की सेंट्रल सिल्क बोर्ड लैब्स में भेजा गया। नतीजा चौंकाने वाला था:
- सभी दुपट्टे पॉलिएस्टर निकले।
- किसी भी दुपट्टे में जरूरी सिल्क होलोग्राम मार्क नहीं था।
- यह खुलासा भक्तों के लिए सीधे धार्मिक विश्वास पर चोट जैसा है।
VRS एक्सपोर्ट और करोड़ों का घोटाला: कितने पैसे का है मामला?
2015 से 2025 के बीच, VRS एक्सपोर्ट और उसकी सिस्टर फर्मों ने TTD को 54.95 करोड़ रुपये का सामान सप्लाई किया। इसके अलावा, 15,000 दुपट्टों के लिए प्रति पीस 1,389 रुपये का नया कॉन्ट्रैक्ट भी वेंडर ने हासिल किया। भक्तों ने सवाल उठाए कि “क्या हम इतने सालों तक नकली सिल्क का इस्तेमाल करते रहे?” यह सिर्फ पैसों का मामला नहीं है, बल्कि धार्मिक भावनाओं पर हमला है। पिछले साल के लड्डू-घी घोटाले के बाद यह मामला और ज्यादा संवेदनशील बन गया है।
क्या TTD अब भरोसेमंद रहेगा?
TTD ने तुरंत एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) से संपर्क किया। अब ACB सप्लायर और जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर रहा है। TTD ने एंटी-करप्शन ब्यूरो से कहा है कि जिम्मेदार लोगों की पहचान की जाए और मंदिर की पवित्रता बचाई जाए। यह मामला न सिर्फ धार्मिक विश्वास को चुनौती देता है, बल्कि भक्तों की भावनाओं और ट्रस्ट की ईमानदारी पर भी सवाल खड़े करता है।
भक्तों की नाराज़गी: सिर्फ पैसे का मामला या विश्वास का?
सिल्क दुपट्टे मंदिर के धार्मिक अनुभव का हिस्सा हैं। जब उन्हें नकली बताया गया, तो भक्तों का विश्वास हिल गया। कई लोग इसे धार्मिक अपमान मान रहे हैं। TTD अब क़दम-क़दम पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी दिखाने की चुनौती में है।


