सार

तृणमूल, सीपीएम और कांग्रेस के सांसदों ने जमकर हंगामा करते हुए अभद्र व्यवहार भी किया। वहीं TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ने के साथ ही माइक तोड़ दिया। हांलाकि TMC सांसद ब्रायन ने बुक फाड़ने की बात को खारिज करते हुए कहा कि अगर संसद का रूल ब्रेक हुआ तो कल फिर से ऐसे ही करूंगा। 

नई दिल्ली. राज्यसभा में रविवार को दो कृषि बिल पास हो गए। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इसके अलावा तृणमूल, सीपीएम और कांग्रेस के सांसदों ने जमकर हंगामा करते हुए अभद्र व्यवहार भी किया। वहीं TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ने के साथ ही माइक तोड़ दिया। हांलाकि TMC सांसद ब्रायन ने बुक फाड़ने की बात को खारिज करते हुए कहा कि अगर संसद का रूल ब्रेक हुआ तो कल फिर से ऐसे ही करूंगा। 

गौरतलब है कि रविवार को राज्यसभा में कृषि से जुड़े दो बिल को ध्वनि मत से पास करवाया गया। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक- 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक- 2020 को ध्वनि मत से पास करवाया गया। हांलाकि सत्तारूढ़ भाजपा के इस बिल का विपक्ष ने जोरदार विरोध किया। हंगामे के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब TMC (तृणमूल कांग्रेस) सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी और माइक तोड़ दिया। 

आज से 20 साल बाद अगली पीढ़ी को क्या जवाब देंगे - ब्रायन 
सदन से बाहर निकलने के बाद मीडिया से बात करते हुए ब्रायन ने कहा कि मुझे गुस्सा इसलिए आया, क्योंकि मैं सोचता हूं कि आज से 20 साल बाद हमलोग अपनी अगली पीढ़ी को क्या बोलेंगे? यह कि पार्लियामेंट के अंदर लूट चल रही थी और हमलोग चुपचाप मुंह बंद कर देख रहे थे। कभी नहीं। हमने ममता जी से यह नहीं सीखा। अगर कुछ गलत होगा तो हमलोग लड़ाई लड़ेंगे।

कोई सबूत दे कि मैंने रूल बुक फाड़ा है
वहीं किताब फाड़ने के आरोप पर टीएमसी सांसद ने कहा कि कोई ऐसा फुटेज दिखा दीजिए, जिसमें दिखे कि मैंने रूल बुक फाड़ा हो। ये अफवाह उड़ाई जा रही है. वहीं मीडिया द्वारा माइक तोड़ने के आरोप के सवाल पर डेरेक ने कहा कि बीजेपी वाले लोकतंत्र की पीठ ब्रेक कर रहे हैं। आपलोग माइक की बात कर रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह फार्म बिल किसान विरोधी बिल है। उन्होंने कहा संसद के नियम जो 70 सालों से चल रहे थे , आप उसे बदल रहे हैं। हमलोग किसानों के मुद्दे और संसदीय परंपरा को लेकर एक साथ हैं।